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Kal Yatra in Kairana Video: कैराना का 'काल' सौहार्द की अनूठी मिसाल, महाभारत के कर्ण से जुड़ा है किस्सा, जरूर पढ़ें

Shamli News Today: काले रंग का आदमी जब दौड़ता है तो बाजार में उस वक्त पीछे-पीछे हजारों की भीड़ दौड़ती है और मार भी खाती है, डर कर भागती भी है, लोग उसे काल कहते हैं।

Pankaj Prajapati
Published on: 20 Sept 2022 6:10 PM IST (Updated on: 20 Sept 2022 6:45 PM IST)
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शामली: कैराना का 'काल' सौहार्द की अनूठी मिसाल

Shamli Viral Video: काले रंग का आदमी जब दौड़ता है तो बाजार में उस वक्त पीछे-पीछे हजारों की भीड़ दौड़ती है और मार भी खाती है, डर कर भागती भी है, लोग उसे काल कहते हैं। कैराना में रामलीला के एक दिन पूर्व काल जुलूस निकाला जाता है। सदियों पुरानी इस परंपरा को जीवित रखने में हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय भी पूरी जिम्मेदारी निभा रहा है। यह देखकर अजीबो-गरीब लगता है जिसे प्रसाद समझकर लोग काल से मार खाते हैं। कॉल जुलूस यहां हिंदू-मुस्लिम समुदाय के सौहार्द व भाईचारा का मिसाल कायम कर रहा है।

बताया जाता है कि महाभारत काल में कुरुक्षेत्र की लड़ाई में जाते वक्त कर्ण ने जिस स्थान पर रात्रि में विश्राम किया था उनका करण नगरी पड़ गया था और अब उसका नाम बदलकर कैराना हो गया। सालों से चल रही यह परंपरा देखनी हो तो कभी कैराना आइए।

महाभारत के कर्ण के नाम पर पड़ा था कैराना का नाम

शामली जनपद के मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित करण की इस नगरी में दोनों संप्रदाय के सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने लायक है। हिंदू परंपरा के अनुसार रामलीला महोत्सव शहर में शुरू हो चुका है। लेकिन इस बीच निकाले जाने वाले काल का जुलूस की परंपरा अभी कहीं देखने को नहीं मिलती है।

कैराना देश में एकमात्र ऐसा शहर है जहां पर आज भी यह परंपरा जारी है। खास बात यह है कि काल के इस जुलूस में मुस्लिम बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं और जुलूस निकालते हैं। यही नहीं जहां तक होता है वहां तक सहयोग भी प्रदान करते हैं। कैराना में रामलीला मंच का आयोजन कई सालों से किया जाता है।

कॉल का श्रृंगार

एक व्यक्ति को काले रंग से रंगकर कॉल बनाया जाता है। उसके हाथों में एक लकड़ी की तलवार भी बना कर दी जाती है। जब उस पर श्रृंगार हो जाता है तब वह व्यक्ति काली माता के मंदिर में जाता है और काली माता की पूजा करता है। पूजा करने के बाद कॉल करण नगर में निकल पड़ता है।

काल भागता-दौड़ता रहता है और लोगों को लकड़ी की तलवार से मारता भी है, वह किसी भी व्यक्ति को पकड़कर उससे चिपक भी जाता है और उसके काले कपड़े भी कर देता है। इस प्रथा को लोग भगवान का प्रसाद समझते हैं। काले कपड़े करवाने के बाद भी उनको पैसे दिए जाते हैं।

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि रामायण काल (Ramayana period) में लंका के राजा रावण ने अपनी शक्ति के बल पर कॉल को बंदी बना लिया था क्योंकि रावण को घमंड था जब यह काल उसका बंदी है तो उसका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उसी परंपरा के आधार पर रामलीला के शुरू में ही काल को निकाला जाता है जिसे बाद में रावण द्वारा बंदी बना लिया जाता है और जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई कर रावण से युद्ध करते हैं तब रावण के विनाश के लिए काल को मुक्त भी कराया गया था।

शामली के कैराना में जहां 95% मुस्लिम बहुमूल्य क्षेत्र है वहां एक अनोखी रामलीला होती है करीब 91 वर्षों से रामलीला चल रही है। मुख्य भारतीय की रामलीला पहले होती थी उसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे।



Shashi kant gautam

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