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Lucknow News: उत्तर प्रदेश में वाइन इकाई की स्थापना के लिये शासन ने दी अनुमति

Lucknow News: बचे हुए 42.16 लाख टन फल का उपयोग अब वाइन उत्पादन में किया जाएगा

Jyotsna Singh
Published on: 25 Sept 2022 8:22 PM IST
Lucknow News Uttar Pradesh  winery unit establishment permission gave By government
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Lucknow News Uttar Pradesh winery unit establishment permission gave By government (Social Media)

Lucknow News: आबकारी विभाग द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयास के फलस्वरूप जनपद मुजफ्फरनगर में 54.446 ली. वार्षिक क्षमता की मैसर्स के. डी. सोल्यूशन प्रा. लि. वाइनरीज के लिये शासन ने अपनी अनुमति दे दी है। प्रदेश में 4.76 लाख हेक्टयर क्षेत्रफल में फलों की खेती के कुल उत्पादन का 60 प्रतिशत का ही उपयोग हो पता है। बाकी सदुपयोग से बचे हुए 42.16 लाख टन फल का उपयोग अब वाइन उत्पादन में किया जाएगा। जिसके फलस्वरूप ग्रामीण टूरिज्म के विकास के साथ ही साथ किसानों की आय में वृद्धि होगी। वहीं राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

अपर मुख्य सचिव, आबकारी. उ.प्र.संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश में वाइनरीज उद्योग के लिये पर्यास अवसर है। देश में उत्पादित फलों का 26 प्रतिशत फल का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है, जो रैकिंग के हिसाब से देश में तीसरा स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश में कुल 4.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर फलों की खेती की जाती हैं तथा फल उत्पादकों द्वारा 105.41 लाख टन फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जाता है। इन उत्पादित फलों में से 60 प्रतिशत फलों का सदुपयोग हो जाता है जबकि 40 प्रतिशत लगभग 42.15 लाख टन फल सदुपयोग होने से बच जाता है। इस प्रकार प्रदेश में खपत से बचे हुए फलों की कीमत लगभग रु.4.216.40 करोड़ होती है। वाइनरी उद्योग की स्थापना से बचे हुए फलों का सदुपयोग किया जा सकेगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी, रोजगार सृजन के अवसर प्राप्त होंगे तथा सरकार के राजस्व में इजाफा होगा।

इसी क्रम में अपर मुख्य सचिव द्वारा बताया गया कि प्रदेश के विभिन्न भागों में अनेकों प्रकार के फल का उत्पादन होता है, जिसमें सब ट्रापिकल जोन, प्लेन रीजन तथा बुन्देलखण्ड रीजन है। बुन्देलखण्ड जोन में मुख्य रूप से सहारनपुर, बिजनौर, बरेली, पीलीभीत आदि जनपद आते हैं, जिनमें लीची, ग्राफ्टेड मैंगो पाइनेपल केला आदि फल पैदा किये जाते हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मुख्य रूप से बेल, लेमन, जमरुद तथा पपीता के उत्पादन किया जाता है। इसी प्रकार सब ट्रापिकल के अन्तर्गत बेल, आंवला, अमरूद, पपीता, आम जैसे फलों का उत्तर प्रदेश में बहुतायात में उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश, देश में फलों के उत्पादन में सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है उनके द्वारा बताया गया कि प्रदेश में फलों के उत्पादन एवं विविधता की दृष्टि से प्रदेश में वाइनरी उद्योग लगाये जाने के लिये पर्यास अवसर है तथा उन्हें मैटेरियल आसानी से उपलब्ध होगा।

वर्ष 2021-22 में घोषित आबकारी नीति के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में उगाये एवं उत्पादन किये जाने वाले सब्जियों, फलों का वाइन के निर्माण में व्यापक इस्तेमाल करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में दाक्षासवनी की स्थापना हेतु उत्तर प्रदेश द्राक्षासवनी (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2022 का प्रकाशन, दिनांक 28 मार्च ,2022 को कर दिया गया है। नियमावली के अनुसार प्रदेश में फूलों, सब्जियों, गैर-स्थापक (गैर-मन प्रभावी) जड़ी बूटियों के रस या गूदे या किसी अन्य फल के रस या गूदे से वाइन का निर्माण किये जाने हेतु द्राक्षासवनी की स्थापना हेतु अनुमति प्रदान किये जाने हेतु सम्बन्धित जनपद के माध्यम से आवेदन किये जाने की व्यवस्था है। फलोत्पादक किसानों के खपत से बचे हुए फलों एवं फूलों को बाइनरीज उद्योग के उपयोग में लाया जायेगा जिससे फल उत्पादक किसानों के अवशेष फलों का सदुपयोग हो सकेगा तथा किसानों को उनके फलों का अच्छा मूल्य प्राप्त होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। वाइनरीज की स्थापना से बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त होगा एवं राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा।

इसी क्रम में माह जुलाई में प्रदेश में वाइनरी उद्योग की स्थापना किये जाने के अवसर के तलाश में लखनऊ में प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर के आयोजकों द्वारा सेमिनार का सफल आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में फल उत्पादक किसानों ने एवं देश-प्रदेश के कई वाइन उत्पादक इकाईयों के प्रतिनिधियों द्वारा हिस्सा लिया गया और आबकारी विभाग द्वारा इस आयोजन में प्रतिभाग करते हुए प्रदेश में वाइनरीज उद्योग की स्थापना के प्रयास हेतु कदम बढ़ाये गये।

हार्टिकल्चर डिपार्टमेन्ट द्वारा फल उत्पादक किसानों को बागों के प्रबन्धन के सम्बन्ध में अवगत कराते हुए वाइन उत्पादन के लिये फलों के अधिक उत्पादन पर जोर दिया गया। वाइनरीज उद्योग पूरी तरह से इको फ्रेण्डली है जिसमें किसी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता और न ही किसी प्रकार का हानिकारक अवशिष्ट पदार्थ ही निकलता है। अल्प मात्रा में निकले अवशिष्ट को उर्वरक के रूप मैं उपयोग में लाया जा सकता है। इसके साथ ही छोटे-छोटे वाइनरीज उद्योग को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में सुझाव देते हुए बुटिक बाइनरी के रूप में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किये जाने पर बल देते हुए बताया कि बुटिक बाइनरी से ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि वाइनरीज उद्योग की स्थापना में लागत एवं भूमि का क्षेत्रफल वाइनरी के प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता के अनुसार अलग-अलग होती है। इसमें 10,000 ली. प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता वाले वाइनरी के लिये मशीनरी की स्थापना 2.0 2.5 करोड़ रुपये की लागत में किया जा सकेगा। वाइनरी उद्योग में किसानों को फलों के शत प्रतिशत उपभोग से उनकी आय में काफी वृद्धि करने में मदद मिलेगी। छोटे उद्योगों के रूप में पल्प इन्स्ट्रीज लगाये जाने पर जोर देते हुए यह भी बताया गया कि इण्डस्ट्रीज बहुत कम लागत में और कम जगह में लगाया जा सकेगा।

छोटे किसान भी इस उद्योग को लगाने में आगे आयेंगे। इसी क्रम में श्री सेथिल पांडियन सी. आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बाइनरी रूल्स सर्वप्रथम 1961 में पब्लिश किया गया था फिर उसके बाद 1974 में इसमें पहली बार संशोधन किया गया। पुनः इसमें 2022 में बाइनरीज उद्योग की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के अन्तर्गत नियमों और प्रतिबन्धों को और अधिक आसान बनाते हुए संशोधित किया गया जिससे प्रदेश में वाइनरीज उद्योग की स्थापना किया जाना आसान हो गया है।

वर्तमान में बेहतर कानून व्यवस्था को देखते हुए प्रदेश में नये उद्योगों की स्थापना के लिये उद्यमी आकर्षित हो रहे हैं।

विभाग नये उद्योगों की स्थापना के लिये निरन्तर प्रयासरत है। इसी क्रम में वाइनरी उद्योग लगाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए शासन द्वारा राज्य के फल उत्पादकों का विकास किये जाने, राज्य के राजस्व एवं औद्योगिक हित तथा निवेश एवं रोजगार के संवर्धन के दृष्टिगत जनपद मुजफ्फरनगर में मेसर्स के. डी. सोल्यूशन प्रा.लि. मेरठ रोड को 54,446 ली. वार्षिक क्षमता की दक्षासवनी स्थापित किये जाने की अनुमति प्रदान की गयी है। वाइनरी को गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज का अनुपालन भी सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इस वाइनरीज की स्थापना से जहाँ एक तरफ प्रदेशों में उत्पादित हो रहे फलों का उपयोग होगा, वही दूसरी तरफ किसानों को फलों का उचित मूल्यो प्राप्त होगा। शासन द्वारा वाइनरी की स्थापना की अनुमति प्रदान करने लगभग 50 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार तथा लगभग 150 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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