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Lucknow News: बुनियादी स्तर की चर्चा भी औपचारिक शिक्षा का अंग, बोले डी. रामकृष्ण राव

lucknow News: राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा' भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए न केवल एक अभिनव पहल है, बल्कि देश की भावी पीढ़ियों को और अधिक सक्षम बनाने का मार्ग है।

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Published on: 22 Oct 2022 1:40 PM GMT
Lucknow News
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डी. रामकृष्ण राव

lucknow News: केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा बुनियादी स्तर के लिए 'राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा' भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए न केवल एक अभिनव पहल है, बल्कि देश की भावी पीढ़ियों को और अधिक सक्षम बनाने का मार्ग है। अभी तक सरकार की दृष्टि में स्कूली शिक्षा की शुरुआत पहली कक्षा से होती थी, किन्तु राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत बुनियादी स्तर की शिक्षा को भी औपचारिक शिक्षा का अंग माना गया है। अभी तक सरकार की आँगनबाड़ी, बालबाड़ियों में तथा पब्लिक/प्राइवेट स्कूलों में प्ले वे या नर्सरी के.जी. के नाम पर चलने वाली ये कक्षाएं अब औपचारिक शिक्षा का भाग मानी जायेंगी और इन बाल वाटिकाओं के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का निर्धारण और घोषणा एक सुविचारित एवं बहुप्रतीक्षित कदम है। उक्त बातें विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने एक वक्तव्य में कही।

रामकृष्ण राव ने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता विकास की प्राथमिकताओं तथा विकास लक्ष्यों की दृष्टि से इस पाठ्यचर्या रूपरेखा में दो विशिष्ट बातों का समावेश किया गया है। पहला है, शिक्षा के माध्यम से शिशु के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास अर्थात केवल किताबी पढ़ाई और परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बजाय उसके व्यक्तित्व के सभी अंगों का विकास हो, यानी उसका शरीर सबल-सुपुष्ट-सुडौल-नीरोगी हो, उसकी प्राणशक्ति तथा ऊर्जा का स्तर प्रबल हो, उसका मन शान्त और एकाग्र हो, उसकी बुद्धि विवेकपूर्ण यानी अच्छे-बुरे, सही-गलत का निर्णय करने में सक्षम हो तथा उसकी प्रवृत्ति में नैतिकता तथा आध्यात्मिकता का समावेश हो। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में इसे पंचकोशात्मक विकास कहा गया है, जिसके अनुसार मनुष्य को केवल देह नहीं वरन् शरीर प्राण-मन-बुद्धि-आत्मा का समुच्चय माना गया है।

उन्होंने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष है, समग्र विकास की संकल्पना उपर्युक्त सर्वांगीण विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व का तो विकास होगा, किन्तु व्यक्ति आत्मकेन्द्रित होकर रह गया तो उसके व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास तो नहीं कहा जा सकेगा। व्यक्ति के रूप में जन्म लेकर उसकी संवेदना एवं दायित्वबोध उसके परिवार समाज राष्ट्र- मानवता तथा अन्ततः सम्पूर्ण सृष्टि के प्रति हो, यह देवीय भाव विकसित किया जाना शिक्षा का अन्तिम लक्ष्य होना चाहिए। दुनिया भर के शिक्षाशास्त्री इन विकास लक्ष्यों से सहमत है प्रसिद्ध अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा आयोग- डेलर्स कमीशन (1996) ने भी प्रकारान्तर से विश्व भर के शिक्षाविदों और सरकारों का ध्यान इन बिन्दुओं की ओर आकर्षित किया था।

उन्होंने कहा कि तीन से छह वर्ष के बच्चे इस समूह में आते हैं। उनके लिए शिक्षा की प्रचलित पद्धति पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक, कक्षा शिक्षण, गृहकार्य, परीक्षा सफल नहीं हो सकती। इस आयु वर्ग के शिशु अपनी मर्जी के मालिक होते हैं। विद्यालय के अनुशासन और व्यवस्थाओं को नहीं जानते-समझते। उनको सिखाना है तो पद्धति रोचक और आनन्ददायक होनी चाहिए। इस दृष्टि से तीसरी उल्लेखनीय बात जिसकी ओर इस राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रुपरेखा ने विशेष संकेत किया है, वह है- खेल-खेल में सिखाना, खिलौनों के माध्यम से, गतिविधियों के माध्यम से और आनन्द देने वाले कक्षा कक्ष और मैदान के कार्यक्रमों के माध्यम से सिखाना। इससे बच्चे सीखने को बोझ की तरह न समझकर मौज मस्ती में सीखेंगे, रटने की प्रवृति से बचेंगे और पढाई तथा स्कूल के प्रति उनके मन में बचपन से जो भय विकसित होता है, उससे वे बचे रहेंगे। वास्तव में, पढ़ाई से डरने वाले यही बच्चे बाद में ड्रॉप आउट्स होते हैं।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष तथा 1986 में घोषित नई शिक्षा नीति के 35 वर्ष बाद भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। विगत 70 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र में निरन्तर कार्यरत संगठन के रूप में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान आज घोषित बुनियादी स्तर के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2022 का स्वागत करता है तथा प्रधानमंत्री एवं शिक्षामंत्री, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रारूप तैयार करने में जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, ऐसे प्रख्यात वैज्ञानिक, शिक्षाविद डॉ. के. कस्तूरीरंगन तथा उनकी पूरी टीम का हार्दिक अभिनंदन करता है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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