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G-20 Summit 2022-23: वाराणसी, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ और आगरा में होंगे जी-20 के विविध आयोजन, सीएम योगी ने दिए ये निर्देश

G-20 Summit 2022-23: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश के समग्र विकास के लिए विविध कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

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Newstrack Network
Published on: 9 Aug 2022 5:09 PM GMT
CM Yogi Adityanath
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ: Photo- Social Media

Lucknow: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश के समग्र विकास (overall development of the UP) के लिए विविध कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इसके साथ ही आगामी दिसम्बर 2022 से दिसंबर 2023 की अवधि में भारत की अध्यक्षता में होने वाले जी-20 सम्मेलन (G20 Summit) के सफल आयोजन के लिए उच्चाधिकारियों का मार्गदर्शन भी दिया।

जी-20 सम्मेलन के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिये गए दिशा-निर्देश के प्रमुख बिंदु-

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में भारत को आगामी दिसंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक विश्व के बड़े राष्ट्रों के समूह जी-20 की अध्यक्षता करने का सुअवसर मिलने जा रहा है। यह वैश्विक समारोह उत्तर प्रदेश के लिए अपार संभावनाओं से परिपूर्ण है। यह कार्यक्रम ब्रांड यूपी को दुनिया से परिचय कराने का शानदार मंच है। हमें इस वैश्विक समारोह का लाभ लेना चाहिए। 'नए भारत के नए उत्तर प्रदेश' के पोटेंशियल से पूरी दुनिया परिचित हो, इसके लिए हमें प्रदेश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विशेषताओं को सुव्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना होगा। इस संबंध में एक बेहतर कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए।

-उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 के एक वर्ष की अवधि में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, लखनऊ आगरा और ग्रेटर नोएडा में अलग-अलग कार्यक्रम होने प्रस्तावित हैं। इन जनपदों में 'अतिथि देवो भव' की भारतीय भावना के अनुरूप आयोजन को भव्य बनाने की तैयारी की जाए।

-मुख्यमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने भारत को 'मदर ऑफ डेमोक्रेसी' की संज्ञा दी है। उत्तर प्रदेश के पास समृद्ध इतिहास की विरासत है। जी-20 के मंच पर प्रदेश की प्राचीन कला, संस्कृति, इतिहास, पुरातात्विक विशिष्टताओं का संकलन कर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस कार्य के लिए आवश्यकतानुसार इतिहासकारों, पुरातत्व विशेषज्ञों, कला-संस्कृति के मर्मज्ञ जनों का समूह बनाकर आवश्यक शोध अध्ययन कराया जाए।

-जनवरी 2023 में प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर विभिन्न देशों में प्रवास करने वाले एकजुट होंगे। इस अवसर पर हमें प्रवासी भारतीयों को "उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना" से जोड़ने के प्रयास करने चाहिए। बहुत से प्रवासी भारतीयों ने इस योजना में रुचि दिखाई है। यह योजना आमजन को विकासकार्यों में प्रत्यक्ष भागीदार बनने का सहज माध्यम है।

- उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की संकल्पना को आगे बढ़ाते हुए हमें विभिन्न राज्यों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना चाहिए। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विशेषताओं से अन्य राज्यों को परिचित कराने के लिए सांस्कृतिक टोलियां भेजी जानी चाहिए। इसी प्रकार अन्य राज्यों की टोलियों को अपने प्रदेश में आमंत्रित किया जाए।

- प्रधानमंत्री के दूरदर्शी विचारों से प्रकाशित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान के सैद्धांतिक और व्यावहारिक आयामों का बेहतर समावेश है। यह नवीन नीति समाज को स्वाबलंबन और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप स्कूल और उच्च शिक्षण संस्थानों में यथाशीघ्र पाठ्यक्रम को संशोधित किया जाए। 04 वर्षीय स्नातक की व्यवस्था को लागू करने के लिए आवश्यक बदलाव किया जाए।

-प्राविधिक और चिकित्सा शिक्षा से जुड़े कोर्स के पाठ्यक्रम मातृभाषा में तैयार कराये जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि कंटेट गुणवत्तापरक हों। प्रदेश के सभी उच्च एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों के लिए अकादमिक गुणवत्ता का सत्यापन अनिवार्य किया जाना चाहिए। अकादमिक संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो।

-डिजिटल कनेक्टिविटी को और बेहतर करने के लिए हर गांव में टेलीकॉम टॉवर/ऑप्टिकल फाइबर के विस्तार की कार्ययोजना तैयार की जाए। भविष्य के लिहाज से यह प्रयास अत्यंत उपयोगी होगा। इस संबंध में भारत सरकार से भी आवश्यक सहयोग प्राप्त हो सकेगा।

-प्राकृतिक खेती की महत्वाकांक्षी योजना से कृषि विश्वविद्यालयों को जोड़ा जाए। नेचुरल फॉर्मिंग की महत्वाकांक्षी योजना को प्रभावी बनाने के लिए यथाशीघ्र बोर्ड का गठन किया जाए।

-प्रदेश के समग्र विकास के लिए शहरीकरण एक अहम आयाम है। विगत दिनों शासन स्तर पर विभिन्न नगरीय निकायों की सीमा विस्तार की कार्यवाही हुई है, साथ ही कई नए नगरीय निकाय भी गठित हुए हैं। भविष्य के दृष्टिगत हमें नए शहरों के स्थापना-विकास की दिशा में नियोजित प्रयास करना होगा। नगर विकास विभाग व आवास विभाग द्वारा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में नवीन शहरों के स्थापना के लिए अध्ययन कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसके साथ ही शहरी विकास प्राधिकरणों की सीमा विस्तार की कार्यवाही भी की जाए।

-सतत प्रयासों से प्रदेश ने अपने निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि की है। हमें आयात की निर्भरता कम करते हुए वोकल फ़ॉर लोकल की भावना को बढ़ाना होगा। गेहूं और धान के साथ-साथ सब्जी और फल आदि के उत्पादन और निर्यात में प्रदेश ने अभूतपूर्व प्रगति की है। ऐसे कृषि उत्पादों को हमें बढ़ावा देना होगा। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए दलहन, तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हमें प्रयास तेज करने होंगे। किसानों को कृषि विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करना होगा। इस दिशा में कार्यवाही तेज की जाए।

-वाराणसी के गोबरधन मॉडल 'वेस्ट से वेल्थ' का शानदार उदाहरण है। आज उत्तर प्रदेश की बीसी सखी योजना, ऑपरेशन कायाकल्प, मिशन प्रेरणा और ग्राम सचिवालय देश में एक मॉडल के रूप में सराहे जा रहे हैं। तकनीक की मदद से ऐसे अधिकाधिक नवाचारी कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

-प्रदेश के समग्र विकास के लिए स्थानीय निकाय इंजन की भूमिका में हैं। हमारे गांवों में असीमित क्षमता है। लोग नवाचार को स्वीकार करने वाले हैं।आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर नगर निकाय के लक्ष्य के साथ आज प्रदेश के स्थानीय निकाय मिशन मोड में काम करना होगा।

Shashi kant gautam

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