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Varanasi Serial Blast Case: कॉल डिटेल खंगालने पर पकड़ा गया था वलीउल्लाह, तीन आरोपी बांग्लादेश भाग निकले
Varanasi Blast Case: वाराणसी में 2006 में हुए सीरियल बम धमाकों के दोषी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस धमाके में 18 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 35 से अधिक घायल हुए थे।
Varanasi Blast Case: वाराणसी में 16 साल पहले 2006 में हुए सीरियल बम धमाकों (2006 Serial Bomb Blast Varanasi) के दोषी वलीउल्लाह (Waliullah Khan) को फांसी की सजा सुनाई गई है। गाजियाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा ने वाराणसी के संकटमोचन मंदिर (Sankat Mochan Temple) और रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर हुए धमाकों में वलीउल्लाह को पहले ही दोषी ठहराया था। वलीउल्लाह 16 साल से इस मामले में जेल में बंद है और अब अदालत ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।
इन बम धमाकों में 18 लोगों की मौत हो गई थी और 35 से अधिक लोग घायल हो गए थे। विस्फोट के करीब 1 महीने बाद 5 अप्रैल 2006 को वलीउल्ला की गिरफ्तारी हुई थी। कॉल डिटेल (Call Detail) खंगालने पर पुलिस टीम वलीउल्लाह को गिरफ्तार करने में कामयाब हो सकी थी। उसकी गिरफ्तारी लखनऊ के पास गोसाईंगंज इलाके (Goshainganj Area) से की गई थी।
कॉल डिटेल से मिली थी पुलिस को मदद
7 मार्च 2006 की शाम को हुए धमाकों के बाद वाराणसी (Varanasi) में हर जगह दहशत का माहौल दिख रहा था। कुछ ही समय में आतंकियों की ओर से की गई यह वारदात पूरे देश-दुनिया में वायरल हो गई थी। बम धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकियों तक पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं था। पुलिस के हाथ शुरुआत में ऐसा कोई सुराग नहीं लगा था जिससे इस बड़ी घटना का पर्दाफाश किया जा सके।
इस आतंकी वारदात की जांच के लिए पुलिस के साथ ही एसटीएफ और एटीएस को भी लगाया गया था। तीनों की संयुक्त टीम की ओर से घटना के तत्काल बाद ही जांच पड़ताल शुरू कर दी गई थी। पुलिस टीम की ओर से कॉल डिटेल खंगालने के बाद वाराणसी में सीरियल धमाकों को अंजाम देने वालों की पहचान शुरू हो गई थी।
वलीउल्लाह तक इस तरह पहुंची पुलिस
कॉल डिटेल खंगालने पर पुलिस के हाथ वलीउल्लाह समेत कई लोगों के मोबाइल नंबर लगे। वलीउल्लाह की शहर में आमद को लेकर जब पुलिस ने कड़ियां मिलानी शुरू कीं तो विस्फोट के सारे राज धीरे-धीरे खुलने लगे। पुख्ता आधार मिलने के बाद वाराणसी पुलिस ने वलीउल्लाह को लखनऊ के गोसाईंगंज इलाके से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने वालीउल्लाह से कड़ी पूछताछ की गई तो उसके जेहादी इरादे जाहिर हो गए थे।
देवबंद से की थी पढ़ाई
वलीउल्लाह ने दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) से पढ़ाई की थी और इस पढ़ाई के दौरान ही उसकी वाराणसी विस्फोट (Varanasi Blasts) में शामिल मोहम्मद जकारिया, मुस्तफिज और बशीर से मुलाकात हुई थी। ये सभी अफगानिस्तान (Afghanistan) से प्रकाशित होने वाली जेहादी मैगजीन पढ़ा करते थे और इनकी मानसिकता भी पूरी तरह जेहादी थी।
जानकारों के मुताबिक, धमाकों का मास्टरमाइंड मोहम्मद जुबेर कश्मीर में हुई मुठभेड़ में मारा जा चुका है जबकि घटना में शामिल मोहम्मद जकारिया, मुस्तफिज और बशीर देश छोड़कर बांग्लादेश भाग चुके हैं। बांग्लादेश भाग जाने के कारण इन तीनों को गिरफ्तार करने में पुलिस टीम और सुरक्षा एजेंसियों को अभी तक कामयाबी नहीं मिल सकी है।
पहले भी पकड़ा गया था वलीउल्लाह
इलाहाबाद के फूलपुर स्थित एक मदरसे में मौलवी का काम करने वाला वलीउल्लाह बनारस ब्लास्ट से कुछ समय पहले भी पकड़ा गया था। उस समय पुलिस ने उसकी लकड़ी की टाल से एके-47, आरडीएक्स सहित अन्य आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद की थीं। बाद में वह जमानत पर छूट गया था। जमानत पर छूटने के बाद वलीउल्लाह ने अन्य आतंकियों की मदद से वाराणसी में सीरियल ब्लास्ट की घटना को अंजाम दे डाला।
विस्फोट के बाद अफरा-तफरी का माहौल
वाराणसी के संकटमोचन मंदिर में भक्तों की अगाध श्रद्धा रही है। 2006 में 7 मार्च का दिन मंगलवार था। मंगलवार के दिन संकटमोचन मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है। अचानक हुए विस्फोट से हर जगह अफरा-तफरी का माहौल बन गया था।
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र का कहना है कि विस्फोट के बाद मौके की हालत देखकर हम सभी सन्न रह गए थे। घटना के बाद से ही परिसर में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। अब संकटमोचन मंदिर परिसर में मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट लेकर आने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसके साथ ही संकटमोचन मंदिर में होने वाली शादियों पर भी रोक लगाई जा चुकी है।
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