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अयोध्या के कटरा मोहल्ले के लाल किरण मिश्र नहीं रहे, कोरोना से हुआ निधन

पंडित किरण मिश्र की कोरोना के चलते मौत हो गई है। उनका अयोध्या और गोरखपुर दोनों से ही नाता रहा।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 16 April 2021 5:44 PM IST (Updated on: 16 April 2021 5:46 PM IST)
पंडित किरण मिश्र अयोध्यावासी का हुआ देहांत
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पंडित किरण मिश्र अयोध्यावासी (फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: पंडित किरण मिश्र अयोध्यावासी नहीं रहे यह खबर सुनकर एक झटका लगा। कोरोना के काल रूपी नियति ने अपने क्रूर हाथों से हमसे हमारा प्यारा गीतकार छीन लिया। पंडित किरण मिश्र का अयोध्या और गोरखपुर दोनों से ही नाता रहा। 5 जुलाई 1953 को किरण मिश्र का जन्म हुआ। उनके माता पिता का नाम पंडित दिनेश मिश्र और श्रीमती शोभा देवी था। अयोध्या के कटरा मोहल्ले में किरण का बचपन बीता।

किरन को बचपन से ही फिल्में दिखाने व बनाने का शौक था। छोटो भाइयों को अपना सहायक बनाकर वह मोहल्ले के बच्चों को फिल्म दिखाने में जुटे रहते थे। किरन का यह सिनेमाघर का क्या था कुछ टूटे फूटे मशीनी टुकड़े। रेडियो। कागज और विद्युत उपकरण। इसी से वह अपनी कल्पना की फिल्में गढ़ा करते थे। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि यही उनकी फिल्मी दुनिया थी। हां इस बहाने कटरा मोहल्ले मे बच्चों की महफिल में वह हीरो थे।

समय अपनी गति से चलता रहा। किरन को कभी इसका अहसास नहीं हुआ। बीए करने के समय तक वह एक से बढ़कर एक चित्र बनाने लगे थे।

गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से चित्रकला में प्रथम श्रेणी में एमए की परीक्षा पास की। कलात्मक प्रतिभा के धनी किरण मिश्र को गोरखपुर विश्वविद्यालय में ही कला विभाग में प्रोफेसर बनने का अवसर मिला।

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनना वैसे तो बड़े नसीब की बात तब भी थी और आज भी है लेकिन पंडित मिश्र को कुछ रास नहीं आ रहा था। नौकरी कर रहे थे। अब उनकी पीड़ा गीतों में बयां होने लगी थी।

पंडित किरण मिश्र (फोटो- सोशल मीडिया)

ऐसे शुरू हुआ किरण मिश्र फिल्मी सफर

कहते हैं कि लगन और भाग्य दोनो मिल जाएं तो व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो जाती है तभी एक दिन अचानक किरण मिश्र को मुंबई से गीत लेखन का आमंत्रण मिला। यह दुखती रग पर हाथ पड़ने जैसा था। उन्हें अपनी मंजिल के लिए एक उम्मीद जगी और मुंबई पहुंच गए।

लेकिन पंडित किरण मिश्र की पहली फिल्म थी जिसमें उनके लिखे गीत को महेंद्र कपूर और अनुराधा पौडवाल ने स्वर दिये। शुरुआती संघर्ष फिर भी जारी रहा। कुछ समय तक आर्ट फिल्मों के निर्देशक के रूप में भी काम किया।

लेकिन स्थापित हुए गीतकार के रूप में। गीतों एवं भजनों के माध्यम से किरण मिश्र ने विशिष्ट स्थान बनाया। महाभारत सीरियल जिसे कोरोना काल में लोग फिर से देख रहे हैं। उस सीरियल के अंतिम गीत महाभारत सा युद्ध न हो ने तो इनकी प्रतिष्ठा को चतुर्दिक फैला दिया।

टीवी धारावाहिकों में महाभारत, तिरुपति बालाजी, दयासागर, चलें गांव की ओर, शिव पुराण, उपकार, देवर्षि नारद, जय गणेश, अभिनय, थोड़ा हकीकत थोड़ा फसाना, आदिशक्ति भगवती, निर्मला, सुनहरे पल, सुख-दुख, धर्म और हम, शक्ति, कसौटी तथा जिंदगी ने पंडित किरण मिश्र को नई ऊंचाइयां दीं।

इसके अलावा घर घर की कहानी, जब अपने हुए पराए, कुलवधू, कसम से, कयामत, कस्तूरी, 'यह रिश्ता क्या कहलाता है' तथा 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' ऐसे सीरियल हैं जिनका इंतजार लोगों को रहता था।

गज़ल सम्राट स्वर्गीय जगजीत सिंह जी की गायी अधिकांश गज़लें और रचनाएं किरण मिश्र की ही लिखी हुई हैं। आज किरण मिश्र का शरीर भले ही हमारे बीच न हो लेकिन उनके द्वारा गढ़े गए गीत हमारे कानों से हमेशा रस घोलते रहेंगे।



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Shreya

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