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वाराणसी में गंगा ने दिखाया 'रेड सिग्नल', सर्दियों में नहीं देखा होगा ये रूप

करीब साढ़े तीन साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी से गंगा निर्मलीकरण का मुद्दा छेड़ा तो लोगों के मन में एक उम्मीद जगी। उम्मीद गंगा की स्वच्छता की। उन्होंने गंगा को

Anoop Ojha
Published on: 23 Dec 2017 9:09 AM GMT
वाराणसी में गंगा ने दिखाया रेड सिग्नल, सर्दियों में नहीं देखा होगा ये रूप
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वाराणसी में गंगा ने दिखाया 'रेड सिग्नल', सर्दियों में नहीं देखा होगा ये रूप

आशुतोष सिंह

वाराणसी: करीब साढ़े तीन साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी से गंगा निर्मलीकरण का मुद्दा छेड़ा तो लोगों के मन में एक उम्मीद जगी। उम्मीद गंगा की स्वच्छता की। उन्होंने गंगा को चुनावी मुद्दा भी बनाया। लेकिन हालात आज भी पहले जैसे ही हैं। या यूं कह लीजिये की और बिगड़ने लगे हैं। आलम ये है की अब तो सर्दियों में भी गंगा घाटों को छोड़ने लगी हैं। आमतौर पर ये नजारा गर्मियों में देखने को मिलता है। उसमें धारा भी बहती नजर नहीं आती। लोगों को ऐसे हालात में गर्मी में गंगा के सूखने का खतरा नजर आ रहा है।

घाट की सीढ़ियों से दूर होती गंगा

बनारस के सभी घाटों का अगर जायजा ले तो गंगा का घाट की सीढ़ियों से दूर जाने की भयावह स्थिति अस्सी घाट से दिखनी शुरू हो जाती है। यहां गंगा सीढ़ियों से तकरीबन 45 फिट दूर बह रही हैं। गंगा प्रेमी ये यकीन ही नहीं कर पा रहे कि जहां कुछ दिन पहले गंगा की लहर नजर आती थी आज उस जगह सिल्ट नजर आ रही है। गंगा का अस्सी से लेकर आदिकेशव घाट तक किनारों से उनका दूर होना ऐसे ही खतरे की ओर इशारा कर रहा है मौजूदा हालात यह हैं कि कहीं 30 तो कहीं 60 फुट तक घाटों से गंगा दूर हो गई हैं। गंगा की धारा भी ठहर सी गयी है। वाराणसी में गंगा के जलस्तर में एक साल में ढाई फीट से अधिक की कमी आ चुकी।

बनारस में सिकुड़ने लगी हैं गंगा

नमामि गंगे योजना का बनारस में कहीं असर नहीं दिख रहा है। जैसे जैसे प्रदूषण का लेवल बढ़ रहा है, काशी में गंगा सिकुड़ती जा रही है। बनारस में गंगा की चौड़ाई कभी 800 मीटर का हुआ करता थी, जिसे तैर कर पार करना मुश्किल था। आज गंगा की चौड़ाई सिर्फ 400 मीटर रह गई है। इसके अलावा बनारस में लोग गंगा का पानी ही पीते थे लेकिन आज प्रदूषण इतना है कि आचमन तक नहीं करते। बनारस में हर रोज़ तकरीबन 300 MLD सीवेज गंगा में डाला जाता है, और ये हाल तब है जब नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा साफ़ करने के बड़े वादे किये गए थे।

गंगा के हाल को देख गुस्से में श्रद्धालु

गंगा के इस हाल को देख श्रद्धालु गुस्से में हैं। घाट किनारे रहने वाले लोग भी पतित पावनि के इस रूप को देख हैरान हैं। अस्सी घाट पर प्रतिदिन गंगा में स्नान करने वाले सुरेन्द्र प्रसाद कहते हैं की सर्दियों में गंगा का ये रूप डराने वाला है। घाटों को छोड़ना कोई नई बात नहीं है लेकिन ये सिर्फ गर्मियों में देखने को मिलता था। जानकर बताते हैं की गंगा में प्रदूषण को ना रोक गया तो आने वाले कुछ सालों में अस्सी की तरह अन्य घाटों पर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिल सकता है। सबसे बड़ी समस्या गंगा में कछुआ सेंचुरी के नाम पर कई तहर की रोक लगा दी गई है। घाट किनारे बालू का जमाव बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते बालू का टीला बढ़ता जा रहा। ये कही न कहीं उसके बहाव को भी कम कर रहा है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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