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UP का एक ऐसा गांव जो पिंक सिटी जयपुर को दे रहा टक्कर

पिंक सीटी जयपुर के बारे में तो सबने सुना होगा। उसी तर्ज पर सिद्वार्थनगर जिले मे एक पिंक विलेज भी है। प्रेम और समरसता का संदेश देते इस गांव का हर घर और दिवार ही नहीं डस्टबिन पर भी गुलाबी रंग चढा हुआ है।

priyankajoshi
Published on: 18 Jan 2018 6:01 PM IST
UP का एक ऐसा गांव जो पिंक सिटी जयपुर को दे रहा टक्कर
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गोरखपुर: पिंक सीटी जयपुर के बारे में तो सबने सुना होगा। उसी तर्ज पर सिद्वार्थनगर जिले मे एक पिंक विलेज भी है। प्रेम और समरसता का संदेश देते इस गांव का हर घर और दिवार ही नहीं डस्टबिन पर भी गुलाबी रंग चढा हुआ है।

गांव की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से होती है जो हर खंभे पर लगे है। इस गांव के एक-एक मकान और उसके लोगों का डेटा वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।

क्या है मकसद?

सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर भनवापुर ब्लॉक का हसुड़ी औसानपुर का यह गांव इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। करीब एक हजार चैतीस की आबादी वाले इस गांव की गुलाबी रंग मे रंगी सभी दिवारें एक अलग ही नजारा पेश कर रही है। गुलाबी रंग के पसंद के पीछे इस रंग का प्रेम और समरसता का प्रतीक होना प्रमुख वजह है। एक रंग मे पूरे गांव को रंगने का कारण गांव के प्रधान दिलीप पांडेय की यह सोच है कि जाति धर्म ऊंच-नीच को खत्म कर सबको एक माले मे पिरोना है। इस गांव के एक-एक मकान और उसके लोगों का डेटा वेबसाइट पर उपलब्ध है।

गांव की वेबसाइट और मैप भी तैयार

यही नहीं गांव का पूरा मैप अलग से तैयार करवाया गया है। नेपाल बॉर्डर से लगे इस गांव का अपना डिजिटो मैप एवं वेबसाइट है। गांव के तालाब, गोचर भूमि, कृषियोग्य जमीन, नहर, सड़कें एवं घर किसका है जैसी सभी जानकारी सिर्फ एक लिंक से प्राप्त की जा सकती है। अब हर परिवार का डेटा फीड किया जा रहा है, जो एक क्लिक पर उपलब्ध होगा।

गुजरात के गांव से मिली प्रेरणा

खास बात यह है कि इस गांव को यह सब करने की प्रेरणा गुजरात के ही गांव पुंसरी ने मिली है। हालांकि अब यह गांव पुंसरी से भी ज्यादा हाईटेक हो चुका है। एैसा करने मे गांव के लोगो की भागेदारी भी बढ़चढ़ कर रही है। गांव के लोग काफी खुश और उत्साहित है।

क्या कहा ग्राम प्रधान ने?

गांव को स्मार्ट और पिंक विलेज बनाने की शुरूआत गांव के ग्राम प्रधान दिलीप पांडेय ने अपने निजी संसाधनो से शुरू की। इस की प्रेरणा उन्हे पुंसरी-बनासकांठा-गुजरात के एक गांव से मीली। सरपंच दिलीप त्रिपाठी ने पंचायती राज पर दिल्ली में हुए वर्कशॉप में पुंसरी-बनासकांठा-गुजरात की डॉक्यूमेंट्री देखी थी। तभी उन्होने ठान लिया कि जब पुंसरी देश का मॉडल विलेज बन सकता है तो मेरा हसुड़ी क्यों नहीं? बस प्रयास शुरू हो गए। गांव का रि-डेवलपमेंट प्लान तैयार करवाया। इसी के आधार पर आज गांव में 23 जगह सीसीटीवी कैमरे, 7 जगहों पर वाइफाई हॉटस्पॉट, पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम के तहत 23 जगह स्पीकर लगे हैं। पब्लिक एड्रेस सिस्टम की विशेषता यह है कि- सरपंच गांव में हो अथवा और कहीं भी, इंटरनेट के जरिए सीधे ग्रामीणों के साथ बातचीत कर सकते हैं। गांव मे पोलीथीन के उपयोग को पूरी बैन कर दिया गया है। उन्हे खुशी है कि ग्राम पांचायत के लोग भी इन कार्यो मे बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे है और सहयोग भी कर रहे है।

इंसान मे अगर हौसला हो तो उसके सपने जरूर सकार होते है। आम तौर पर चुनाव जीतने के बाद आम लोगों से नेताओं का मुंह मोड़ लेना तो आम बात है। लेकिन सीमित संसाधन मे दिलीप पांडेय ने गांव को हाईटेंक कर जो मिशाल पेश की है वह अन्य जनप्रतिनिधियो के लिए एक सबक है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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