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Sanatan Parampara: लोकमत की सनातन परंपरा पर मंथन के लिए काशी में संतों और विद्वानों की जुटान

Sanatan Parampara: लोकमत की सनातन परंपरा के माध्यम से स्वाधीन भारत के इस अमृत काल में 2047 के विकसित भारत के उस स्वरूप पर विमर्श होगा जिसको साकार करने में सभी को प्राणप्रण से जुटना है।

Sanjay Tiwari
Written By Sanjay Tiwari
Published on: 26 May 2024 8:26 PM IST
Gathering of saints and scholars in Kashi to brainstorm on the eternal tradition of Lokmat
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श्री काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री आचार्य गोविंद शर्मा: Photo- Newstrack

Sanatan Parampara: भारत में चल रहे लोकतांत्रिक महायज्ञ के लिए एक अनूठा आयोजन यहां रुद्राक्ष अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में किया जा रहा है। इसमें भाग लेने के लिए देश भर के संतों और विद्वानों की जुटान शुरू हो गई है। अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, काशी विद्वत परिषद , श्री गंगा महासभा और भारत संस्कृति न्यास के साथ अनेक समूह इस आयोजन में हिस्सा ले रहे हैं। इस आयोजन की विशेषता यह है कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य इसमें विशेष रूप से प्रतिभाग के लिए वाराणसी आ रहे हैं।

यह जानकारी देते हुए श्री काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री आचार्य गोविंद शर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय संत समिति और श्री गंगा महा सभा के राष्ट्रीयहा मंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद जी सरस्वती ने इस आयोजन का ऐसा प्रारूप गढ़ा है जिससे नए और विकसित भारत का एक आकार लेता स्वरूप विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकेगा। यद्यपि यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब देश में लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है लेकिन यह आयोजन ऐसा है जिसमें भारत के निर्माण और सनातन संस्कृति की महान परंपराओं के माध्यम से विश्वगुरु भारत के अभ्युदय की महान आकृति से दुनिया परिचित हो सकेगी।

भारत के सक्षम और सशक्त नेतृत्व को आधार एवं सबल प्रदान करने में संत समाज और विद्वत जनों की महती भूमिका पर विशेष चर्चा होगी। संस्कृति के मूल सिद्धांतों को अक्षुण्य रखने और भारत के संविधान की मूल भावना को संरक्षित करने के हर विंदु पर गंभीर विमर्श कर सक्षम और सशक्त भारत के निर्माण के लिए आवश्यक पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से 2047 के भारत के निर्माण का लिया जाएगा संकल्प

लोकमत की सनातन परंपरा के माध्यम से स्वाधीन भारत के इस अमृत काल में 2047 के विकसित भारत के उस स्वरूप पर विमर्श होगा जिसको साकार करने में सभी को प्राणप्रण से जुटना है। काशी का रुद्राक्ष सभागार निश्चित रूप से एक अद्भुत संदेश प्रसारित करने जा रहा है जिसमे शिक्षा, अर्थ, सामरिक, राजनीतिक और आस्था के बिंदुओं पर लोक पथ के लिए विशेष पाथेय मिलेगा।



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Shashi kant gautam

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