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Jagadguru Rambhadracharya: जगदगुरु रामभद्राचार्य की अचानक बिगड़ी तबीयत, आगरा के अस्पताल में भर्ती
Jagadguru Rambhadracharya: जगद्गुरु रामभद्राचार्य की स्वास्थ्य स्थिति अचानक खराब होने पर उन्हें आगरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है।
Jagadguru Rambhadracharya: जगद्गुरु रामभद्राचार्य की शुक्रवार (2 फरवरी) को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हे आनन-फानन में आगरा के एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। जहां पर उनका इलाज शुरू चल रहा है। बताया गया है कि उन्हें सीने में दर्द की शिकायत थी। वहीं, रामभद्राचार्य का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने अभी कोई हेल्थ बुलेटिन जारी नहीं किया है। बताया जा रहा है कि उन्हे चेस्ट में इंफेक्शन के कारण भर्ती किया गया है।
हाथरस में चल रही थी रामकथा
जानकारी के मुताबिक हाथरस के गांव लाडपुर में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की श्रीराम कथा चल रही है। 25 जनवरी से शुरू हुई राम कथा का आज यानी शुक्रवार को आखिरी दिन था। इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की। इस पर उन्हें तुरंत आगरा के देहली गेट स्थित पुष्पांजलि अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका इलाज चल रहा है। वहीं, अस्पताल के बाहर जगदगुरु के अनुयायी और शिष्य जमा होने लगे हैं। हालांकि, उनकी मौजूदा स्थिति को लेकर अभी तक अस्पताल प्रशासन ने कोई हेल्थ बुलेटिन नहीं जारी किया है।
जगदगुरु रामभद्राचार्य की अचानक खराब हुई सेहत की सूचना कई संतों तक पहुंची तो वे बेहद चिंतित हो गए। उनकी मौजूदा स्थिति को लेकर संत जानकारी जुटा रहे हैं। वहीं, अस्पताल के बाहर उनके शिष्य जुटने लगे हैं। वहीं, अस्पताल में डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुटी हुई है। शाम तक उनकी सेहत को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
जाने कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर साल 1988 से प्रतिष्ठित हैं। रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो माह के थे तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएं जैसे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में कवि और रचनाकार हैं।