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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 'प्रकट' हुआ शिवलिंग, प्रशासन ने रोका काम
शिवलिंग को लेकर स्थानीय पंडों और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। स्थानी निवासी और धर्माचार्य पंडित राजू झा ने बताया कि जिस घाट पर ये शिवलिंग मिला है, वो कभी देवी देवताओं की तपोभूमि हुआ करती थी।
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों के मिलने का क्रम जारी है। शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। दशाश्वमेध घाट के पास खुदाई के दौरान एक विशाल शिवलिंग मिला है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह शिवलिंग सालों पुरानी है। फिलहाल शिवलिंग मिलने के बाद खुदाई का काम रोक दिया गया है।
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पुरातत्वविद्वों की ली जाएगी मदद
शिवलिंग को लेकर स्थानीय पंडों और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। स्थानी निवासी और धर्माचार्य पंडित राजू झा ने बताया कि जिस घाट पर ये शिवलिंग मिला है, वो कभी देवी देवताओं की तपोभूमि हुआ करती थी। उन्होंने बताया कि इस घाट पर स्वयं ब्रम्हा जी ने दस बार अश्वमेध यज्ञ किया था। जिसके कारण इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। उन्होंने बताया कि जहां पर ये विशाल शिवलिंग मिला है, उस जगह यज्ञ कुंड हुआ करता था और उसके पास वाले घाट पर वेद मंडप हुआ करता था। उनके मुताबिक खुदाई में मिला शिवलिंग हजारों वर्ष पुराना हो भी सकता है।
varanasi-matter (PC: social media)
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रोका गया खुदाई का काम
खुदाई के दौरान मिले शिवलिंग को लेकर लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे है। कुछ लोग तो इस शिवलिंग को सैकड़ों वर्ष पुराना बात रहे है। लोगों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए फिलहाल काम रोक दिया गया है। इस सम्बंध में नगर आयुक्त गौरांग राठी ने जानकारी दी है कि खुदाई का काम रोक दिया गया है और मिले शिवलिंग की जानकारी करने के लिए पुरातात्विक टीम को बुलाया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में शिवलिंग और प्राचीन मंदिरों के मिलने का ये मामला कोई नया नहीं है। इसके पहले भी कई मंदिर मिल चुके हैं। इसे लेकर काशी के संतों ने आंदोलन भी किया। हालांकि मंदिर प्रशासन का ये दावा है कि किसी भी मंदिर को ध्वस्त नहीं किया गया है। सभी मूर्तियों और मंदिरों को उनके प्राचीन स्वरुप में संरक्षित किया जाएगा।
रिपोर्ट- आशुतोष सिंह
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