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सुनते ही नहीं प्रदेश के अधिकारी, आखिर क्या करें अखिलेश सरकार के मंत्री

अस्पताल के गेट पर ही मंत्री जी को जलभराव, गंदगी और उसमें उड़ते मच्छर दिखाई दे गए। शहर में लगातार डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उन्होंने साफ सफाई के निर्देश दिए। पर गंदगी अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। तंग मंत्री जी ने विभागीय प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने साफ कहा है कि निरीक्षण और निर्देश के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

zafar
Published on: 26 Aug 2016 2:26 PM GMT
सुनते ही नहीं प्रदेश के अधिकारी, आखिर क्या करें अखिलेश सरकार के मंत्री
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लखनऊ: अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन करने वाले रविदास मेहरोत्रा अब प्रदेश में स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री हैं। उनके पास परिवार कल्याण और मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग है। मंत्री बनने के बाद से ही मेहरोत्रा लगातार अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं और खामियों को दुरूस्त करने की ताकीद भी करते हैं। पर अफसर उनके निर्देश ही नहीं सुनते। अब थक हार कर उन्होंने कार्रवाई के लिए विभागीय प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है।

सुनते नहीं अधिकारी

-दरअसल बीते 24 अगस्त को मेहरोत्रा ने राजधानी के डा. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय गोमतीनगर का औचक निरीक्षण किया था।

-अस्पताल के गेट पर ही मंत्री जी को जलभराव, गंदगी और उसमें उड़ते मच्छर दिखाई दे गए।

-शहर में लगातार डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उन्होंने साफ सफाई के निर्देश दिए। पर गंदगी अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई है।

-तंग मंत्री जी ने विभागीय प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने साफ कहा है कि निरीक्षण और निर्देश के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

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ये थे आकलन और निर्देश

-डेंगू इमरजेंसी वार्ड में मरीजों के लिए मेडिकेटेड मच्छरदानी लगवाई जाए।

-चिकित्सक समय से अस्पताल में उपलब्ध रहें।

-आकस्मिक चिकित्सा सेवा को चाक चौबंद किया जाए।

-अस्पताल के बाहर सीवर लाइन चोक है, नाली भरी है।

-मरीज गंदे पानी से होकर अस्पताल जा रहे हैं।

-साफ सफाई के दिए थे निर्देश।

कार्यवाही चाहते हैं मंत्री

-मेहरोत्रा ने प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कई तरह के सुझाव और दिए हैं।

-उन्होंने लिखा है कि नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवल किशोर रोड हजरतगंज को वीरांगना झलकारी बाई चिकित्सालय से सम्बद्ध कर दिया जाए।

-नवल किशोर रोड स्थित सीएचसी में 30 बेड स्वीकृत हैं। पर मौजूदा समय में 20 बेड ही उपयोग में लाए जा रहे हैं।

-10 बेड के स्थान पर एड्स कंट्रोल सोसाइटी का कार्यालय स्थापित था। अब यह पिकप भवन में स्थानांतरित हो गया है। फिर भी सोसाइटी ने चिकित्सालय के कमरों को खाली नहीं किया है।

-मेहरोत्रा ने लिखा है कि इससे संक्रामक रोग फैलने की संभावना है।

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