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Varanasi News: एक डॉक्टर ऐसीं, बेटी पैदा होने पर नहीं लेतीं फीस, बांटती हैं मिठाई

Varanasi News: आज के युग में जहां ज्यादा पैसा कमाने की लालच में डॉक्टर किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं, ऐसे में डॉक्टर शिप्राधर ने मानवता की मिसाल पेश की है।

Purushottam Singh Varanasi
Published on: 30 Jun 2023 3:20 PM IST

Varanasi News: डॉक्टर धरती के भगवान कहे जाते हैं। ऐसी ही एक डॉक्टर शिप्राधर हैं। महादेव की नगरी काशी में ये नारी शक्ति ही शक्ति की रक्षा कर रहीं। यूं कहें कि डॉक्टर शिप्राधर बेटियों के लिए धरती की भगवान से कम नहीं हैं।

बेटी नहीं है बोझ, आओ बदले सोच’ की थीम पर करती हैं काम

आज के युग में जहां ज्यादा पैसा कमाने की लालच में डॉक्टर किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं, ऐसे में डॉक्टर शिप्राधर ने मानवता की मिसाल पेश की है। जो देशभर के डॉक्टरों के लिए रोल मॉडल बनता जा रहा है। वाराणसी के पहड़िया स्थित श्रीनगर कालोनी में काशी मेडिकेयर नर्सिंग होम से जाति, धर्म और मजहब की सीमाओं से ऊपर उठकर बेटी के पैदा होने पर डॉक्टर शिप्राधर फीस नहीं लेती हैं। इतना ही नहीं, अगर परिवार गरीब होता है तो डॉक्टर शिप्राधर फाइनेंशियली मदद भी करती हैं। वो ‘बेटी नहीं है बोझ, आओ बदले सोच’ की थीम पर काम करतीं हैं। डॉ. शिप्राधर पिछले चार सालों में 239 बच्चियों का नि:शुल्क जन्म करा चुकी हैं। बीएचयू से एमडी करने के बाद डॉ. शिप्राधर की शादी डॉक्टर एमके श्रीवास्तव के साथ हुई।

एक बेटी को परिवार ने अपनाने से इंकार कर दिया, वहीं से लिया संकल्प

शादी के बाद डॉक्टर शिप्राधर ने काशी मेडिकेयर नर्सिंग होम में पति के साथ प्रेक्टिस करने लगीं। फिर अचानक उनकी जिंदगी में एक ऐसा दिन आया कि उनकी नर्सिंग होम में पैदा हुई एक बेटी को परिवार ने अपनाने से इंकार कर दिया। जिसपर डॉ. शिप्राधर ने उसी दिन से यह संकल्प लिया कि बेटियों के पैदा होने पर आज से फीस नहीं लूंगी और बेटियों के लिए जितना हो सकेगा उतना करूंगी। धीरे-धीरे समय बीतने के साथ सेवा कार्य का दायरा भी बढ़ता गया। आज वह दायरा इतना बढ़ गया है कि 30 बच्चियों के पालन पोषण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है और इस पुनीत कार्य में डॉ. शिप्राधर के पति कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। 25 जुलाई 2014 से बेटी पैदा होने पर फीस ना लेने और मिठाई खिलाकर खुशी मनाने की शुरुआत का किया हुआ संकल्प आज तक लगातार जारी है।

पीएम मोदी ने भी की थी तारीफ

डॉ. शिप्राधर के कार्यों की तारीफ काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में डीरेका के मंच से की थी। पीएम मोदी ने हजारों लोगों के सामने डॉक्टर शिप्राधर को सम्मानित भी किया था। वाराणसी की संस्थाओं ने भी डॉक्टर शिप्राधर का विशिष्ट सम्मान किया, उन्हें गुजरात में भी सम्मानित किया गया था। डॉक्टर शिप्राधर सुभाष चन्द्र बोस कन्याभ्रूण रचना अवार्ड, रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं।

गरीब बच्चियों को गोद लेकर करती हैं पालन-पोषण

डॉ. शिप्राधर ने 30 गरीब बच्चियों को गोद लिया है। इन बच्चियों की पढ़ाई लिखाई से लेकर इनकी हर जरुरतों को भी वो पूरा करतीं हैं। डॉ. शिप्राधर ‘बेटी नहीं है बोझ’ के स्लोगन पर काम करती हैं। गोद लीं हुईं बेटियों को समय-समय पर घुमाने के लिए बाहर भी ले जाती हैं। साथ ही उन्हें अच्छे एजुकेशन के लिए अच्छे स्कूलों में दाखिला भी करा रखा, जिसका खर्च डॉ. शिप्राधर खुद उठाती हैं। बातचीत में बच्चियों ने बताया कि हमें मां की तरह प्यार और दुलार करती हैं डॉक्टर शिप्राधर। वो कुपोषण से पीड़ित बच्चों की भी मदद करतीं हैं। कुपोषित बच्चों के लिए अनाज बैंक की स्थापना कर सीधे मदद दी जाती है। कुपोषित बच्चों के परिजनों को किट मुहैया कराती हैं। समय-समय पर नवजात बच्चों के लिए कई कार्यक्रम जैसे टीकाकरण, जागरूकता कैंप भी चलाया जाता है।



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Purushottam Singh Varanasi

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