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Varanasi News: काशी के गंगा के घाटों पर लगे स्टील बोर्ड, बताएंगे यहां के पौराणिक इतिहास

Varanasi News : स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत बनारस के प्रसिद्ध घाटों पर स्टील से बना बोर्ड लगाए गए हैं।

Ashutosh Singh
Reporter Ashutosh SinghPublished By Shraddha
Published on: 13 Jun 2021 6:53 PM IST
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत गंगा के घाटों पर लगे स्टील बोर्ड
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स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत गंगा के घाटों पर लगे स्टील बोर्ड

Varanasi News : बनारस यहां की गलियों के लिए, गंगा के लिए, यहां के मन्दिरों के लिए, साड़ी के लिए और बनारसी पान (Banarasi Paan) के लिए मशहूर है। लेकिन इन सबके अलावा बनारस के गर्वीले घाट इस शहर को अलग बनाती हैं। बनारस के घाट (Banaras Ghat) के बारे में कुछ ऐसी रोचक जानकारियां भी है जो बनारस के रहने वाले भी नहीं जानते होंगे।

इसी ध्येय को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट सिटी परियोजना (Smart City Project) के अंतर्गत बनारस के प्रसिद्ध घाटों पर बोर्ड लगाए गए हैं। ये एक विशेष प्रकार की स्टील से बनाया गया है। इन पर बनारस के घाटों का नाम देखने को मिलेगा जो रात में भी दिखाई देगा। प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) पर ये साइन बोर्ड (sign board) लगाया गया है। जिसमें पुराण के अनुसार घाट के महत्व और जीर्णोद्धार के बारे में दर्शाया गया है। जो कि हिंदी और इंग्लिश में लिखा गया है।

स्मार्ट सिटी परियोजना में हेरिटेज साइनस और घाट योजना के तहत इस बोर्ड को लगाया जा रहा है। 7 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इस बोर्ड पर दशाश्वमेध घाट का इतिहास और अन्य घाटों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों पर 30 से ज्यादा साइनेज बोर्ड लगेंगे।

स्मार्ट सिटी से जुड़े सदस्य शाकुंभरी नंदन संथालिया ने बताया कि घाटों पर लगे बोर्ड पानी में खराब नहीं होंगे। अस्सी और राजघाट पर दो विशालकाय बोर्ड लगाने की तैयारी पूरी हो गई है। इन बोर्ड पर वाराणसी के सभी घाटों की पूरी जानकारी के साथ ग्राफिक्स और क्यूआर कोड भी होंगे। जिन पर 84 से अधिक भाषाओं में काशी का इतिहास पढ़ा और सुना जा सकेगा।

हेमंत मिश्रा ने बताया कि इस समय दशाश्वमेध घाट पर इस तरह का बोर्ड लगना बहुत अच्छा है। घाट के महत्व के साथ-साथ इसके पौराणिक महत्व को भी दर्शाया गया है। घाट की उत्पत्ति से लेकर घाट का निर्माण कब हुआ। इन सब चीजों के बारे में इसमें दर्शाया गया है। यहां आने वाले लोगों को इससे सही जानकारी मिल पाएगी। क्योंकि यहां पर लोग अक्सर घाटों पर अलग-अलग कहानियां बताते हैं।



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