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Vinay Pathak Case: विनय पाठक केस में STF को हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार, 15 नवंबर को आएगा फैसला
Vinay Pathak Case: हाईकोर्ट ने फैसला सुनाए जाने तक उनके विरूद्ध उत्पीड़ात्मक कार्रवाई न किए जाने का आदेश भी दिया है।
Vinay Pathak Case: कानपुर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो विनय पाठक भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण एसटीएफ की जांच का सामना कर रहे हैं। उनपर कमीशनखोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज है। इस मामले में एसटीएफ अभी तक दो आरोपियों अजय मिश्रा और अजय जैन को गिरफ्तार कर चुकी है। प्रो पाठक गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत की शरण में चले गए। उनसे जुड़े मामले में बहस पूरी हो चुकी है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाए जाने तक उनके विरूद्ध उत्पीड़ात्मक कार्रवाई न किए जाने का आदेश भी दिया है।
15 नवंबर को इस अहम मामले पर अदालत अपना फैसला सुनाएगी। अब सबकी निगाहें उच्च न्यायालय के अगले आदेश पर टिकी हैं। STF भी आगे की कार्रवाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक ही करेगी। बताया जा रहा है कि मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण इसकी जांच सीबीआई के हाथों में जा सकती है। छह पूर्व विधायक राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से प्रो. पाठक पर लगे करप्शन के आरोप की जांच सीबीआई, आईटी और ईडी से करवाने की मांग कर चुके हैं।
एकेटीयू में मनमानी करने का आरोप
4 अगस्त 2015 से 2 अगस्त 2021 तक विनय पाठक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू), लखनऊ के कुलपति रहे। जानकारी के मुताबिक, प्रोफेसर पाठक ने इस दौरान खूब मनमानी की थी। वे एकेटीयू के घटक संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) में अपने करीबी निर्माण एजेंसी से लेकर आपूर्ति करने वाली फर्म को खुले हाथ से काम देते गए। इसकी शिकायत आने के बाद राज्यपाल ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में एक कमेटी से जांच कराई। जांच में उनपर लगे कई आरोप सही पाए गए थे।
कमीशनखोरी का क्या है आरोप
एकेटीयू, लखनऊ में मनमानी करने वाले प्रोफेसर विनय पाठक आगरा विश्वविद्यालय में टेंडर के बदले कमीशनखोरी के मामले में बुरी तरह घिर चुके हैं। उनपर जबरन बंधक बनवाकर पैसे वसूलने का आरोप है। पीड़ित जो कि एक निजी कंपनी का एमडी है, ने पाठक पर डेढ़ करोड़ रूपये कमीशन के तौर लेने का आरोप लगाया है। इस मामले की जांच एसटीएफ तो कर रही रही है, प्रवर्तन निदेशालय के भी जल्द एक्टिव होने की संभावना है।