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Varanasi News: गंगा किनारे रहने वाले बाढ़ की चिंता से परेशान, जलस्तर रिकॉर्ड पंहुचा 61.35 मीटर

Varanasi News: एनडीआरएफ और केंद्रीय जल आयोग के द्वारा गंगा के जलस्तर की रोज मॉनिटरिंग की जाती है। गंगा के जलस्तर की बात करें तो जलस्तर इन दिनों 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बढ़ रहा है।

Purushottam Singh Varanasi
Published on: 13 July 2023 4:24 AM GMT

Varanasi News: पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के चलते मैदानी भागों में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है । वाराणसी के 84 घाटों पर गंगा के बढ़ते हुए जलस्तर की निगरानी के लिए सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। एनडीआरएफ और जल पुलिस गंगा के जलस्तर पर विशेष निगाह बनाए हुए हैं। एनडीआरएफ और केंद्रीय जल आयोग के द्वारा गंगा के जलस्तर की रोज मॉनिटरिंग की जाती है।

गंगा के जलस्तर की बात करें तो जलस्तर इन दिनों 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बढ़ रहा है। एनडीआरएफ कंट्रोल रूम के डेटा के अनुसार सुबह 8 बजे तक गंगा का जलस्तर 61.35 मीटर रिकॉर्ड किया गया। गंगा के जलस्तर का खतरे का निशान 71.262 मीटर है। वहीं वार्निंग लेवल 70.262 मीटर है। घाट की सीढ़ियों के ऊपर पानी पहुंच चुका है। दशाश्वमेध घाट समेत सभी प्रमुख घाटों पर पर विशेष चौकसी बरती जा रही है। गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण घाट किनारे रहने वाले लोगों की धुकधुकी भी बढ़ने लगी है। हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा में होने वाली लगातार बारिश के चलते गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।

गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण सहायक नदियां भी उफान पर आ जाती है ऐसे में गंगा की सहायक नदियों के आसपास के रहने वाले लोगों को बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है। गंगा की सहायक नदी वरुणा के किनारे रहने वाले लोग बाढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। जिलाधिकारी वाराणसी ने गंगा के जलस्तर को लेकर अलर्ट जारी किया है। 24 घंटे कंट्रोल रूम खोल दिया गया है साथ ही घाटों पर गंगा के जलस्तर की निगरानी के लिए बाढ़ चौकिया भी अलर्ट कर दी गई है। वाराणसी के संत रविदास घाट से लेकर नमो घाट तक एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीम लगातार पेट्रोलिंग कर रही है।

पहाड़ों में हो रही बारिश बनीं मुसीबत

पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के चलते गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ने की आशंका है। इसलिए गंगा नदी के आसपास पड़ने वाले शहरों के लिए एलर्ट जारी किया गया है। वाराणसी घाटों के किनारे बसा शहर है। ऐसे में बाढ़ से निपटने के लिए पहले से ही सभी तैयारियां की जा रही है। घाटों पर विशेष निगरानी भी रखी जा रही है केंद्रीय जल आयोग के द्वारा सुबह 7 बजे से रात 12 बजे तक का प्रतिदिन डेटा जारी किया जाता है। गंगा में कई सहायक नदियों का भी पानी आता है जिसके चलते जलस्तर तेजी से बढ़ता है।

गंगा किनारे रहने वालों की बढ़ी बेचैनी

दशाश्वमेध घाट किनारे रहने वाले पप्पू तिवारी ने बताया कि बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित घाट पर रहने वाले पंडा समाज के लोग होते हैं। बाढ़ के कारण हर साल घाट जलमग्न हो जाता है बाहर से कोई तीर्थयात्री नहीं आता है जिसके चलते पंडा समाज के सामने रोजी रोटी की दिक्कत उत्पन्न हो जाती है। प्रशासन की तरफ से पंडा समाज के लिए बाढ़ के समय कुछ भी नहीं किया जाता है । जिसका सीधा असर हमलोगों पर पड़ता है। बाढ़ के समय 2 महीने हमलोग मां गंगा से प्रार्थना करते रहते हैं कि जल्दी से जलस्तर कम हो और हमलोगों का रोजी रोजगार फिर से शुरू हो जाए।

नाविक बाढ़ में सबसे ज्यादा होते हैं प्रभावित

अर्द्ध चंद्राकार घाटों पर मां गंगा के मानस पुत्र नाविक समाज के लोग बाढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।बाढ़ के समय नावों का संचालन पूरी तरीके से बंद रहता है। नावों के बंद रहने से आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है नाविकों के सामने। सालभर की गई कमाई में से जो बचाकर रखते हैं वह 2 महीने में काम आता है। दशाश्वमेध घाट पर नाव चलाने वाले नाविक शंभू निषाद से बातचीत करने पर उन्होंने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि बाढ़ के समय गंगा में नावों का संचालन पूरी तरीके से बंद रहता है। अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक हजारों की संख्या में नाविकों की रोजी रोटी नौका संचालन से ही चलता है।बाढ़ के समय सभी नावें बंद कर दी जाती है। जिला प्रशासन की तरफ से नाविकों के परिवारों के लिए अलग से राहत देने के लिए कुछ भी नहीं किया जाता है। ऐसे में हमलोग मां गंगा से प्रार्थना करते रहते हैं कि जल्दी से जल्दी जलस्तर कम हो जाए।

गंगा का जलस्तर बढ़ने से टूट जाता है घाटों का संपर्क

गंगा का जलस्तर बढ़ने से वाराणसी के 84 घाटों का आपसी संपर्क टूट जाता है। घाटों का आपसी संपर्क टूटने के चलते सबसे ज्यादा परेशानी गंगा किनारे रहने वाले लोगों को होता है। गंगा किनारे रहने वाले लोग कहीं भी आने जाने के लिए घाटों का ही प्रयोग करते हैं जलस्तर बढ़ने से घाटों का संपर्क टूट जाता है जिससे दूरी भी बढ़ जाती है ।

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