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UP News: इन शिक्षकों के लिए लड़ा पूरा गाँव, विभाग को रोकना पड़ा ट्रांसफर
UP News: शिक्षक बच्चों के लिए नीव की तरह होते हैं, उनकी अच्छी शिक्षा से समाज की तस्वीर बदली जा सकती है। हाल ही में ऐसे ही शिक्षकों की कहानी देखने को मिली है जहां दो शिक्षकों के लिए पूरे गाँव ने लड़ाई लड़ी जिसके बाद उनका तबादला रोका गया।
Aligarh News: विद्यालय को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है तथा शिक्षक को सबसे बड़ा गुरु माना जाता है। ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षकों के दौर में अब यह माहौल देखने को कम मिलता है, जब विद्यार्थी को अपने विद्यालय और गुरुजन से भी एक समान लगाव हो। शिक्षक बच्चों के लिए नीव की तरह होते हैं, उनकी अच्छी शिक्षा से समाज की तस्वीर बदली जा सकती है। हाल ही में ऐसे ही शिक्षकों की कहानी देखने को मिली है जहां दो शिक्षकों के लिए पूरे गाँव ने लड़ाई लड़ी जिसके बाद उनका तबादला रोका गया।
यह घटना उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ ज़िले की है, जहां अतरौली तहसील के शफीपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में दो लोग,गुंजन गुप्ता और सुनील कुमार शिक्षक के तौर पर नौकरी करते थे। लेकिन इनका तबादला कर दिया गया। जिसका पता लगने पर गाँव वाले नाराज़ हो गए। नाराज़ होकर वे स्कूल के सामने रोष प्रकट करने लगे और उन्हें गांव में ही रोकने के लिए वो सिस्टम से भिड़ गए। दोनों शिक्षक बड़ी ही उत्सुकता से विद्यालय में पढ़ाते थे, यह बात छात्रों के अलावा सारे गाँव वाले भी जानते थे। स्थानीय कहते हैं, इनकी शिक्षा के कारण ही बच्चे स्कूल जाना पसंद करते हैं और बिना कहे भी पढ़ाई करते हैं। 5 साल पहले वहां 20-25 बच्चे पढ़ने जाते थे। लेकिन अब यहाँ 85 बच्चे पढ़ते हैं। इन दोनों शिक्षकों ने विद्यालय की तस्वीर बदल दी है।
बीती 18 सितंबर को शिक्षा विभाग ने इन दोनों टीचर्स का तबादला कहीं और कर दिया। पता चलते ही गाँव वालों ने स्कूल की घेराबंदी कर दी। गाँव वालों का कहना है इनकी वजह से ही गाँव में शिक्षा का प्रसार हो रहा है, उनका कहना था कि इन शिक्षकों की वजह से ही स्कूल की शिक्षा का स्तर बढ़ा है। इसलिए वो नहीं चाहते कि वो यहां से जाएं। इसलिए गाँव वालों ने तबादला रद्द करने की माँग तेज कर दी। सारे लोग स्कूल के सामने आकर इकट्ठे हो गए। इतनी भीड़ देख कर स्कूल प्रशासन ने शिक्षा विभाग को स्थिति से अवगत कराया। हंगामा होने के बाद शिक्षा विभाग के अफसर तक वहां पहुंच गए। पर गाँव वाले अपनी माँग पर अड़े रहे।
इसके अलावा भी कई अधिकारी और आए और समझाने की कोशिश की गयी पर ना बच्चे माने ना गाँव वाले। आखिरकार शिक्षा विभाग को दोनों टीचर्स का तबादला रद्द करना पड़ा। इस बात से गाँव वाले और बच्चे खुश हो गए उन्होंने मिठायी बाँटी। आख़िर में गाँव वालों की जीत हुई। वे इस बात के लिए भय मुक्त हो गए कि उनके गाँव में शिक्षा का प्रसार निरंतर चलता रहेगा। देश में ऐसी कर्मठ शिक्षकों की वजह से शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है। शिक्षा की शक्ति को और मज़बूत किया जा सकता है।