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Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी के ASI सर्वे की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा...'हिंदू मंदिर के सबूत, तहखाने में मिली मूर्ति'
Gyanvapi ASI Survey: एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी हिंदू पक्ष से वकील विष्णु शंकर जैन और मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाख अहमद को प्राप्त हुई। एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी 839 पन्ने की है।
Gyanvapi ASI Survey Report: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि, 'जिला जज के नकल विभाग कार्यालय ने उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद की एएसआई सर्वे रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के कुल पन्नों की संख्या 839 है। इस रिपोर्ट के साथ गुरुवार (25 जनवरी) को हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर ने प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कई दावे किए।
दरअसल, अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वे कराया गया था। पिछले साल 18 दिसंबर को एएसआई ने जिला जज की अदालत में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि सर्वे रिपोर्ट की कॉपी दोनों पक्षों को सौंपी जाए। 24 जनवरी को जिला अदालत ने सभी पक्षों को सर्वे रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।
'ASI ने कहा, यहां बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था'
हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर ने दावा किया है कि, जीपीआर सर्वे पर एएसआई ने कहा है कि, यह कहा जा सकता है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था। वर्तमान ढांचा के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। उन्होंने ये भी दावा किया कि, ASI के मुताबिक वर्तमान जो ढांचा है उसकी पश्चिमी दीवार पहले के बड़े हिंदू मंदिर का हिस्सा है। यहां पर एक 'प्री एग्जिस्टिंग स्ट्रक्चर' (Pre Existing Structure) है। उसी के ऊपर बनाया गया है।
हिन्दू-मुस्लिम पक्ष को सौंपी 839 पन्ने की रिपोर्ट
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे रिपोर्ट की कॉपी हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष को मिल गई। सर्वे रिपोर्ट में तहखानों से सनातन धर्म (Sanatana Dharma) से जुड़े सबूत मिलने का दावा किया गया है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी हिंदू पक्ष से वकील विष्णु शंकर जैन और मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाख अहमद को मिली है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी 839 पन्ने की है। आपको बता दें, ASI सर्वे ज्ञानवापी में 92 दिनों तक चला था।
स्वस्तिक-नागदेवता-कमल पुष्प के निशान
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, इस सर्वे रिपोर्ट में स्वस्तिक के निशान, नाग देवता के निशान, कमल पुष्प के निशान, घंटी के निशान मिले हैं। दीवारों पर ओम लिखा हुआ निशान मिला है। टूटी हुई विखंडित हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां भारी संख्या में मिली हैं। इसके साथ ही मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष मिले हैं। वहीं, GPRS सर्वे में विखंडित शिवलिंग भी मिले हैं।
दोनों पक्ष को प्रमाणित प्रतियां सौंपी गईं
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के अपने सर्वेक्षण में पाया है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। अदालत द्वारा रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करने के बाद ज्ञानवापी विवाद में दोनों पक्षों को एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतियां सौंपी गईं हैं।
वकील ने दी जानकारी
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने एएसआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एएसआई ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह एएसआई का निर्णायक निष्कर्ष है। यह दावा ज्ञानवापी मामले में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। माना जाता है कि 1669 में औरंगजेब द्वारा एक पुराने शिव मंदिर को ध्वस्त करने के बाद इस मस्जिद का निर्माण करवाया गया था। हिंदू संगठनों का लंबे समय से यह दावा रहा है कि मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर के अवशेष दबे हुए हैं और इस स्थान को उन्हें वापस लौटाया जाना चाहिए।
हिन्दू मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई
839 पेज की रिपोर्ट में एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ये पाया गया है कि मस्जिद से पहले वहां हिन्दू मंदिर था, उसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। एएसआई ने ये पाया है कि हिन्दू मंदिर का स्ट्रक्चर 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है और मस्जिद बनाने में मलबे का उपयोग किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, दो तहखानों में हिन्दू देवी-देवताओं का मलबा मिला है। एएसआई की रिपोर्ट में ये पाया गया है कि मस्जिद की पश्चिमी दीवार एक हिन्दू मंदिर का भाग है। पत्थर पर फारसी में मंदिर तोड़ने में आदेश और तारीख मिली है। महामुक्ति मंडप लिखा पत्थर भी मिला है। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वह अब वजू खाने के सर्वे के लिए मांग करेंगे। उन्होंने कहा, "एएसआई ने कहा है कि वहां पर 34 शिलालेख हैं, जहां पर पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के थे। जो पहले हिंदू मंदिर था उसके शिलालेख को पुन:उपयोग कर ये मस्जिद बनाई गई। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं।
सभी साक्ष्य वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर संकलित किए गए थे। स्ट्रक्चर के तीनों गुंबद के ऊपर भी जांच टीम ने जांच की थी। एएसआई की टीम अपने उपकरणों के जरिये परिसर में मिली कलाकृतियों और मूर्ति के कालखंड का पता लगाया था।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- गलियारों में खंभों और प्लास्टरों का सूक्ष्म अध्ययन बताता है कि वे मूल रूप से एक पूर्व-मौजूद हिंदू मंदिर का हिस्सा थे, जिन्हें वर्तमान संरचना में फिर से इस्तेमाल किया गया।
- कमल पदक के दोनों ओर नक्काशीदार व्याल आकृतियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया था और कोनों से पत्थर का द्रव्यमान हटाने के बाद, उस स्थान को पुष्प डिजाइन से सजाया गया था।
- यह अवलोकन पश्चिमी कक्ष के उत्तरी और दक्षिणी दीवारों पर अभी भी मौजूद दो समान प्लास्टरों द्वारा समर्थित है।