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Buddha Purnima 2024: गंगा घाटों से लेकर विश्वनाथ मंदिर तक आस्थावानों का सैलाब

Varanasi News: गंगाद्वार ललिता घाट से लेकर मंदिर जाने वाले सभी रास्तों पर आस्थावानों का हुजूम था। लेकिन सबसे नारकीय स्थिति दशाश्वमेध घाट से दो नंबर गेट जाने वाली गलियों की है।

Rishu Pathak
Published on: 23 May 2024 5:29 AM GMT (Updated on: 26 May 2024 4:04 PM GMT)
Buddha Purnima 2024: गंगा घाटों से लेकर विश्वनाथ मंदिर तक आस्थावानों का सैलाब
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Varanasi News: वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर गुरुवार को गंगा घाटों से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक आस्थावानों के सैलाब से पूरी तरह भरा रहा। दर्शनार्थियों की भीड़ का आलम ऐसा कि हर कोई पहले हम पहले हम दर्शन पाने की चाह में एक दूसरे पर टूटा जा रहा था। धक्का मुक्की ऐसी कि भीड़ नियंत्रित करने में विश्वनाथ मंदिर प्रशासन भी असहाय साबित हो गया।

वैसे तो गंगाद्वार ललिता घाट से लेकर मंदिर जाने वाले सभी रास्तों पर आस्थावानों का हुजूम था। लेकिन सबसे नारकीय स्थिति दशाश्वमेध घाट से दो नंबर गेट जाने वाली गलियों की है,जहाँ गंगा स्नान करके भक्तों की भीड़ भोर तीन बजे से ही लाइन लग गई थी। सुबह होते ही मानो ज्वार फुट पड़ा हो। मानमंदिर के रास्ते त्रिपुरा भैरवी होकर मंदिर जाने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा। आलम यह कि त्रिपुरा भैरवी, रानीभवानी, मीरघाट तिराहा समेत गलियों में स्थापित पुलिस पॉइंट पर तैनात सुरक्षाकर्मी भी भीड़ को नियंत्रित करने में फेल रहे। एक तरफ दर्शनार्थियों की भीड़ तो दूसरी ओर माला फूल बेचने वालों के वेंडरों का मनमानापन। अपरम्पार भीड़ के चलते स्थानीय निवासियों अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हो गए। किसी को कहीं से भी निकलने का रास्ता नहीं सूझ रहा था।


माला फूल व प्रसाद बेचने वालों की खूब चांदी

इस दौरान गलियों से लेकर सड़क मार्ग तक माला फूल व प्रसाद बेचने वालों की खूब चांदी रही। प्रशासन द्वारा बनाए गए रेट लिस्ट से इतर यात्रियों के सामान लॉकर में रखवाने के नाम पर सभी मनमाने मूल्य पर माला प्रसाद बेचते रहे। यही नहीं भएल फूल वालों के वेंडर जबरदस्ती सड़क पर से यात्रियों से बिना लाइन के दर्शन करवाने का झांसा देकर उन्हें धक्का मुक्की के बीच अपनी दुकान पर लेकर आते और उनसे मनमानी करते हुए प्रसाद देकर लाइन में लगाकर गायब हो जाते। यात्री दुकानदार से प्रश्न करता कि बिना लाइन के दर्शन की बात तय हुई थी तो दुकानदार कहता कि लाइन अभी ही लगी है। सब प्रशासन के हाथ है। हम कुछ नहीं कर सकते। ठगा सा जवाब पाकर यात्री मरता क्या न करता। चुपचाप लाइन से ही दर्शन करके संतोष कर लेता।भीड़ की इतनी विकट स्थिति थी कि उमस और गर्मी उस पर से लोगों की ठसाठस भीड़ से कई लोग गश खाकर गिर जा रहे थे।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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