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सुनिए मंत्री जी! आपके नाम पर करोड़ों रुपए ठग रहे जालसाज, कब होगा इलाज
मनोज द्विवेदी
लखनऊ: मौजूदा सरकार के दो मंत्रियों और बड़े अधिकारियों सहित पूर्व सरकारों में मंत्रियों के नाम पर जालसाजों ने करोड़ों रुपए ठग लिए। सरकारी नौकरी में दोबारा बहाली के लिए भोले-भाले लोगों को पिछले 15 साल से ठगा जा रहा है और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी।
कुछ पीड़ितों ने जब लखनऊ में स्वास्थ्य मंत्रालय से उन पदों की दरयाफ्त की, तो यह जानकर उनके होश उड़ गए की, उक्त पदों के लिए भर्ती पर तो 2002 से ही बैन लग चुका है। आप भी जानें क्या है पूरा मामला..... ?
ऐसे चल रहा पूरा गोरखधंधा
साल 1977 में केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल करने के लिए जन स्वास्थ्य रक्षकों की तैनाती की थी। बाद में किन्हीं कारणवश 2002 में इस योजना को बंद कर दिया गया। इस दौरान यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा समेत कई प्रदेशों में 87 हजार से ज्यादा जन स्वास्थ्य रक्षक बनाए गए थे, जो 2002 के बाद एक तरह से बेरोजगार हो गए। बस, इसी का फायदा उठाने के लिए कुछ लोगों ने ऑल इंडिया कम्युनिटी हेल्थ वर्कर एसोसिएशन नाम का एनजीओ बनाया और कर्मियों से वादा किया कि वे उन्हें दोबारा नौकरी में बहाल कराने की लड़ाई लड़ेंगे।
एक-एक जिले से 25-25 लाख की वसूली
सरकारी नौकरी में फिर से बहाल होने के लालच में हजारों गरीब और भोले-भाले लोग इस एनजीओ के जाल में फंस गए। एनजीओ ने यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा के जिलों में अपने प्रतिनिधियों से वसूली शुरू की। नौकरी के नाम पर एक-एक कैंडिडेट से 10-10 रुपए वसूले गए। एक-एक जिले से 25-25 लाख की वसूली की गई। इस संबंध में आजमगढ़ निवासी पीड़ित जय नारायण सिंह ने बताया, कि 'कभी मंत्री के नाम पर तो कभी बड़े अधिकारी के नाम पर और कभी मुख्यमंत्री से मिलने के नाम पर लोगों से उगाही की गई। यह काम 2002 से अब तक जारी है। वहीं, सोनभद्र निवासी पीड़ित विजय बहादुर सिंह ने बताया, कि 'एनजीओ ने उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया और अंधेरे में रखकर लाखों रुपए लिए। अब उनके पास आत्महत्या के आलावा कोई चारा नहीं है।'
नैतिक पार्टी दर्ज कराएगी एफआईआर
लखनऊ में हुई प्रेस वार्ता के दौरान नैतिक पार्टी के अध्यक्ष अनूप गुप्ता ने बताया, कि 'सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के नाम पर लगातार उगाही की जा रही है और सरकार चुप है। हम इन गरीबों की लड़ाई लड़ेंगे और एनजीओ के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराएंगे। इसके बाद भी यदि न्याय नहीं मिला तो मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की जाएगी। तब भी हमारी नहीं सुनी गई तो धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।'
ऐसे मिली ठगी की जानकारी
लखनऊ पहुंचे सोनभद्र और आजमगढ़ के दर्जनों पीड़ितों ने बताया, कि 'इतने साल से वे उम्मीद लगाए बैठे थे कि नौकरी में बहाल होंगे। इसी उम्मीद पर पैसे देते रहे।एनजीओ के पदाधिकारी लगातार झूठ बोलकर उनसे पैसे ऐंठते रहे। लेकिन कुछ दिन पहले ही जब लखनऊ आकर स्वास्थ्य मंत्रालय से ग्रामीण जन स्वास्थ्य रक्षक पद की जानकारी ली, तो पता चला की 2002 में ही इसे बंद करने के शासनादेश के बाद इस पर कभी कोई विचार नहीं किया गया है। इसके बाद लोगों को ठगी की जानकारी मिली।' पीड़ितों ने कहा, एनजीओ संचालकों धनीराम सैनी, मनोज कुमार, राजेश शर्मा ने लोगों से पैसे लेकर करोड़ों की जमीनें और गाड़ियां खरीदी हैं। हमारी मांग है कि इसकी जांच की जाए, ताकि हमें न्याय मिल सके।'