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Mirzapur News: गांव की रहने वाली बेटी ने खोज निकाला कैंसर का उपचार, अब अमेरिका दे रहा करोड़ों

अहरौरा क्षेत्र के श्रुतिहार गांव निवासी विनोद सिंह की बेटी खुशबू सिंह कैंसर बीमारी पर शोध कर रही थीं।

Brijendra Dubey
Published on: 31 Aug 2021 2:33 PM IST
Khushboo Singh
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डॉ. खुशबू सिंह (फोटो-न्यूजट्रैक)

Mirzapur News: अहरौरा क्षेत्र के श्रुतिहार गांव निवासी विनोद सिंह की बेटी खुशबू सिंह कैंसर बीमारी पर शोध कर रही थीं। उन्होंने विश्व को एक नई उम्मीद की किरण दी है। यह शोध कैंसर के क्षेत्र में बिल्कुल नया इलाज है, इसके पहले इस प्रकार का कोई शोध कार्य नहीं हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स से एक सप्ताह पूर्व अपनी शोध पूरा करने वाली खुशबू सिंह ने एप्लाइड लाइफ साइंसेज के लिए एक नैनोपार्टिकल का निर्माण किया है, जो कैंसर सहित अन्य बीमारी के उपचार में एक नई क्रांति है।

यह नया शोध, जो आज "एंजवेन्टे केमी" में दिखाई देता है। कैंसर से प्रभावित विशिष्ट कोशिकाओं को अधिक सटीक और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करने के लिए यह दो अलग-अलग दृष्टिकोणों को जोड़ता है। दो सबसे आशाजनक नए उपचारों में बायोलॉजिक्स या एंटीबॉडी-दवा संयुग्म (एडीसी) के माध्यम से कैंसर से लड़ने वाली दवाओं का वितरण शामिल है। प्रत्येक के अपने फायदे और सीमाएं हैं। बायोलॉजिक्स, जैसे कि प्रोटीन-आधारित दवाएं, सीधे कोशिकाओं में खराब प्रोटीन की जगह ले सकती हैं। नतीजतन, पारंपरिक कीमोथेरेपी से जुड़े लोगों की तुलना में उनके कम गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं।

अपने बड़े आकार के कारण, वे विशिष्ट कोशिकाओं में प्रवेश करने में असमर्थ होते हैं। दूसरी ओर, एडीसी चिकित्सीय दवाओं की सूक्ष्म खुराक के साथ विशिष्ट घातक कोशिकाओं को लक्षित करने में सक्षम हैं, लेकिन एंटीबॉडी केवल एक सीमित दवा कार्गो ले जा सकते हैं। चूंकि दवाएं बायोलॉजिक्स की तुलना में अधिक जहरीली होती हैं, इसलिए एडीसी की खुराक बढ़ाने से हानिकारक दुष्प्रभावों का खतरा बढ़ जाता है। खुशबू सिंह बताती हैं की "जैविक विज्ञान और एडीसी के लाभों को जोड़ना और उनकी कमजोरियों को दूर करना है।

यह कैंसर चिकित्सा के लिए एक नया मंच है। खुशबू की टीम का दृष्टिकोण एक नैनोकण पर निर्भर करता है, जिसे टीम ने "प्रोटीन-एंटीबॉडी संयुग्म" या पीएसी कहा है। और कैंसर से लड़ने वाला प्रोटीन सामग्री है वह लिफाफा। पीएसी हमें लिफाफे को उसके संरक्षित उपचार के साथ सही पते पर पहुंचाने की अनुमति देता है। इसलिए, सुरक्षित दवाएं सही सेल तक पहुंचाई जाती हैं जिसके कम साइड इफेक्ट वाला उपचार होगा।

डॉ. खुशबू सिंह का चयन अमेरिका में साइंटिस्ट के पद विश्व के उच्च कोटि की जानी मानी वेर्टेक्स लैबोटरी सेंटियागो अमेरिका में हुआ है। जिसे गांव से लेकर देश के कोने कोने में खुशबू को चाहने वालों में एक अलग सी उमंग है। डॉ. खुशबू ने उच्च शिक्षा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेश एण्ड रिसर्च से पूरा किया, जहां 5 वर्ष में बीएस, एमएस की डिग्री हासिल की। इस दौरान भारत सरकार के डिपार्टमेंट साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी की ओर से पांच हजार प्रति माह स्कालरशिप मिलता रहा। 2016 में खुशबू का चयन रिसर्च के लिये विश्व की जानी मानी यूनिवर्सिटी ऑफ 'मेसाचुसेट्स अमेरिका में हुआ।

जिसे खुशबू ने इसी महीने के तीसरे सप्ताह तक अपना शोध कार्य पूरा कर डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। शोध के दौरान 2 करोड़ 25 लाख रुपये का स्कालरशिप भी मिला। अब खुशबू को विश्व के उच्च कोटि की जानी मानी वेर्टेक्स लैबोटरी सेंटियागो अमेरिका में साइंटिस्ट बनी है।



Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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