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Varanasi News: काशी की नई पहचान गढ़ता ये मंच, घाट किनारे बहती है भक्ति और संगीत की सरिता
Varanasi News: वैदिक ऋचाओं की अनुगूंज जैसे ही अस्सी घाट पर शुरू हुई तो पूरा माहौल भक्तिमय बन गया।
Varanasi News: धर्म नगरी वाराणसी की पहचान गंगा और गंगा घाटों से है। और इन्हीं घाटों की श्रृंखला के सबसे प्रमुख नाम जो सामने आता है वह अस्सी घाट। अस्सी घाट पर सुबह की होने वाली आरती यानी सुबह-ए-बनारस की अलौकिक छवि देखने को मिलती है उसका इंतजार हर श्रद्धालु और सैलानी को होता है। आज सुबह-ए-बनारस संस्था की नौवीं वर्षगांठ थी। इस खास मौके पर अस्सी घाट पर विशेष आरती की गई जिसमें शिरकत करने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से ही मेहमान पहुंचे थे।
मालिनी के सुरों से सजा मंच
पतित पावनी के तट पर सूर्य की उदयभान लालिमाओं के बीच वैदिक ऋचाओं की अनुगूंज जैसे ही अस्सी घाट पर शुरू हुई तो पूरा माहौल भक्तिमय बन गया। ग्यारह ब्राह्मणों ने पूरे विधि-विधान और मंत्रोचार के साथ मां गंगा की आरती उतारी और विश्व कल्याण की कामना की। आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन शुरू हुआ। इस दौरान मालिनी अवस्थी ने समा बांधा। प्रातः कालीन राग पर आधारित गीतों के जरिए मालिनी अवस्थी ने लोगों का मन मोह लिया। उन्होंने कहा कि महादेव की नगरी में गाना अपने आप में सौभाग्य की बात होती है लेकिन बात तब और खास हो जाती है जब गंगा का किनारा हो। उन्होंने सुबह-ए-बनारस मंच को धन्यवाद दिया और इस इस बात की कामना की कि जिस तरीके से संगीत की सेवा की जा रही है वह सतत चलती रहे।
धूमधाम से मनी 9 वीं वर्षगांठ
वाराणसी में अस्सी घाट पर सुबह बनारस मंच की ओर से होने वाली प्रातः कालीन आरती अब यहां की नई पहचान मंत्र जा रही है। अभी तक गंगा किनारे शाम की आरती होती है लेकिन पिछले 9 सालों से यह संस्था सुबह की आरती कराती है, जिसमें शिरकत करने के लिए लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं। भगवान भास्कर की उदयमान किरणे जब मां गंगा की आंचल पर पड़ती हैं तो ऐसा लगता है कि इंद्रधनुषी रंग बिखर आया हो। आरती के बाद यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों के कलाकारों को अपनी प्रतिभा और संगीत साधना के लिए एक मंच दिया जाता है।