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Diwali 2024: पूरे देश में इस दिन मनाई जाएगी दिवाली, काशी के विद्वानों ने किया बड़ा ऐलान
Diwali 2024: इस साल दिवाली मानाने को लेकर तारीखों को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, वाराणसी के साथ-साथ काशी के सभी सम्मानित पंचांगकारों, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वानों की बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है।
Varanasi News: इस साल दीपावली मानाने की तारीखों को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में काशी के सभी सम्मानित पंचांगकारों, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वानों की बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। पूरे देश में दीपावली मनाए जाने को लेकर संशय दूर हो गया है। काशी के विद्वानों ने मंगलवार को ऐलान किया है कि इस साल 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी। उनका तर्क है कि शास्त्रों के अनुसार मुख्यकाल प्रदोष में अमावस्या का होना जरूरी है और इस वर्ष प्रदोष ( 2 घण्टा 24 मिनट) एवं निशीथ (अर्धरात्रि) में अमावस्या 31 अक्टूबर, 2024 को है। इसलिए 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत है।
दीपावली मनाए जाने को लेकर काशी के विद्वानों ने लिया यह निर्णय
दीपावली मनाए जाने को लेकर उत्पन्न हुए संशय को दूर करने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग ने काशी विश्वनाथ न्यास परिषद्, काशी विद्वत परिषद् के साथ-साथ काशी के सभी पंचांगकारों, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वानों की बैठक हुई। इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि धर्मशास्त्र और गणितीय मान के आधार पर पूरे देश में 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली का पर्व मनाया जाना शास्त्रोचित है।
दीपावली 31 अक्टूबर को ही
काशी विद्वत् परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय ने बताया कि दृश्य गणित के द्वारा देश के कुछ भागों जैसे गुजरात, राजस्थान एवं केरल के कुछ क्षेत्रों में अमावस्या 31 अक्टूबर के सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद प्रदोष में कुछ काल तक व्याप्त हो रही है, जिससे 31 अक्टूबर एवं एक नवम्बर के स्थिति को लेकर कुछ विरोधाभास की स्थितियां उत्पन्न हो गई है, परंतु धर्मशास्त्रों अनुसार वहां भी दीपावली 31 अक्टूबर को ही सिद्ध हो रही है।
विद्वानों ने कहा कि देश के किसी भी भाग में 1 नवम्बर को पूर्ण प्रदोष काल में अमावस्या की प्राप्ति नहीं है, इसलएि 1 नवम्बर को किसी भी मत से दीपावली मनाना शास्त्रोचित नहीं है। उनका कहना है कि धर्मशास्त्र के ग्रंथों का सही तरीके से अध्ययन नहीं करने के कारण संशय की स्थिति उत्पन्न हुई है।
सभी सम्मानित पंचांगकार, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वान उपस्थित रहे
इस बैठक में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद् के अध्यक्ष प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय, प्रो. रामचंद्र पाण्डेय, प्रो. चन्द्रमौलि उपाध्याय, काशी विद्वत परिषद् के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी, प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री, ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, पूर्व धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. सुभाष पाण्डेय, डॉ. रामेश्वर शर्मा, डॉ. सुशील गुप्ता, विश्व पंचांगकार डॉ. अजय कुमार पाण्डेय, डॉ. अनिल कुमार मिश्र, डॉ. सुनील कुमार चतुर्वेदी, डॉ. मोहन कुमार शुक्ल, महावीर पंचांगकार डॉ. रामेश्वर ओझा, हृषीकेश पंचांगकार विशाल उपाध्याय एवं शिवमूर्ति उपाध्याय, रूपेश ठाकुर प्रसाद, शिवगोविंद, पंचांगकार अमित कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।