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Varanasi News: कदम के पेड़ से भगवान श्री कृष्ण ने कालिया दह में लगाई छलांग, नाग नथैया का हुआ मंचन
Varanasi News: भगवान श्री कृष्ण रूप धारी पात्र कदंब की डाल पर चढ़े तुलसीघाट का वातावरण जय श्रीकृष्ण, हर-हर महादेव की अनगूंज से गूंज उठा। दृश्य भी ऐसा कि मानों द्वापर के दर्शन हो रहे हों।
Varanasi News: सात वार और नौ त्यौहार की नगरी काशी में गोस्वामी तुलसी दास द्वारा साढ़े चार सौ साल पूर्व काशी में शुरू की गई नाग नथैया लीला में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा। काशी में इस मौके पर मां गंगा ने कालिंदी का रूप धरा और जैसे ही भगवान श्री कृष्ण रूप धारी पात्र कदंब की डाल पर चढ़े तुलसीघाट का वातावरण जय श्रीकृष्ण, हर-हर महादेव की अनगूंज से गूंज उठा। दृश्य भी ऐसा कि मानों द्वापर के दर्शन हो रहे हों। इस मौके पर काशिराज परिवार के उत्तराधिकारी कुंवर अनंत नारायण आदि विशिष्ठ जन मौजूद रहे। कार्तिक शुक्ल चतुर्थ को पिछले 457 साल से अनवरत हो रही इस लीला को नयनों में कैद करने के लिए हजारों आंखें की पलकें जैसे थम गई थीं।
श्रीकृष्ण, हर-हर महादेव से गूंजा वातावरण
10 मिनट के इस लीला में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं। जैसे-जैसे वह कदम की डाल पर चढ़ते गए और जैसे ही उन्होंने यमुना रूप गंगा में कालिया नाग के मर्दन के लिए छलांग लगाई माहालो में जैसे सन्नाटा छा गया। यह सियापा तब तक रहा जब तक कि भगवान श्रीकृष्ण रूप धारी कालिया का मर्दन कर ऊपर नहीं निकले। कालिया मर्दन के बाद श्रीकृष्ण रूप धारी के जल से बाहर निकलते एक बार फिर से वातावरण में जय श्रीकृष्ण हर हर महादेव से गूंज उठा।
इस दौरान भगवान श्री कृष्ण का डमरू दल ने डमरू बजाकर स्वागत के साथ ही विधि विधान के साथ आरती उतारी गई। चंद मिनटों की इस लीला को देखने के लिए काशी ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने व विदेश से भी भक्त तुलसीघाट पहुंचे थे। जहां तक नजर जा रही थी बस नरमुंड ही दिख रहा था। क्या जल और क्या थल चारों तरफ सिर्फ कृष्ण प्रेमी ही नजर आ रहे थे। गंगा की लहरों के बीच बजड़ों और स्टीमर पर सवार दर्शक अपलक इस लीला को निहारते रहे। लीला के पल-पल के घटनाक्रम को भक्तों ने मोबाइल कैमरों में भी कैद किया।
कालिया का मर्दन कर निकले विजेता श्री कृष्ण के जयघोष के बीच संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र और उनके अनुज डॉ विजय नाथ मिश्र ने माल्यार्पण कर आशीर्वाद ग्रहण किया। फिर भगवान श्री कृष्ण, उनके मित्र सुदाम और अन्य मित्रों की टोली ने यमुना रूपी गंगा में चारों दिशाओं का भ्रमण कर दर्शकों को दर्शन देने के साथ ही आशीर्वाद दिया। इसके बाद तुलसी घाट पर श्रीकृष्ण व उनकी मित्र मंडली की आरती उतारी गई।