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Uttar Pradesh: बिजली कर्मचारियों का सोमवार से दो दिन के प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार का आह्वान, इस वजह से हुए आंदोलन पर मजबूर
Uttar Pradesh: बिजली विभाग के राज्य कर्मचारियों ने केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा कथित तौर पर चर्चा में बनी निजीकरण की नीतियों के विरोध में दो दिवस का कार्य बहिष्कार करेंगे।
Lucknow: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) में बिजली विभाग (electricity department) के राज्य कर्मचारियों ने केन्द्र व राज्य सरकारों (state governments) द्वारा कथित तौर पर चर्चा में बनी निजीकरण की नीतियों (privatization policies) एवं बिजली (संशोधन) बिल 2021 के विरोध में प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार (statewide work boycott) और आंदोलन का आह्वान किया है। इसी आह्वान के मद्देनज़र और बिजली विभाग के कर्मचारियों को होने वाली अन्य तमाम समस्याओं के समाधान हेतु प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजलीकर्मियों का देश के सभी प्रांतों के बिजली कर्मियों के साथ दो दिवस का कार्य बहिष्कार (two day work boycott) कल से प्रारम्भ हो रहा है।
केंद्र एवं राज्य सरकार की निजीकरण की नीतियों एवं इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के विरोध में प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मी देश के सभी प्रांतों के बिजली कर्मियों के साथ कल से दो दिन का कार्य बहिष्कार प्रारम्भ करेंगे एवं सभी जनपद मुख्यालयों एवं परियोजनाओं व राजधानी लखनऊ में मध्यांचल मुख्यालय पर विरोधसभा आयोजित की जायेगी ।
समिति के पदाधिकारी रहेंगे शामिल
कर्मचारी संघर्ष समिति (staff struggle committee) के प्रमुख पदाधिकारियों वी पी सिंह,प्रभात सिंह ,जी वी पटेल, जयप्रकाश,गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, राजेंद्र घिल्डियाल, सुहेल आबिद, पी के दीक्षित, ब्रजेश त्रिपाठी, महेंद्र राय, शशिकांत श्रीवास्तव, प्रेमनाथ राय, ए के श्रीवास्तव, सनाउल्लाह, सुनील प्रकाश पाल, कुलेन्द्र सिंह, मो वसीम शेख, विशम्भर सिंह,शम्भू रत्न दीक्षित,रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, राम सहारे वर्मा,आर के सिंह,जी पी सिंह कार्य बहिष्कार में शामिल रहेंगे और इन्होनें आज विरोध को लेकर जारी संयुक्त बयान में कहा कि-"केंद्र सरकार निजीकरण की दृष्टि से बिजली (संशोधन) बिल 2021 को संसद में पारित कराने जा रही है जिसका बिजली कर्मियों और बिजली उपभोक्ताओं पर व्यापक प्रतिगामी प्रभाव पड़ने वाला है।"
इसी के साथ कर्मचारी समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि संशोधन बिल पर बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं से कोई राय नहीं ली गई है केवल औद्योगिक घरानों से ही विचार विमर्श किया गया है।
कमर्चारी समिति ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा कि बिजली कर्मियों की यह मांग है बिजली (संशोधन) बिल 2021 को जल्दबाजी में संसद से पारित कराने के बजाय इसे बिजली मामलों की लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए जिससे स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष बिजली कर्मी और उपभोक्ता अपना पक्ष रख सकें।
यह हैं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की मांगें-
इस मामले में कार्य बहिष्कार के माध्यम से कर्मचारियों की निम्न मांगें हैं-
1. बिजली संशोधन बिल 2021 वापस लिया जाए व विद्युत वितरण क्षेत्र के निजीकरण हेतु जारी किये गए स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट तत्काल वापस लिया जाए।
2. ग्रेटर नोएडा के निजीकरण और आगरा का फ्रेंचाइजी करार रद्द किया जाए।
3. केरल के केएसईबी लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश के एचपीएसईबी लिमिटेड की तरह उत्तर प्रदेश में भी सभी बिजली निगम का एकीकरण कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन किया जाए।
4. सभी बिजली कर्मियों को पुरानी पेंशन दी जाए।
5. शांतिपूर्ण आंदोलन के कारण प्राविधिक कर्मचारी संघ के सदस्यों की वेतन कटौती व अन्य दमनात्मक कार्यवाहियाँ वापस लिया जाए।
6. संघर्ष समिति और मंत्रिमंडलीय उप समिति के मध्य हुए 6 अक्टूबर 2020 के समझौते का पालन करते हुए विगत वर्ष आंदोलन के फलस्वरूप वाराणसी, प्रयागराज और अन्य स्थानों पर बिजली कर्मियों पर की गई एफ आई आर वापस ली जाए।
7. सभी रिक्त पदों पर भर्ती की जाए और तेलंगाना सरकार के आदेश की तरह सभी निविदा/संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
8. बिजली कर्मचारियों की सभी वेतन विसंगतियां दूर की जाएं और पूर्व की तरह सभी बिजली कर्मियों को न्यूनतम तीन पदोन्नत पदों का समयबद्ध वेतनमान पूर्व की भाँति दिया जाए।
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