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उंची कुर्सी की जंग : IPS को चाहिए कमिश्नरी, IAS शासनादेश पर अड़े

Rishi
Published on: 19 Dec 2017 5:57 PM IST
उंची कुर्सी की जंग : IPS को चाहिए कमिश्नरी, IAS शासनादेश पर अड़े
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शारिब जाफरी

लखनऊ : यूपी में आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच जारी शीतयुद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में अपराध समीक्षा बैठक का शासनादेश जारी होने के बाद से आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच प्रतिद्वंदिता बढ़ गई है। आइपीएस अफसरों की यूपी में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किए जाने की कोशिशों को शासन स्तर पर झटका लगा है। सरकार ने कमिश्नरी सिस्टम को सिरे से खारिज कर दिया है। अब इन दावं-पेंच के बीच विवाद और गहराने की आशंका जताई जा रही है। वहीं पीपीएस एसोसिएशन ने भी आईपीएस अफसरों के पक्ष में कमिश्नरी सिस्टम के समर्थन में मुख्यमंत्री को चिठ्ठी लिख कर नए सिरे से विवाद को हवा दे दी है।

यूपी में आईएएस अफसर ज़्यादा ताकतवर हैं या आईपीएस अफसर! यही साबित करने की कोशिश दोनों काडर के बीच विवाद के जड़ में बताई जा रही है। डीजीपी सुलखान सिंह की सत्ता से नजदीकी विवाद बढ़ने की असली वजह के तौर पर सामने आई है।

दरअसल यूपी में विक्रम सिंह के बाद सुलखान सिंह सब से ताकतवर डीजीपी के रूप में सामने आये हैं। डीजीपी की सत्ता से नजदीकियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि प्रदेश भर के एडीजी जोन और आईजी/डीआईजी रेंज की मीटिंग में शामिल होने के लिए प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार को डीजी मुख्यालय जाना पड़ा था। यही नहीं आईपीएस अफसरों के तबादले में प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार और मुख्य सचिव राजीव कुमार की अनदेखी भी आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच विवाद की बड़ी वजह बताई जा रही है। डीजीपी की सत्ता से यही नजदीकी अब आईपीएस अफसरों पर भारी पड़ रही है।

आईएएस और आईपीएस अफसरों के शीतयुद्ध के बीच पीपीएस एसोसिएशन की चिठ्ठी ने आग में घी डालने का काम किया है। पीपीएस एसोसिएशन ने सीएम को चिठ्ठी लिख कर 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की मांग करते हुए क्राईम मीटिंग कलेक्ट्रेट के बजाये पुलिस में किये जाने की मांग रखी है।

दरअसल डीजीपी की अनदेखी से नाराज शासन में बैठे अधिकारियों ने शासन के पूर्व के आदेश को सख्ती से अमल में लाने का निर्देश जारी कर दिया। इसी वजह से विवाद काफी गहरा गया है। आईपीएस अफसर जहां जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली मीटिंग में जाने को तैयार नहीं हैं, वहीँ शासन में बैठे अफसर 7 दिसम्बर के शासनादेश को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लेना चाहते हैं।

सूत्रों की माने तो मुख्य सचिव राजीव कुमार ने शासन के निर्देशों का पालन कराने को कहा है, और कमिश्नरी सिस्टम को सिरे से खारिज कर दिया है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। शासन के सर्वोच्च पद पर बैठे अफसर ने यहां तक कह दिया है, कि उनकी कलम से न तो शासनादेश वापस होगा और न ही कमिश्नरी सिस्टम को मंजूरी मिलेगी। अब इन दावं-पेंच के बीच विवाद और गहराने की आशंका जताई जा रही है।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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