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BHU ने की सायनोबैक्टीरिया के पहले जींस की खोज, जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं रिसर्च

Varanasi News: यह अध्ययन Phycological Society of America की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित शोध पत्रिका जर्नल ऑफ़ फ़ाइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 30 Nov 2022 4:57 PM IST
Varanasi News BHU discovered first genes of cyanobacteria
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Varanasi News BHU discovered first genes of cyanobacteria (BHU) 

Varanasi News: बीएचयू के शोधकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर से सायनोबैक्टीरिया के पहले जीनस की खोज की हैं। यह अध्ययन Phycological Society of America की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित शोध पत्रिका जर्नल ऑफ़ फ़ाइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। सायनोबैक्टीरिया (नील हरित शैवाल) उन प्राचीन, ऑक्सीजनिक, फोटोऑटोट्रॉफ़िक, नाइट्रोजन फिक्सिंग और प्रोकैरियोटिक सूक्ष्म जीवों में से एक हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल के ऑक्सीकरण के लिए जिम्मेदार हैं। प्राचीन होने के बावजूद, ये शैवाल अक्सर उपेक्षित रहे हैं, जिससे विविधता के बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी उपलब्ध है। दुनिया भर के कई वैज्ञानिक शैवालों के विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं, ताकि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के युग में शैवालों की जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रयास चलते रहें।

सायनोबैक्टीरिया की जैवविविधता और टैक्सोनॉमी से संबंधित नई खोजों के प्रयासों को बढ़ाते हुए, Fulbright Program के माध्यम से भारत-अमेरिका सहयोग के तहत उत्तर भारत से सायनोबैक्टीरिया के एक नए जीनस की खोज की है।

प्रतिष्ठित फुलब्राइट कार्यक्रम (Fulbright Program) की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अमेरिकी सेनेट के सदस्य जेम्स विलियम फुलब्राइट, के सम्मान में इस नए जीनस का नाम Fulbrightiella (फुलब्राइटिएला) रखा गया है।

बीएचयू के डॉ.प्रशांत सिंह द्वारा इस शोधकार्य का एक अहम भाग जॉन कैरोल विश्वविद्यालय, अमेरिका, में प्रोफेसर जेफरी आर जोहानसन के साथ उनकी प्रयोगशाला में किया गया है। डॉ. सिंह को शैक्षणिक तथा पेशेवर उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2020-21 में फुलब्राइट नेहरू फेलोशिप के लिए चयनित किया गया था।

इस फेलोशिप के दौरान ही उन्होंने प्रो. जोहानसन के साथ इस शोध के महत्वपूर्ण भाग को अंजाम दिया। इस खोज की महत्ता इसलिए भी अधिक बढ़ जाती है क्योंकि वर्ष 2021 में ही फुलब्राइट फेलोशिप कार्यक्रम को 75 वर्ष भी पूरे हुए हैं।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में बनारस स्कूल ऑफ फाइकोलोजी की स्थापना करने वाले प्रो. यज्ञवल्क्य भारद्वाज के सम्मान में नई प्रजाति का नाम Fulbrightiella bharadwajae (फुलब्राइटिएला भारद्वाजे) रखा गया है।

इसी अध्ययन में शोधकर्ताओं ने हवाई द्वीप से सायनोबैक्टीरिया के एक और नए जीनस का भी वर्णन किया है, जिसका नाम प्रसिद्ध फाइकोलॉजिस्ट प्रोफेसर एलिसन आर शेरवुड के सम्मान में Sherwoodiella (शेरवुडिएला) रखा गया है।


इस शोध में बीएचयू के रिसर्चर नरेश कुमार का मुख्य योगदान रहा। अध्ययन के तहत नरेश कुमार ने केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से इस सायनोबैक्टीरिया के नमूने लिये और इसे नए जीनस के रूप में स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

यह शोध कार्य डॉ. सिंह के शोध समूह द्वारा दुनिया के विभिन्न हिस्सों से सायनोबैक्टीरिया की पहचान तथा वर्णन के उनके प्रयासों को और आगे ले जाता है, जिसका वृहद उद्देश्य सायनोबैक्टीरिया, उनके वर्णन तथा जानकारी को रिकॉर्ड कर जैवविविधता संरक्षण की दिशा में योगदान देना है।

इस कार्य को विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, (DST-SERB और बीएचयू इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (IoE) स्कीम के तहत मिले अनुसंधान अनुदान द्वारा वित्त पोषित किया गया था।



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