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आंधी बारिश ने बनारसी आम को किया 'लंगड़ा', विदेशों तक अब चौसा दौड़ लगाएगा

चक्रवाती तूफ़ान के कारण बेमौसम हुई बारिश और आंधी का असर दिखने लगा है। मौसम के बिगड़े मिजाज ने पूर्वांचल के आम किसानों को बड़ा झटका दिया है।

Ashutosh Singh
Reporter Ashutosh SinghPublished By Shashi kant gautam
Published on: 4 Jun 2021 8:59 PM IST
mango crop
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वाराणसी में आंधी बारिश ने पहुंचाया बनारसी आम को नुकसान

Varanasi News: चक्रवाती तूफ़ान के कारण बेमौसम हुई बारिश और आंधी का असर दिखने लगा है। मौसम के बिगड़े मिजाज ने पूर्वांचल के आम किसानों को बड़ा झटका दिया है। आंधी में आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है, जिसके चलते खाड़ी और यूरोपीय देशों में लगड़ा और दशहरी आम भेजने की तैयारी को झटका लगा है। क्योंकि लंगड़ा आम निर्यात के मानकों पर खरा नहीं उतर सका है। अब लंगड़ा के बजाय चौसा आम के निर्यात की तैयारी की जा रही है। चौसा आम 10 जून के बाद दुबई भेजा जाएगा। अबकी बार धुलाई व कीटनाशकों दवाओं का प्रयोग कर आम की जो फसल बेहतर हुई थी उसे आंधी और बारिश ने नुकसान पहुंचाया है। इससे आम उत्पादकों को आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।

मानकों के अनुसार नहीं हुई आम की पैदावार

जिला प्रशासन की ओर से आम को विदेश भेजने की तैयारी चल रही थी, लेकिन मौसम की मार की वजह से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहायक महाप्रबंधक डॉ। सीबी सिंह ने बताया कि विदेश भेजने के लिए किसानों के पास लंगड़ा आम तो है लेकिन उसका आकार मानक के अनुसार नहीं है। दुबई और लंदन में 200 ग्राम से ऊपर के लंगड़ा आम की मांग है जबकि इस बार तैयार यह विशेष आम 200 ग्राम से नीचे के ही आकार का है। ऐसे में इसे नहीं भेज सकते हैं।उन्होंने कहा कि भदोही, मिर्जापुर, गाजीपुर में भी लंगड़ा आम की तलाश की जा रही है। अगर मानक के अनुसार मिल जाता है तो भेजा जाएगा। अब बनारस के चौसा आम के तैयार होने का इंतजार है। मौसम अनुकूल रहा है तो उसे 10 जून के बाद दुबई भेजा जाएगा।

निर्यातक हुए निराश

निर्यातक शार्दुल विक्रम का कहना है कि लंगड़ा आम को शुरुआती दौर में पुरवा हवा से नमी मिलती है। इससे उसका आकार बड़ा होता है लेकिन इस बार पुरवा की बजाय पछुआ हवा ज्यादा चली। इस वजह से फलों का विकास नहीं हो सका। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त ने बताया कि बाग की जुताई, खाद और दवा का समय से छिड़काव, पेड़ों का नियमित प्रबंधन न करने तथा पोषक तत्व न मिलने से आम का आकार छोटा हो रहा है। किसान इस पर ध्यान दें तो आम की फसल अच्छी होगी।

अब लोकल बाजार में बेचने को हैं मजबूर

विदेश भेजने का आर्डर कैंसिल होने के बाद अब किसान लोकल बाजार में ही आम बेचने को मजबूर हैं। शार्दुल विक्रम ने बताया कि 300 से अधिक किसान अपनी फसल स्थानीय बाजार में ही बेच रहे है, क्योंकि अब लंगड़ा और दसहरी आम विदेश नही जाएगा। हालांकि दसहरी आम का उत्पादन कम है।



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Shashi kant gautam

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