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Varanasi News: हर लावारिस लाश के अपने हैं ये दो युवा, एक कहानी ऐसी जो रोने पर कर देगी मजबूर

Varanasi News: भगवान अपने किसी न किसी दूत को लोगों की मदद के लिए भेज देते हैं। ऐसे ही एस श्रीरमण के लिए अपने बनकर आए अमन कबीर और प्रदीप जिन्होंने श्मशान घाट मणिकर्णिका ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से मृतक का अंतिम संस्कार करवाया।

Purushottam Singh Varanasi
Published on: 14 Jun 2023 7:25 AM GMT (Updated on: 16 Jun 2023 6:17 AM GMT)

Varanasi News: मोक्ष की नगरी काशी में नेकी का एक ऐसा उदाहरण देखने को मिला है जो आज के जेनरेशन को सबक देने के लिए काफी है। वैसे इस खबर में दो कहानी है, लेकिन दोनों के ऐसा कनेक्शन जो आपको भावुक कर देगा। दरअसल काशी में दो भाइयों ने अविवाहित रहकर एक दूसरे की देखभाल की कसम खाकर साथ रहे। लेकिन निष्ठुर काल को कुछ और ही मंजूर था। बड़े भाई का साथ छोड़कर छोटा भाई हमेशा के लिए चिरयात्रा पर चला गया। वाराणसी के मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में अपने छोटे भाई का शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए लोगों से बड़ा भाई मदद की गुहार लगा रहा था लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। ऐसे में ही अपना बनकर अमन कबीर और सुमित सर्राफ मिले। इन्होंने ने केवल अंतिम संस्कार कराया बल्कि दु:ख की घड़ी में ढांढस भी बंधाया।

तमिलनाडु से काम की तलाश में काशी आए थे दो भाई

पहले कहानी दो भाइयों की। तमिलनाडु से चलकर एस श्रीरमण और उनके भाई वेंकटेश्वर काम की तलाश में काशी आए थे। दोनों भाई कैटरिंग के अच्छे कारीगर हैं। काम की तलाश करते करते दोनों भाइयों के पास से पैसा खत्म हो गया। दोनों भाइयों में प्यार इतना था कि दोनों ने आजीवन कुंआरा रहने का निर्णय लिया। लेकिन कहते हैं नियति और काल के आगे सब कुछ फेल हो जाता है। कल यानि मंगलवार दोपहर में वेंकटेश्वर की तबीयत अचानक खराब हो गई बड़े भाई श्री रमण ने वाराणसी के मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में अपने छोटे भाई वेंकटेश्वर को भर्ती कराया। जहां इलाज के बाद डॉक्टरों ने वेंकटेश्वर को मृत घोषित कर दिया। अपने छोटे भाई वेंकटेश्वर के अंतिम संस्कार के लिए भी बड़े भाई के पास पैसा नहीं था। कबीर चौरा में रोते हुए बड़े भाई लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे लेकिन किसी का भी दिल नहीं पसीजा।

अपने बनकर अमन कबीर ने किया अंतिम संस्कार

कहते है न कि जिसका कोई नहीं होता, उसके लिए भगवान होता है। भगवान अपने किसी न किसी दूत को भेज देते हैं। ऐसे ही एस श्रीरमण के लिए अपने बनकर आए अमन कबीर और प्रदीप। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा की नर्स और डॉक्टरों ने परेशान भाई को अमन कबीर का नंबर दिया। फोन पर रोते हुए बड़े भाई ने अपनी व्यथा अमन कबीर को बताई। अमन कबीर ने बिना देर किए मंडलीय अस्पताल कबीर चौरा पहुंचकर लोगों से मदद की गुहार लगाई अमन कबीर की गुहार सुनकर सुमित सर्राफ नाम के व्यक्ति मदद के लिए सामने आए। अमन कबीर ने हीरा रथ के माध्यम से महा श्मशान घाट मणिकर्णिका ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से मृतक का अंतिम संस्कार करवाया।

सैकड़ों लावारिस लोगों का कर चुके हैं अमन कबीर अंतिम संस्कार

खबर में दूसरी कहानी हैं अमन कबीर। कोरोना काल से ही अमन कबीर अभी तक सैकड़ों लावारिस शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार। लावारिस और असहाय लोगों के लिए देवदूत से कम नहीं है अमन कबीर। बाइक एंबुलेंस से शुरुआत करने वाले अमन कबीर आज हीरा रथ एंबुलेंस से नि:शुल्क सेवा करते हैं। पुलिस प्रशासन भी अमन कबीर की मदद लेता है। अमन हर लावारिश के अपने होकर उसका विधि-विधान से अंतिम संस्कार करते हैं।

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