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UP: मानव तस्करी रोकने के लिए बनेगा कानून, प्लेसमेंट एजेंसियों पर लगाम

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Published on: 6 July 2016 1:32 PM GMT
UP: मानव तस्करी रोकने के लिए बनेगा कानून, प्लेसमेंट एजेंसियों पर लगाम
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rajkumar upadhyay rajkumar upadhyay

लखनऊ: अब महिलाओं को यूपी से बाहर भेजने के लिए छत्तीसगढ की तर्ज पर कानून बनेगा। इसके दायरे में प्लेसमेंट एजेंसियों को लाया जा रहा है। इसमें प्रावधान होगा कि तय अधिकारी से लाइसेंस प्राप्त एजेंसियां ही महिलाओं को नौकरी दिलाने में सक्षम मानी जाएंगी। इसके अलावा जिन महिलाओं को प्रदेश से बाहर नौकरी पर भेजा जाएगा, एजेंसियों को उसकी पूरी डिटेल देनी होगी। यह कदम मानव तस्करी रोकने के उददेश्य से उठाया गया है।

छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बनेगा कानून

प्रदेश शासन ने छत्तीसगढ में मानव तस्करी रोकने के लिए बने अधिनियम के मॉडल को ध्यान में रखते हुए यूपी में निजी नियोजन अभिकरण (विनियमन) अधिनियम बनाने का फैसला लिया है। बीते साल प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में हुई स्टेट एडवाइजरी कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया था।

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प्रस्ताव बनाने के लिए आठ सदस्यीय वर्किंग कमेटी का गठन

यूपी में मानव तस्करी रोकने के लिए प्रमुख सचिव श्रम की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय वर्किंग कमेटी का गठन किया गया है।

-इसमें प्रमुख सचिव गृह अथवा उनके नामित प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव महिला एवं बाल कल्याण विभाग अथवा उनके नामित प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव श्रम (छत्तीसगढ) अथवा उनके नामित प्रतिनिधि सदस्य होंगे।

-श्रम आयुक्त और अपर श्रमायुक्त बाल श्रम मुख्यालय कानपुर इसके सदस्य सचिव होंगे।

-यूनीसेफ लखनऊ और शक्तिवाहिनी संस्था द्वारा नामित प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे।

-वर्किंग कमेटी को दो महीने के अंदर प्रस्ताव पेश करना होगा।

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छत्तीसगढ़ के कानून में है यह प्रावधान

-बालिग महिलाओं को ही नौकरी का प्रस्ताव दे सकती हैं प्लेसमेंट एजेंसियां।

-राज्य की सीमा के बाहर किसी महिला को नौकरी के लिए ले जाने पर प्लेसमेंट एजेंसी को महिला की विस्तृत जानकारी सक्षम अधिकारी को देनी होगी।

-दोषी प्लेसमेंट एजेंसी के मालिकों के विरूद्ध अधिकतम् 7 वर्षों का कारावास और लाख रुपए अर्थदंड का प्रावधान है।

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