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Mirzapur Ropeway Project: मिर्जापुर रोपवे प्रोजेक्ट, अब मां के भक्तों की राह हुई आसान, जानें इसके बारे में
विंध्याचल मंदिर से मां अष्टभुजा और काली माता के मंदिर के त्रिकोण को आसान बनाने के लिये अष्टभुजा पहाड़ी और कालीखोह पहाड़ी पर दो रोपवे बनाया गया है।
Mirzapur Ropeway Project: उत्तर प्रदेश के जनपद मिर्जापुर में विंध्याचल पर्वत पर स्थित मां विंध्यवासिनी का मंदिर प्राचीन काल से विराजमान है। देश के गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विंध्य कारी डोर भूमि पूजन और रोपवे का उद्घाटन करने के लिए आ रहे हैं। यह मंदिर विश्व विख्यात मां विंध्यवासिनी धाम के नाम से जाना जाता है। विंध्याचल मंदिर में नवरात्र के समय मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए दूर-दूर से देश विदेश से भक्तगण आते हैं।
बता दें कि मां के दर्शन के लिए भक्तों को लगभग 15 किलोमीटर की परिक्रमा पैदल चलकर करना पड़ता है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समय से पर्यटन को बढ़ावा देने और मां के दर्शन को सुलभ करने के लिये विंध्याचल में पर्यटन विभाग की तरफ से रोपवे बनाने की योजना तैयार की गई थी जिस पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा था।
रोपवे प्रोजेक्ट क्या है
यहां सबसे पहले यह जान लें कि क्या होता है रोपवे प्रोजेक्ट, रोप वे यानी स्पष्ट है कि रस्सी के सहारे यात्रा का मार्ग। इसमें एक मजबूत हवाई केबल पर स्थिर इंजन या इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित होता है। इसका उपयोग यात्री और माल, दोनों तरह के परिवहन के लिए किया जाता है।
मिर्जापुर में रोपवे प्रोजेक्ट
मिर्ज़ापुर में 265 फिट की उंचाई पर अब पांच मिनट में पहुंच सकेंगे। विंध्याचल मंदिर से मां अष्टभुजा और काली माता के मंदिर के त्रिकोण को आसान बनाने के लिये अष्टभुजा पहाड़ी और कालीखोह पहाड़ी पर दो रोपवे बनाया गया है। नई दिल्ली की एक कंपनी को रोप-वे निर्माण का करार वर्ष 2014 में हुआ था। 2014 से रोपवे निर्माण का कार्य लगभग 6 वर्ष के बाद पूरी तरह बनकर तैयार हो गया है। पर्यटन विभाग की ओर से पीपीपी मॉडल पर रोपवे का निर्माण कराए जाने से अष्टभुजा और काली खोह में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को ऊंची पहाड़ी वाले रास्तो पर घंटों पैदल नहीं चलना पड़ेगा। बता दें कि इसकी लागत 16 करोड़ रुपये आई है। इसे पीपीपी माडल पर संचालित किया जाएगा।
सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी होती थीं अब तक
दरअसल, विन्ध्य धाम में साल भर मां विंध्यवासिनी, कालीखोह में महाकाली और अष्टभुजा में मां सरस्वती के दर्शन करने के लिए मां के भक्त देश के कोने-कोने से आते हैं। और यह सिलसिला अनवरत चलता रहता है। नवरात्रि में मां के भक्तों की भीड़ और बढ़ जाती है। धाम में आने वाले लोग त्रिकोण दर्शन करना नहीं भूलते हैं। 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा और सैकड़ों सीढ़ियों को चढ़ने के बाद मां के भक्त महालक्ष्मी, महाकाली और मां सरस्वती के त्रिकोण दर्शन करते हैं । यंहा पर देशी भक्तों के साथ विदेशी सैलानी भी यहां का मनोरम दृश्य देखने पहुंचते हैं।
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान ने बताया की विंध्य पहाड़ी रोपवे बनकर तैयार हो गया है। शासन को सेफ्टी व क्लीयरेंस की रिपोर्ट भी भेज दी गई है। शासन से हरी झंडी मिलते ही रोपवे आमजन के लिए खोल दिया जायेगा। उहोंने कहा कि रोपवे शुरू होने से यहां पर आने वाले मां के भक्तों को दर्शन के साथ विन्ध्य की वादियों का अदभुत नजारा भी देखने को मिलेगा।
सबसे बड़ा गिरनार रोपवे
आपको बता दें कि गिरनार का पर्वत हमारे देश के सबसे बड़े पर्वतों में आता है और इस पर्वत पर मां अम्बे का मंदिर, गोरखनाथ शिखर, गुरु दत्तात्रेय का शिखर, जैन मंदिर बने हुए है। यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को 9999 सीढियों को पार करना पड़ता था अर्थात् इन सभी सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता था। लेकिन अब इस रोपवे से लोगों को यहां तक पहुंचने में मदद मिलती है। आपकी सामान्य जानकारी के लिए बता दें यह रोपवे हमारे देश के गिरनार पर्वत पर बना सबसे बड़ा रोपवे है।
अब इस रोपवे से लोग बिना किसी समस्या के यहां पर बने मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इस रोपवे से लोगों को बहुत सुविधा मिलेगी। अब मात्र 7 मिनिट में ही इस रोपवे की सहायता से इस ऊँचे पर्वत पर पर चढ़ा जा सकता है। यहाँ पर पहुँचने पर अद्भुत शक्ति और शांति का अनुभव होता है।