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बद से बदतर हालात पर पहुंची ‘रोटोमैक कंपनी’, होगी नीलामी

Charu Khare
Published on: 11 March 2018 10:53 AM IST
बद से बदतर हालात पर पहुंची ‘रोटोमैक कंपनी’, होगी नीलामी
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कानपुर: 3695 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे विक्रम कोठारी के साथ-साथ अब उनकी कंपनी रोटोमैक के भी बुरे दिन शुरू हो गए हैं। जी हां। दरअसल, बैंकों ने अब रोटोमैक के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए कंपनी को 90 दिन का अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया है। बैक के इस फैसले के बाद रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और रोटोमैक एक्सपोर्ट की नीलामी का रास्ता साफ हो गया है। दोनों कंपनियों के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनिल गोयल ने बैंकरों के इस कदम की पुष्टि की है।

बता दें कि, वित्तीय संकट या अन्य विवादों में फंसी कंपनियों का मामला जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में जाता है तो समाधान के लिए 180 दिन का समय मिलता है। इस अवधि में रास्ता न निकला तो इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों के मुताबिक शुरुआती समयसीमा खत्म होने के बाद भी रिवाइवल प्लान के लिए आम तौर पर 90 दिन और दे दिए जाते हैं। इसे ‘डेट रीकास्ट प्रोग्राम’ कहा जाता है लेकिन कोठारी के मामले में बैंकों ने पहली बार ये समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। बैंकों ने रोटोमैक ग्रुप की दो सबसे बड़ी कंपनियों को डेट रीकास्ट प्रोग्राम में 90 दिनों का एक्सटेंशन देने से मना कर दिया।

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नीलामी की कगार पर खड़ी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के तहत रोटोमैक पेन बनाए जाते हैं। कोठारी इंटरप्राइज के अंतर्गत रोटोमैक ग्लोबल 1992 में इनकॉरपोरेट हुई थी। पेन बनाने के अलावा रोटोमैक ग्रुप इंटरनेशनल मर्चेंट ट्रेडिंग से भी जुड़ा है। यानी कंपनी एक देश से दूसरे देश में सामान का आयात-निर्यात करती है। रोटोमैक ग्रुप की कंपनियों ने इसी ट्रेडिंग बिजनेस के लिए ज्यादा लोन लिया था।

Image result for rotomacरोटोमैक ग्रुप की संपत्ति प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही जब्त कर चुका है। बता दें कि इस स्थिति में समाधान की संभावना लगभग शून्य हो जाती है। शायद यही वजह है कि कंपनी ने इस समस्या से निपटने को ज्यादा प्रयास नहीं किये।



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