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होली में पुलिस सतर्क: 'जूता मार' Holi से पहले की ये तैयारी...
शाहजहांपुर में होली के दिन एक जुलूस निकाला जाता है, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के अफसर के पुतले पर जूते बरसाए जाते हैं।
शाहजहांपुर: कोरोना वायरस के बीच देश में होली (Holi 2021) के त्योहार की तैयारियां जोरो शोर से शुरू कर दी गई हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर (shahjahanpur) की होली के लिए प्रशासन भी अपनी तैयारियां कर रहा है। दरअसल, यहां की होली काफी चर्चित है और इस मौके पर यहां कोई अप्रिय घटना न हो सके इसलिए प्रशासन ने खास इंतजाम कर लिए हैं।
मस्जिदों को प्लास्टिक की शीट से ढका गया
यहां प्रशासन ने इलाके में करीब 40 मस्जिदों को प्लास्टिक की शीट से ढक दिया है। दरअसल, शाहजहांपुर में होली के दिन एक जुलूस निकाला जाता है, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के अफसर के पुतले को एक बैलगाड़ी में बैठाकर उसपर जूते बरसाए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी जुलूस को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने खास तैयारी की है।
जुलूस के मद्देनजर किया गया ऐसा
होली के पर्व के मौके पर निकाले जाने वाले जुलूस के रास्ते में जहां जहां पर मस्जिद पड़ती हैं, उनके आस-पास सुरक्षा बढ़ा दी गई है और कड़ी निगरानी की जा रही है, ताकि कोई अप्रिया घटना न घटित हो सके।
एसपी ने कही ये बात
इस मामले में शाहजहांपुर के एसपी संजय कुमार ने कहा कि जुलूस के रास्ते में पड़ने वाली मस्जिदों को प्लास्टिक की शीट से ढका जा रहा है, जिससे कोई भी शख्स जुलूस के वक्त इन पर रंग ना फेंके। एसपी के मुताबिक, कुछ मस्जिदों को ढक दिया गया है। जबकि अन्य सभी मस्जिदों को 28 मार्च से पहले ही ढक दिया जाएगा।
अलग-अलग हिस्सों में हो रही बैरिकेडिंग
केवल इतना ही नहीं इस जुलूस के मद्देनजर रूट पर अलग-अलग हिस्सों में बैरिकेडिंग भी की जा रही है और कुछ रास्तों को बंद भी कर दिया गया है। रूट में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके। साथ ही निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
शाहजहांपुर में होली के दिन एक जुलूस निकाला जाता है, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के अफसर के पुतले को एक बैलगाड़ी में बैठाकर उसपर जूते बरसाए जाते हैं। इससे पहले प्रशासन ने इलाके में करीब 40 मस्जिदों को प्लास्टिक की शीट से ढक दिया है।
गौरतलब है कि यूपी के शाहजहांपुर में 18वीं सदी से ही जूता मार होली मनाई जा रही है। उस दौरान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने के लिए स्थानीय लोगों ने इस जूता मार होली की शुरुआत की थी। वहीं, देश को आजादी मिलने के बाद भी इस होली की परंपरा को जारी रखा गया।
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