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आजादी का जश्न : 25 वें वर्ष पर प्रधानमंत्री ने दादा को किया सम्मानित, 75वें वर्ष पर पोते को पुलिस ने दी थर्ड डिग्री यातना

Mirzapur News: पचास साल पहले आजादी की पचीसवीं वर्षगांठ पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोमती प्रसाद तिवारी के पौत्र योगेश तिवारी को पुलिस ने कानून को ताख पर रखकर 48 घण्टे तक हवालात में बंद रखा।

Brijendra Dubey
Report Brijendra DubeyPublished By Vidushi Mishra
Published on: 31 Dec 2021 1:41 PM IST
Freedom fighter son pleaded Chief Minister
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स्वतन्त्रता सेनानी के बेटे ने लगाई मुख्यमंत्री से गुहार 

Mirzapur News: पटेहरा विकास खंड क्षेत्र के रामपुर अंतरी का नाम पचास साल बाद फिर मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। पचास साल पहले आजादी की पचीसवीं वर्षगांठ पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोमती प्रसाद तिवारी को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था। जब देश 75वीं वर्षगांठ मना रहा हैं तब गोमती प्रसाद तिवारी के पौत्र योगेश तिवारी को पुलिस ने कानून को ताख पर रखकर 48 घण्टे तक हवालात में बंद रखा।

इतना ही नहीं आरोप है कि प्रदेश में वैकल्पिक ऊर्जा राज्य मंत्री के कहने पर उसके गुप्तांग में कई बार डंडा डालकर मारा पीटा गया। भारत के भाग्य विधाता कहे जाने वाले दादा की कुर्बानी और ब्रितानी हुकूमत की सजा आजाद हिन्द की धरा पर अंग्रेजों की दी खाकी वर्दी पहनने वाले लोगों ने पोते को दी वहशियाना सजा। जो लोगों के बीच आक्रोश का कारण बना हुआ है।

पोते को बर्बर यातना झेलनी पड़ेगी

भारत माता को गुलामी से आजाद कराने का जज्बा लेकर संघर्ष करने वाले पटेहरा ब्लाक में रामपुर अतरी गांव के आजीवन सरपंच रहे स्वर्गीय गोमती प्रसाद तिवारी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद ब्रितानी हुकूमत की शैली में आज़ादी के बाद भी उनके पोते को बर्बर यातना झेलनी पड़ेगी ।

अपने जीवनकाल में अंग्रेजों की यातना व बर्बरता के कट्टर विरोधी रहे गोमती प्रसाद शहर के बैरिस्टर यूसुफ इमाम व बजभूषण मिश्र से उनके अच्छे संबंध थे। अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन में बढ़ - चढ़कर हिस्सा लिया था । अंग्रेजों के खिलाफ़ जंगल के रास्ते अपने जनपद के अलावा सोनभद्र व वाराणसी, इलाहाबाद में गुप्त मीटिंग के लिए साइकिल से जाते थे। इनका जन्म वर्ष 1902 के अप्रैल महीने में हुआ था और मृत्यु 1996 में हुई थी।

केदार प्रसाद तिवारी को आज़ादी के 25 वें वर्षगांठ पर सम्मनित करते हुए ताम्र पत्र पर लिखित प्रमाण पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिला था। जिसमें लिखा है कि केदारनाथ तिवारी नम्बर 334 पुत्र भगवान प्रसाद रामपुर अंतरी थाना लालगंज को दिनांक 29 अप्रैल 1941 को धारा 38/5 डीआईआर के अन्तर्गत शिव नरायन अस्थाना के न्यायालय से नौ माह का कठोर कारावास व पंद्रह रुपया जुर्माना की सजा हुई थी। जुर्माना न अदा करने पर एक माह अतिरिक्त की सजा हुई थी। 1941 को इनको गाजीपुर जेल में भेज दिया गया था।

योगेश तिवारी को बर्बरता पूर्वक पुलिस ने पीटा

दादा की कुर्बानी से मिली आजादी के बाद भी पुलिस की दशा वही खाकी वर्दी वाले अग्रेंजी हुकूमत वाली पुलिस की ही है। योगेश तिवारी को दो पक्षों के विवाद में पुलिस ने 26 दिसंबर को हिरासत में लिया। जब वह तहरीर की कापी लेने पहुंचे थे।

उन्होंने एक दिन पूर्व हुए मारपीट की तहरीर थाने पर दिया था। उस वक्त थाने के बाहर कानून को ठेंगे पर रखने वाले दूसरे पक्ष के दबंगों ने थाने के सामने ही जमकर पीटा। सिर पर घातक प्रहार कर लहू लुहान कर दिया। थाने में भागकर जाने पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इलाज कराने की भी पुलिस ने जरुरत नहीं समझी। इसके बाद आरोप है कि योगेश तिवारी को हवालात में बंद कर बर्बरता पूर्वक पीटा गया। उसके गुप्तांग में डंडा डालकर कई राउंड पिटाई की गई। यह यातना मंत्री का फोन आने पर दी गई।

पीड़ित के पिता महेश तिवारी ने थानाध्यक्ष और दो सिपाहियों के खिलाफ़ जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम नेताओं को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। पीड़ित योगेश तिवारी की बहन अधिवक्ता सुनीता पाठक ने छोटे भाई पर पुलिस की बर्बरता की निंदा करते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार को सुरक्षा और न्याय दिए जाने की मांग की है।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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