TRENDING TAGS :
भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले लौटनराम को मुकेश सहनी ने दी यूपी की कमान
वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी ने उत्तर प्रदेश की कमान उन चौधरी लौटन राम निषाद को सौंप दी है, जिन्होंने भगवान राम को काल्पनिक बताया है और कहा कि उनकी भगवान राम में आस्था नहीं है।
लखनऊ: बिहार सरकार में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी के तौर पर शामिल वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी ने उत्तर प्रदेश की कमान उन चौधरी लौटन राम निषाद को सौंप दी है, जिन्होंने भगवान राम को काल्पनिक बताया है और कहा कि उनकी भगवान राम में आस्था नहीं है। उनके इस बयान पर ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनसे दूरी बना ली है।
बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली विकासशील इंसान पार्टी वीआईपी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। पार्टी के नेता मुकेश सहनी दो दिन से यूपी की राजधानी लखनऊ में डटे हुए हैं। उन्होंने मीडिया कर्मियों से भी बातचीत की है और दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के निषाद समुदाय को हक दिलाने के लिए वह यूपी में आए हैँ। पिछड़ों को आरक्षण का हक दिलाना ही उनकी पार्टी का लक्ष्य है।
खुद को सन ऑफ मल्लाह बताने वाले मुकेश सहनी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में पार्टी की कमान चौधरी लौटनराम निषाद को सौंपी है। लौटनराम निषाद वही नेता हैं जिन्हें पिछले साल अगस्त महीने में कहा था कि भगवान राम काल्पनिक हैं। ऐसे किसी भगवान में उनकी आस्था नहीं है। उन्होंने कहा था कि भगवान राम जैसा कोई नायक भारत में पैदा ही नहीं हुआ।यह फिल्म के पात्रों की तरह है जिसका जन्म डायरेक्टर और लेखक करते हैं। भगवान राम में मेरी कोई आस्था नहीं है। उन्होंने जब यह बयान दिया था तब वह समाजवादी पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके इस बयान से नाराज होकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें पद से हटा दिया था। इसके बाद लौटनराम निषाद ने भी सपा को टा-टा, बॉय-बॉय कर दिया था।
बिहार सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री बनाए गए मुकेश सहनी ने अब उन्हीं लौटन राम निषाद को यूपी में अपनी कमान दे दी है। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। वह शनिवार को लखनऊ में उनकी प्रेस कांफ्रेंस में भी मुकेश सहनी के साथ मंच पर बैठे दिखाई दिए। इस मौके पर हालांकि मुकेश सहनी ने दावा किया कि वह उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय को हक दिलाने की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग के पिछड़ों को अभी तक आरक्षण का हक नहीं मिल सका है। उनका हक छीना जा रहा है। यूपी की राजनीति में उनके सक्रिय होने का मकसद इस वंचित समुदाय को उसका हक दिलाना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो भी राजनीतिक दल उनकी विचारधारा और मांगों का समर्थन करेंगे उनके साथ वह चुनावी गठबंधन भी करेंगे।
यूपी क्यों आए हैं मुकेश सहनी
बिहार में निषाद समुदाय की राजनीति करने वाले मुकेश सहनी की पार्टी में उन्हें सन ऑफ मल्लाह कहा जाता है। वह खुद अपने पोस्टर में इसका प्रयोग करते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में चार सीट जीतने वाले सहनी की मंशा अब यूपी विधानसभा चुनाव में दमखम आजमाने की है। वह अपनी पार्टी का यूपी में विस्तार करना चाहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद जातियों के मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। गंगा और घाघरा नदी के किनारे के जिलों में बसी इस जाति को राजनीतिक तौर पर संगठित करने की कोशिश पहले भी की जाती रही है। समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने फूलन देबी को संसद भेजकर इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। डॉ संजय निषाद अपनी निषाद पार्टी के साथ इसी वोट बैक पर दावा करते रहे हैं।
भाजपा ने उनसे हाथ मिला रखा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की 100 सीटों पर इस वोट बैंक को महत्वपूर्ण माना जाता है। अब मुकेश सहनी भी इसी वोट बैंक में सेंध लगाना चाह रहे हैँ। बिहार सरकार में मंत्री होने की वजह से इस समाज के मतदाताओं के बीच उनका आकर्षण भी देखने को मिल रहा है लेकिन अहम सवाल है कि भगवान राम को गंगा पार कराने की वजह से जिस केवट समुदाय को हिंदुओं के बीच खासा सम्मान हासिल है। उसी भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले लोटनराम निषाद के दम पर क्या मुकेश सहनी मतदाताओं के मन की गंगा पर अपनी नाव चलाने में कामयाब हो पाएंगे?