×

Power Crisis in UP: यूपी में बिजली को लेकर मचा हाहाकार, अभी और बढे़गा संकट

Power Crisis in UP: उत्तर प्रदेश में मांग और पूर्ति में असंतुलन होने के कारण बिजली का संकट गहराता जा रहा है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 27 April 2022 2:17 PM IST (Updated on: 27 April 2022 3:58 PM IST)
electricity power cut lucknow today
X

बिजली (फोटो : सोशल मीडिया )

Power Crisis in UP: उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों की तरह ही मांग और पूर्ति में असंतुलन होने के कारण बिजली का संकट गहराता जा रहा है। शहरों से लेकर गांवो तक बिजली की अंधाधुध कटौती शुरू हो गयी है। दिन और रात बिजली की कटौती की जा रही है। जिसके चलते लोगों का बुरा हाल है। छह से सात घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है।

बताया जा रहा है कि प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के आसपास है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच चल रही है। वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने और अन्य स्थानीय गड़बड़ियों से भी दिक्कत बढ़ती जा रही है।

शहरों में भी दिन और रात के वक्त 3-4 घंटे तक ट्रिपिंग की वजह से या फिर टेक्निकल फाल्ट के चलते लोगों को कटौती का सामना करना पड़ रहा है। लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर समेत ज्यादातर शहरों में ओवरलोडिंग के कारण बिजली संकट पैदा हो रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत रात को हो रही है। शाम होते ही बिजली की मांग बढ़ना शुरू हो जाती है। जो रात 12 बजे तक बढ़ती ही जाती है।

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में पीक आवर्स में बिजली की डिमांड 22,500 मेगावाट है। वहीं, पावर कारपोरेशन अधिकतम 18,500 मेगावॉट तक ही आपूर्ति कर पा रहा है। इस तरह मांग के मुकाबले करीब 4,000 मेगावाट का फर्क लगातार कायम है। इस कारण गांवों, नगर पंचायत, तहसील स्तर पर बिजली कटौती की जा रही है।

गर्मियों में हर साल अप्रैल शुरू होते ही बिजली की मांग बढ़ जाती है। घरों में एसी पंखे और कूलर भी दिन रात चलने से मांग और आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ जाता है।

एक्सचेंज पर मौजूदा समय में डिमांड अधिक होने की वजह से महंगी बिजली मिल रही है। इसकी वजह से पावर कॉरपोरेशन ये बिजली नहीं खरीद पा रहा है। पैसे की कमी के कारण कारपोरेशन मांग पूरी करने के लिए बिजली नहीं खरीद पा रहा है।

यूपी को बिजली देने वाले कई यूनिटों के बंद होने की वजह से भी संकट पैदा हो रहा है। इसकी वजह से भी बिजली संकट पैदा हो रहा है।

उधर समाजवादी पार्टी ने ट्विट कर राज्य सरकार के बिजली मामले मे पूरी तरह असफल बताते हुए ट्विट किया कि ''यूपी में गहराते बिजली संकट के लिए जिम्मेदार है। भाजपा सरकार पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी तक, जनता भीषण गर्मी में अघोषित बिजली कटौती से त्रस्त है। मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

ट्विट में कहा गया है कि 'निर्बाध और पर्याप्त बिजली मिलती रहे इसके लिए भारत सरकार की मदद दे ले सरकार'।

आल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने 'न्यूज ट्रैक' को बताया कि प्रबन्धन की कमी के चलते ही पूरा प्रदेश बिजली का संकट झेल रहा है। कोयले का स्टाक जितना रखना चाहिए उतना नहीं रखा गया जिसके कारण उत्पादन पर सीधा असर पड़ रहा है। कोल इंडिया डिमांड बढने के कारण कोयले की तापीय बिजली उत्पादन कम्पनियों को आपूर्ति नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने कहा कि दो साल तक कोरोना के कारण फैक्ट्रियां और अन्य व्यवसाय बंद रहे। जिसके कारण बिजली का संकट महसूस नहीं हुआ लेकिन अब जिंदगी पटरी पर है। बिजली की बढ़ती गांग का आलम यह है कि गत मंगलवार को बिजली की मांग दो लाख एक हजार मेगावाट रही जो पिछले साल जुलाई की मांग से काफी अधिक रही। उन्होंने कहा कि अभी बिजली का संकट और बढे़गा।

बंद उत्पादन यूनिटे

बारा 660 मेगावाट

ललितपुर पावर प्लांट 660 मेगावाट

हरदुआगंज 660 मेगावाट

ओबरा 200 मेगावाट

आपूर्ति की स्थिति

जिलों 24 घंटे

गांव 11.52 घंटे

नगर पंचायत 17.16 घंटे

तहसील 18.06 घंटे

बुंदेलखंड 15.03 घंटे

मंडल 24 घंटे

महानगर 24 घंटे

उद्योग 24 घंटे

बतायी जा रही है। यही नहीं, वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने और अन्य स्थानीय गड़बड़ियों से भी दिक्कत बढ़ती जा रही है। शहरों में भी दिन और रात के वक्त 3-4 घंटे तक ट्रिपिंग की वजह से या फिर टेक्निकल फाल्ट के चलते लोगों को कटौती का सामना करना पड़ रहा है। लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर समेत ज्यादातर शहरों में ओवरलोडिंग के कारण बिजली संकट पैदा हो रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत रात को हो रही है।शाम होते ही बिजली की मांग बढ़ना शुरू हो जाती है। जो रात 12 बजे तक बढती जाती है।

उधर समाजवादी पार्टी ने ट्विट कर राज्य सरकार को बिजली मामले मे पूरी तरह असफल बताते हुए ट्विट किया कि ''यूपी में गहराते बिजली संकट के लिए जिम्मेदार है भाजपा सरकार! पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी तक, जनता भीषण गर्मी में अघोषित बिजली कटौती से त्रस्त है। मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।"

ग़ौरतलब है कि बीता विधानसभा चुनाव बहुत दिनों बाद ऐसे चुनाव के तौर पर देखा गया जिसमें सत्तारूढ़ दल को घेरने के लिए बिजली मुद्दा नहीं बन पाया। जबकि सत्तारूढ़ दल ने बिजली की आपूर्ति को विपक्ष के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। उसके लिए बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा की मोदी व योगी ने पीठ भी थपथपाई थी।




Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story