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Varanasi News: अन्न और धन का प्रसाद लेने के लिए उमड़े श्रद्धालु, भोग आरती के बाद खोला गया माता अन्नपूर्णा का दरबार
Varanasi News: माता अन्नपूर्णा ने आशीर्वाद स्वरूप यह वचन दिया था कि काशी में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा इस नगर के वासियों का भरण पोषण माता अन्नपूर्णा स्वयं करती है।
Varanasi News: देवादिदेव महादेव की नगरी काशी में आज से 5 दिवसीय धनतेरस की शुरुआत हो गई। धनतेरस के दिन माँ अन्नपूर्णा के दरबार में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन-पूजन के लिए उमड़ी। धनतेरस के दिन धन धान्य से परिपूर्ण और निरोग रहने का आर्शीवाद लेने के लिए बीते देर शाम से ही भक्तों की लंबी कतार देखने को मिल रही थी। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का भी जन्मदिन है।
पूरे वर्ष के 5 दिन तक चलने वाले इस उत्सव में अलग-अलग दिन मां अन्नपूर्णा का भोग लगाया जाता है और इस त्यौहार के आखिरी दिन यानी अन्नकूट वाले दिन माता अन्नपूर्णा का 521 कुंतल मिष्ठान से बने 56 भोगों से उनका श्रृंगार किया जाएगा। 5 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार को देखते हुए अन्नपूर्णा मंदिर के आसपास लाखों श्रद्धालुओं के भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से पर्याप्त बैरिकेडिंग की गई थी।
लावा और सिक्के का मिलता है प्रसाद
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार काशी में माता अन्नपूर्णा से महादेव ने भिक्षा मांगकर भक्तों के भूखा ना रहने का आशीर्वाद मांगा था। माता अन्नपूर्णा ने आशीर्वाद स्वरूप यह वचन दिया था कि काशी में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा इस नगर के वासियों का भरण पोषण माता अन्नपूर्णा स्वयं करती है।
देश का इकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां प्रसाद में धान का लावा और सिक्का दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन माता अन्नपूर्णा का खजाना खुलता है माता के खजाने को पाने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु काशी आते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर में है चाक चौबंद व्यवस्था
इस दौरान मंदिर प्रशासन की ओर से धान का लावा और सिक्का प्रसाद स्वरूप सभी दर्शनार्थियों को वितरित किया गया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडे ने बताया कि यह अन्न और धन का प्रसाद वितरण का कार्यक्रम शुक्रवार से शुरू होकर 5 दिन तक चलेगा। इसमें जो भी दर्शनार्थ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आएगा उसको यह प्रसाद वितरित किया जाएगा।
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। उनके लिए जिक जैक बनाकर भीड़ को नियंत्रित करने की भी व्यवस्था की गई है। दर्शनार्थियों को परिसर में पेयजल व किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो इसलिए वालंटियर भी तैनात किए गए हैं, लगातार होने वाले पांच दिवसीय कार्यक्रम में अधिकारियों और कर्मचारियों की अलग से ड्यूटी भी लगाई गई है।
माता अन्नपूर्णा काशी की रानी के स्वरूप में है और ये भिक्षा देतीं हैं तो बाबा जगत का कल्याण करते हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी ने बताया कि भगवान शंकर से माता पार्वती के विवाह के बाद माता पार्वती ने काशी में निवास की इच्छा जताई। माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान भोलेनाथ माता पार्वती को लेकर अविमुक्त अर्थात महाश्मशान क्षेत्र आ गए।
माता पार्वती को अविमुक्त क्षेत्र नहीं भाया इसके बाद भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने विमर्श किया कलयुग में माता अन्नपूर्णा का क्षेत्र होगा काशी। माता अन्नपूर्णा का मंदिर अति प्राचीन है और यहां माता अन्नपूर्णा की तीन मूर्तियां हैं बाबा विश्वनाथ स्वयं भिक्षा मांग रहे हैं।
जब धनतेरस लगता है तब माता अन्नपूर्णा का कपाट खोल जाता है फिर पूजा अर्चना होती है पहले खजाने की पूजा होती है फिर माता अन्नपूर्णा की पूजा होती है। पूजा अर्चना हो जाने के बाद माता अन्नपूर्णा का खजाना भक्तों में बांटा जाता है। यह खजाना लोग अपने घरों में ले जाते हैं तो निश्चित तौर पर लोगों के घरों में बरक्कत होती है। साल भर लोगों का घर धन-धान्य से पूर्ण रहता है।
इस बार 5 दिन का त्यौहार मनाया जा रहा है पहले मंदिर का कपट 3 दिन के लिए ही खुलता था। 5 दिन माता अन्नपूर्णा का भक्तों को दर्शन मिलेगा और लाभ मिलेगा। और यह लगभग हजारों साल पुरानी परंपरा है।
ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ माता अन्नपूर्णा से स्वयं भिक्षा मांगने आए थे। माता अन्नपूर्णा काशी की रानी के स्वरूप में है और यह भिक्षा देती है तो बाबा सारे जग का कल्याण करते हैं। हम लोग इसी परंपरा का अभी तक निर्वाह करते चले आ रहे हैं।