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शराब से हुई मौतों को लेकर UP विधानसभा में हंगामा,विपक्ष ने किया सदन का बहिष्कार

विधानसभा में सोमवार को प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का मामला उठा और सरकार की कार्यवाही से असंतुष्ट होकर संपूर्ण विपक्ष ने सदन से दिनभर के लिए बर्हिगमन किया। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाए कि वह अपराधियों को संरक्षण प्रदान कर रही है।

Anoop Ojha
Published on: 11 Feb 2019 9:33 AM GMT
शराब से हुई मौतों को लेकर UP विधानसभा में हंगामा,विपक्ष ने किया सदन का बहिष्कार
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लखनऊ: विधानसभा में सोमवार को प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का मामला उठा और सरकार की कार्यवाही से असंतुष्ट होकर संपूर्ण विपक्ष ने सदन से दिनभर के लिए बर्हिगमन किया। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाए कि वह अपराधियों को संरक्षण प्रदान कर रही है। विपक्ष ने मांग की कि इस मामले की जांच सरकार हाईकोर्ट के सिटिंग जज के संरक्षण में सीबीआई से कराएं जाने के साथ ही मृतक के परिजनों को 25-25 लाख रूपए मुआवजा दिया जाए। इस मामले मं हंगामें के कारण सदन में प्रश्नकाल नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही 12.20 तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

सोमवार को सदन की कार्यवाही जैसे ही 11 बजे प्रारम्भ हुई कांग्रेस के दलीय नेता अजय कुमार लल्लू ने सहारनपुर और कुशीनगर में शराब से हुई मौतों का मामला उठाना चाहा और इस मामले पर पर चर्चा कराने की मांग की। जिस पर विधानसभाध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित ने इस बात की अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल के बाद इस मामले को देखा जाएगा। इसी बीच सपा और बसपा ने भी इस मामले पर सदन में चर्चा कराए जाने की मांग की। इस बीच कांग्रेस सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इसके बाद सपा बसपा के सदस्य भी वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्यवाही की गयी।

भविष्य में सरकार इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति बर्दाश्त नहीं करेगी। संसदीय कार्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी विपक्षी सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करते रहे। बढते हंगामे को देखकर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने सदन का स्थगत 12 बजे तक बढा दिया जिसके कारण प्रश्नकाल की कार्यवाही नहीं हो सकी।

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इसके बाद जब सदन की कार्यवाही दोबारा प्रारम्भ हुई तो समाजवादी पार्टी की तरफ से संजय गर्ग ने इस मामले पर सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि सहारनपुर में अब तक 88 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। घटना को तेरहवीं भोज से जोडने की कोशिश की जा रही है। इस घटना से 24 गांव के लोग प्रभावित हुए हैं। और इसमें मरने वालों के लक्षण सभी के एक जैसे थें। संजय गर्ग ने कहा कि सबको पाउच में शराब परोसी गयी और पीडित लोगों का अस्पताल मे समुचित इलाज नहीं हो पाया। उन्होंने 2017 से लेकर अबतक विभिन्न जिलों में हुए मौतों की घटना का हवाला देते हुए कहा कि 2017 में आजमगढ में 25, बाराबंकी में 12, गाजियाबाद में 4, कानपुर मे 5शामली में 5 लोगों की मौत जहरीली शराब से हो चुकी है।

उसके बाद भी सहारनपुर में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति हुई है। समाजवादी पार्टी के गर्ग ने कहा कि इस मामले में सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है और अपराधियों को खुला संरक्षण सरकार दे रही है। शराब माफियाओं को सरकार से जो खुला संरक्षण मिल रहा है उससे ही इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय के वर्तमान जज की देखरेख में सीबीआई से जांच कराई जाए।

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इस मामले पर बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा ने कि अब तक 100 से अधिक लोगोें की मौत हो चुकी है। और सरकार के एक सहयोगी दल के सांसद ने भी कहा है कि प्रदेश में शराब माफियाओं को संरक्षण दिया जा रहा है। इस प्रकरण में पुलिस कप्तान और जिलाधिकारी भी जिम्मेदार हैं। उन पर भी कडी कार्यवाही होनी चाहिए। श्री वर्मा ने कहा कि नैतिकता के आधार पर आबकारी मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। सरकार इस मामले में सफेदपोश लोगों को बचाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने मांग की कि इस मामले की जांच के लिए एक संसदीय समिति का गठन कर मामले की जांच कराई जानी चाहिए। बसपा नेता ने इस मामले में मृत हुए लोगों के परिजनों को 25. 25 लाख रूपए देने की मांग की।

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इस मामले को आगे बढाते हुए कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार उर्फ लल्लू ने कहा कि अब तक इस मामले में 114 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होने विधानसभा क्षेत्र में जहरीली शराब मेे हुई मौतों केे पहले 2 जनवरी को पत्र लिखा था। और इस पर स्पष्ट किया था क्षेत्र में कितनी अराजकता फैली हुई है। उन्होने कहा कि हमारे क्षेत्र में लाखों लीटर जहरीली शराब पकडे जाने के बाद भी शराब माफियाओं के खिलाफ अबतक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

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उन्होंने कहा कि गरीबों के मौत के वारंट पर मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षर किए है और नैतिकता के आधार पर मुख्ययत्री को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस घटना में पीडित परिवारों को 50-50 लाख मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। उन्होंने कहा कि इतनी बडी घटना के बाद भी सरकार का कोई नुमाइंदा पीडित परिवार से मिलने नहीं गया।

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विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार पूरी संवेदना के साथ पीडित परिवार के साथ है। इस मामले में एसआईटी का गठन किया जा चुका है जो अपनी रिपोर्ट 10 दिन के अंदर दे देगी। इस मामले में सीओ एसओ एसएसआई समेत 6 सिपाहियों केा निलम्बित किया जा चुका है। साथ ही जिला आबकारी अधिकारी को भी निलम्बित किया गया है।

उन्होेंने कहा कि सरकार इस मामले में आबकारी एक्ट की धारा 60 ए के तहत मुकदमा दर्ज किए गए। जिसमें सजा ए मौत का प्रावधान किया। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग कर रहे है जबकि यही लोग सीबीआई पर उंगली उठाते हैं। सरकार न अपराधियो के साथ थी और न रहेगी। इस पर सरकार के जवाब से असंतुष्ठ होकर पूरे दिन के लिए सदन का बहिष्कार किया। इस पर खन्ना ने कहा कि 2008 से लेकर 2017 तक सपा बसपा की सरकारें थी तो कितना मुआवजा और कितनी सीबीआई जांचे हुई यह बात विपक्षी दल भली भांति जानते है।

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खन्ना ने 2008 से 2017 तक सिलसिलेवार जहरीली शराब से हुई मौतों की जानकारी देते हुए सदन को अवगत कराया कि 2009 में 53, 2010 में 82, 2011 में 13, 2012 में 18, 2013 में 52, 2014 में 5, 2015 में 59, 2016 में 41, और 2017 में 18 मौते हुई थी। कुल मिलाकर सपा बसपा सरकार के दौरान 357 मौते हुई थी। तब क्या इन मामलों की सीबीआई जांच हुई थी। बसपा विधानमंडल दल के नेता श्री वर्मा ने कहा कि सम्बन्धित जिलों के डीएम एसएसपी को भी निलम्बित किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार अपराधियों केा बचाने का काम कर रही हैं। इसके बाद बसपा के सभी सदस्यों ने पूरे दिन के लिए सदन का वाकआउट किया।

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इसी मुददे पर कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार उर्फ लल्लू ने कहा कि सरकार इस मामले में लीपापोती कर रही है। और अधिकारियों को संरक्षण देने का काम कर रही है। इसके बाद कांग्रेस के सभी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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