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15 August 2021: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्यासागर शुक्ल ने गांधी पर कही ऐसी बात, सुन सभी रह गए दंग
15 August 2021: मिर्जापुर जिला आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानी इस विंध्यपर्वत की पावन धरती पर बहुत लोग जन्मे थे।
15 August 2021: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का मिर्जापुर (Mirzapur) जिला आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानी इस विंध्यपर्वत की पावन धरती पर बहुत लोग जन्मे थे। लेकिन अब उन रणबाकुरों में एक या दो लोग ही वर्तमान समय में विंध्य की धरती पर बचे है। इसमें से आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत को धूल चटाने वाले 98 वर्षीय वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्या सागर शुक्ल हैं। यह क्रांतिकारी है। विद्या सागर शुक्ल 16 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने को तैयार हो गए थे।
आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी को धूल चटाने का माद्दा रखने वाले विद्या सागर शुक्ल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के छानबे विधानसभा के पाली गांव के रहने वाले हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्या सागर शुक्ल का जन्म 1923 में हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्यासागर शुक्ल शिक्षा के दौरान अपने गुरु ब्रह्मदत्त दीक्षित के साथ आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे।
विद्या सागर 1939 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पर्चा बांटते और वंदे मातरम के गीत गाते थे
वह बताते हैं। पहली बार 1939 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पर्चा बांटते और वंदे मातरम का गीत गाते हुए जब हम दौड़ते हुए भागे हैं तो अंग्रेज सिपाही हमे दौड़ा लिए हम भागते भागते गिर गए। जिससे हमारे दाढ़ी की ठोढ़ी टूट गई। जिसके बाद हमें राबर्टसगंज में रात भर अंग्रेजों ने कैद कर रखा था। मिर्जापुर से हमें गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में डाल दिया गया था।
अंग्रेजी डीएम बुलाकर जंगल में छोड़ देते थे
विद्यासागर शुक्ल ने कहा अंग्रेजी हुकूमत के डीएम एम वाई गंडेरिया हमें बुलाते थे। हम लोगों को पकड़वाकर जंगल में भेज देते थे। लेकिन हम लोग अंग्रेजी पहनावा के खिलाफ होली जलाओ अभियान चलाते थे। अंग्रेजो के वस्त्र, पहनावे का विरोध करते थे। अंग्रेजी वस्त्र जलाते थे।
जिसके लिए हम लोगों को अंग्रेजी हुकूमत पकड़ कर बहुत यातना देती थी। थोड़ा ठहर कर करते है। बहुत लड़ाई लड़ी थी हमने अंग्रेजो के खिलाफ। वह बताते हैं हमें मिर्जापुर से घर वालो ने हटा दिया था। हमने आगरा से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। आजादी की लड़ाई में अंग्रेजो को धूल चटाने वाले 98 साल के विद्या सागर शुक्ल से जब बातचीत किया तो वह बीते हुए दिनों को याद कर याद कर मुस्कुराते हैं।
विद्या सागर पहाड़ स्टेशन कांड में भी शामिल थे
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विद्यासागर शुक्ल को सम्मानित किए हैं। उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया था। विद्यासागर शुक्ला ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाने में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने जीत नारायण पाण्डेय, पुष्कर नाथ पाण्डेय और नरेश चंद श्रीवास्तव के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए पहाड़ रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर जला दिया था।
पहाड़ा कांड में नरेश चंद श्रीवास्तव जल गए थे। जल जाने की वजह से वह शहीद हो गए थे। जीत नारायण पाण्डेय और पुष्कर नाथ पाण्डेय को अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया गया था। और विद्यासागर शुक्ल घटना के बाद फरार हो गए थे। मिर्जापुर में अंग्रेजी हुकूमत ने विद्यासागर शुक्ल को गिरफ्तार करके सलाखों की बेड़ियों में कैद कर जेल भेज दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्या सागर को दिल्ली तक किया गया सम्मानित
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में उन्हें दिल्ली तक सम्मानित किया जा चुका है। 9 अगस्त को उन्हें दिल्ली बुलाया गया था। लेकिन स्वास्थ्य ठीक ने होने के कारण वह दिल्ली नहीं जा सके। ऐसे में 9 अगस्त 2021 को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भेजे गए अंगवस्त्र को नगर मैजिस्ट्रेट ने उनके घर आकर उन्हें भेंट किया।
केंद्रीय समिति में सदस्य हैं विद्या सागर
विद्यासागर शुक्ल बताते है राष्ट्रपति ने हमसे बात की है। उन्होंने हमसे पूछा गांधी क्या है। वह बताते है हमने कहा सत्याग्रह, उन्होंने कहा हमने इतना ही जवाब दिया। सब सोचने लगे। आजादी की 75वी वर्षगांठ पर भारत सरकार की तरफ से 5 मार्च 2021 को गठन किया गया। केंद्रीय समिति में विद्या सागर भी सदस्य हैं। इसमें देश से कुल 259 सदस्य चुने गए हैं।
यह समिति स्वतंत्रता की याद में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को नीतिगत और मार्गदर्शन उपलब्ध करवाने का काम करेगी। विद्या सागर शुक्ला कहते हैं कि पहले लोगों के अंदर देश प्रेम, एकता था, विद्या सागर बताते हैं कि पहले जाति धर्म की बातें कम ही होती थीं, लेकिन अब जाति-धर्म चरम पर है। लोग कहते कुछ हैं करते कुछ हैं।