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DFO बोले- जब तक तेंदुआ इंसान का ना करे शिकार, खतरे की बात नहीं
यूपी के बाराबंकी जिले के एक गांव में तेंदुए की आमद से ग्रामीण इतनी दहशत में हैं कि उनके घरों में ताले लटकते नज़र आ रहे हैं।
बाराबंकी : यूपी के बाराबंकी जिले के एक गांव में तेंदुए की आमद से ग्रामीण इतनी दहशत में हैं कि उनके घरों में ताले लटकते नज़र आ रहे हैं। दूसरी तरफ वन विभाग के डीएफओ का गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है। उन्होंने कहा है कि जब तक तेंदुआ किसी इंसान का शिकार ना करे, डरने की कोई बात नहीं है। तेंदुए के दहशत ग्रामीणों में इस कदर है कि दिन में भी वह अपने घरों में ताले लटकाए हुए हैं। यहां तक कि गांव के स्कूल में भी कहीं तेंदुआ न आ जाए इसके लिए स्कूल का गेट बंद कर बच्चों की पढ़ाई हो रही है। वन विभाग की ऐसी कार्य शैली से ग्रामीणों में गुस्सा भी है।
दरअसल, यह मामला बाराबंकी के थाना जहांगीराबाद के कबीरपुर गांव का है। जहां पिछले लगभग 15 दिन से एक तेंदुआ और उसके दो शावक अपना डेरा जमाए हुए हैं। ग्रामीणों की माने तो तेंदुए की भनक लगते ही उन लोगों ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी। वन विभाग के अधिकारियों ने उल्टे ग्रामीणों को धमकाते हुए कहा कि तेंदुए को कुछ नहीं होना चाहिए। अगर उसे कुछ हुआ, तो केस हो जाएगा। यही नहीं उनकी एक दो बीघा जमीन भी बिक जाएगी। तेंदुए की आमद से तो ग्रामीण दहशत में थे ही अब वन विभाग के अधिकारियों की धमकी से और भी वह भयभीत हो गए हैं।
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ग्रामीणों के मुताबिक, वह रातों को लाठी और डंडा लेकर पहरा देते हैं। बच्चों की पढ़ाई के समय स्कूल के अध्यापक भी डर के गेट बंद करके बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग की ओर से गांव के बाहर एक पिंजड़ा रखा गया है। मगर उसमे तेंदुए को फंसाने के लिए कोई उपाय नही किए गए हैं। पिंजड़ा भी गलत दिशा में रखा गया है। जिस तरफ से तेंदुए की आवाजें आ रही है उधर कोई भी पिंजड़ा नही रखा गया है।
तेंदुए के हमले से बाल-बाल बची गांव की महिला रामकली ने बताया कि तीन दिन पहले वह अपने घर के बाहर चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सो रही थी। रात के समय तेंदुए ने उसके ऊपर हमला बोल दिया, लेकिन मच्छरदानी की वजह से उसे गंभीर चोट नहीं आई। मगर तेंदुए के पंजे उसके हाथों को जख्मी कर गए। तब से पूरे गांव में दहशत का माहौल है। रात भर ग्रामीण जाग-जाग कर पहरा देते हैं। पूरा गांव दहशत के साए में है और तेंदुए के पकड़े जाने की प्रार्थना कर रहा है। रात को तेंदुए की आवाजें और दिन में उसके पैरों के निशान से लोगों की रूह कांप रही है।
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क्या कहना है डीएफओ का ?
डीएफओ जावेद अहमद का कहना है कि हमने तीन टीमें बना रखी हैं। एक टीम दिन और दो टीम रात में गश्त करती हैं। पुलिस प्रशासन का भी हमें सहयोग है। हमने ग्रामीणों से बता रखा है कि तेंदुए और उसके परिवार से दूर रहे। तेंदुआ अभी ना तो आक्रामक हुआ है और ना ही नरभक्षी हुआ है। लोगों को डरने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरुरत है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि बाढ़ का पानी कम होने पर तेंदुआ अपने नेचुरल हैबिटेट में निकल जाए।