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UP : सरकारी वकीलों की नियुक्तियों पर सरकार कर रही है पुनर्विचार

प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने गुरुवार (20 जुलाई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कोर्ट में अभी हाल ही में नियुक्त सरकारी वकीलों की नियुक्तियों को रद्द करने की मांग में दायर एक वक्र्र्ल की जनहित याचिका पर कोर्ट से सुनवाई दो हफ्ते के लिए टालने की मांग की।

tiwarishalini
Published on: 21 July 2017 12:19 AM IST
UP : सरकारी वकीलों की नियुक्तियों पर सरकार कर रही है पुनर्विचार
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इलाहाबाद: प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने गुरुवार (20 जुलाई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कोर्ट में अभी हाल ही में नियुक्त सरकारी वकीलों की नियुक्तियों को रद्द करने की मांग में दायर एक वक्र्र्ल की जनहित याचिका पर कोर्ट से सुनवाई दो हफ्ते के लिए टालने की मांग की।

महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि चूंकि सरकार सरकारी वकीलों की नियुक्तियों पर मचे बवाल के बाद स्वयं इन नियुक्तियों पर पुनर्विचार कर रही है। इस कारण इस याचिका की सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाए।

चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस एम.के.गुप्ता की बेंच ने महाधिवक्ता राघवेंद्र के इस अनुरोध पर 8 अगस्त को इस जनहित याचिका पर सुनवाई का आदेश दिया है।

याचिका में कहा गया है कि सरकारी वकीलों की चयन सूची बनाते समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया है, और ना ही किसी अन्य प्रक्रिया का ही पालन हुआ है।

याचिका में यह भी आधार लिया गया है कि सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने कोर्ट में यह अंडरटेकिंग दे रखी है कि सरकार भविष्य में सरकारी वकीलों की नियुक्तियां करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस संबंध में जारी दिशा निर्देशों का पालन करेगी।

आरोप लगाया गया है कि सरकार ने इसके विपरीत वकालत का अनुभव न रखने वाले ऐसे वकीलों की नियुक्ति कर दी है जिसे लेकर न केवल वकीलों में आक्रोश है बल्कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों में योग्य सरकारी वकीलों के ना होने से नाराजगी देखी गई। कई कोर्ट ने कहा कि अक्षम सरकारी वकीलों के चलते सरकार का सही पक्ष अदालतों में नहीं आ पा रहा है।

बता दें कि सात जुलाई को पांच सौ से अधिक राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति सूची जारी की गई और अपर शासकीय अधिवक्ताओं को छोड़कर सभी कार्यरत राज्य विधि अधिकारियों को हटा दिया गया। जिससे अनुभवहीन अधिवक्ताओं से कोर्ट को परेशानी हो रही है।

चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता को तलब कर अपर महाधिवक्ता की कोर्ट में तैनाती करने को कहा। जस्टिस अभिनव उपाध्याय ने वर्तमान सरकारी वकीलों से सहयोग न मिलने पर सभी अपर महाधिवक्ताओं को कोर्ट में तलब कर स्थिति सुधारने की नसीहत दी।

इससे पहले की सरकारें किश्तों में वकीलों को हटाकर नियुक्ति करती थी जिससे नये पुराने मिलकर कोर्ट प्रक्रिया का अनुभव लेते थे। इस बार पुराने वकीलों को एक साथ हटाने से नवनियुक्त वकीलों द्वारा पक्ष रखने में दिक्कत आ रही है।

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स्लॉटर हाउस को लेकर सभी याचिकाओं पर होगी एक साथ सुनवाई

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बूचड़खाने की स्थापना को लेकर इलाहाबाद व लखनऊ पीठ में विचाराधीन सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया है। इन याचिकाओं की सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस एम.के.गुप्ता की खंडपीठ ने गोरखपुर के दिलशाद अहमद व 120 अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह व अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया पंजीकरण कराकर दो बड़े दस छोटे और 50 पक्षियों के वध करने की छूट है।

सरकारी पशुवधशाला पर सरकार विचार कर रही है। याची का कहना था कि 2001 में कोर्ट ने अस्थायी पशु वधशाला खोलने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में मार्डन बूचड़खाना बनाने का आदेश दिया है। जिसका स्थानीय निकाय पालन नहीं कर रहे हैं।

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पार्क में कैसे बना स्कूल? हाईकोर्ट ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ तलब की कार्रवाई रिपोर्ट

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद में पार्क में बने सेंट मेरी स्कूल के ध्वस्तीकरण के बाद कूड़ाघर पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है और पूछा है कि पार्क में कैसे स्कूल बनकर तैयार हो गया। कोर्ट ने स्कूल मालिक व जवाबदेह अधिकारियों पर की गयी कार्यवाही की जानकारी मांगी है और डीएम को पार्क की जमीन पर स्कूल बनने के मामले में अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है और कृत कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है।

याचिका की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतराज अवस्थी की खंडपीठ ने रजिंदर सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने डीएम, नगर आयुक्त व जीडीए उपाध्यक्ष से कार्यवाही रिपोर्ट के साथ हलफनामा मांगा है।

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बायो मेडिकल कचरे पर मुख्य सचिव से मांगा हलफनामा

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों, क्लीनिकों के बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर सचिव के हलफनामे को संतोषजनक नहीं माना और मुख्य सचिव को 28 मार्च 2016 को लागू नियमावली का कड़ाई से पालन कर विस्तृत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि नियम का पालन न करने के लिए जवाबदेह अधिकारियों की कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि बताये कि किस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाए। याचिका की सुनवाई तीन अगस्त को होगी।

यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने प्राइवेट डाक्टर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया है। सचिव के हलफनामे में केवल सरकारी अस्पतालों के बायो मेडिकल कचरे के प्रबंधन की जानकारी दी है। किन्तु यह नहीं बताया गया कि कौन सी गाड़ी कचरा ले जाती है और कहां ले जाती है। कचरे को कहां ट्रीटमेंट किया जाता है। कूड़े के साथ कहीं भी डम्प किया जा रहा है। कोर्ट ने विस्तृत हलफनामा मांगा है।

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