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Varanasi News: स्वतंत्रता संग्राम में तमिलों के योगदान से रू-ब-रू हो रही काशी, प्रदर्शनी से दिखाया गया अतीत
Kashi Tamil Sangamam: दरअसल इस प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चित्रो को दर्शाते ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जो लोगो इस संगमम में आने वाले तमिल प्रतिनिधिमंडल और काशीवासियों को अपने सुनहरे अतीत से वाकिफ करा रहे हैं।
Varanasi News Kashi being contribution of Tamils in freedom struggle (BHU)
Kashi Tamil Sangamam: काशी-तमिल संगमम के अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में लगाई गई प्रदर्शनी एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को बखूबी साकार कर रही है। दरअसल इस प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चित्रो को दर्शाते ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जो लोगो इस संगमम में आने वाले तमिल प्रतिनिधिमंडल और काशीवासियों को अपने सुनहरे अतीत से वाकिफ करा रहे हैं।
यह प्रदर्शनी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायी साबित हो रही है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से वाराणसी नगर के नामचीन विद्यालयों के विद्यार्थी अपना ज्ञानवर्धन कर रहे हैं।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में तमिलनाडू के योगदान को पोस्टर के माध्यम से बखूबी समझाने का प्रयास किया गया है। इस प्रदर्शनी को देखने के लिए विभिन्न विद्यालयों के छात्रों का हुजुम उमड़ रहा है। इस प्रदर्शनी में देश के निर्माण में प्रमुख योगदान देने वाले महापुरुषों, नायकों और कलाकारों की जानकारी भी साझा की गई।
पोस्टर के माध्यम से दिखाया गया सेनानियों का योगदान
वर्ष 1700-1857 तक की क्रांति के काल को ईस्ट इंडिया कंपनी का कुशासन, "सुलगने लगी भारतीय स्वाधीनता की चिंगारी" के माध्यम से उस दौरान के नायकों का चित्रण व उनके योगदान को बताया गया है। साथ ही स्वामी विवेकानंद तथा राजा राम मोहन राय, राम कृष्ण परमहंस, सावित्री बाई फूले, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष डब्ल्यू.सी.बनर्जी, ईश्वर चंद्र विद्यासागर सहित अनेक विभूतियों का भी चित्रण किया गया है।
प्रदर्शनी साकार कर रही एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना
इसके अलावा एकजुट हुई कई आवाजें और जाग उठा भारतीय राष्ट्रवाद के माध्यम से उन विभूतियों का चित्रण किया गया है जिन्होंने हिंदुस्तान को आजाद कराने की अलख जगाने का प्रयास शुरू किया। लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भी उल्लेख है।
स्वातंत्र्य आंदोलन में आक्रामक दृष्टिकोण रखने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के उदय का दृष्टांत भी है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विदेशी सामानों के बहिष्कार व स्वदेशी अपनाने का आंदोलन चलाया।
राष्ट्रपिता पर लगाई गई प्रदर्शनी
प्रदर्शनी में राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी के स्वदेश लौटने और स्वतंत्रता आंदोलन को नया मोड़ देने का दृष्टांत भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है जिसमें ये दर्शाया गया है कि बापू ने कैसे स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्रदान की। इस अवधि में स्वतंत्रता आंदोलन में एक बड़ा बदलाव देखा गया।क
क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी, वाराणसी डॉ लालजी ने बताया की प्रतिदिन बड़ी संख्या में विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थी अपने गुरुजनों के नेतृत्व में प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे हैं साथ ही भारत सरकार की उपलब्धियों से सम्बन्धित प्रचार सामग्री भी प्राप्त कर रहे है, महापुरुषों के साथ सेल्फी भी ले रहे हैl