Sonbhadra News: बारिश ने दी पावर सेक्टर को राहत, बिजली की मांग हुई कम

लगातार बारिश होने की वजह से बिजली की मांग कम हुई है। इससे पावर सेक्टर ने बड़ी राहत की सांस ली है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Deepak Raj
Published on: 28 July 2021 10:58 AM GMT
Electricity unit
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बिजली परियोजना 

Sonbhadra News: गर्मी और उमस से तड़प रहे जनपद वासियों के लिए बुधवार की सुबह ठंडी हवा का एहसास कराने वाली रही। आधी रात से लेकर सुबह तक रूक-रूक कर चले बारिश के क्रम ने जहां मौसम को सुहाना बना दिया। वहीं 50 दिन बाद पहली बार बिजली की न्यूनतम मांग सुबह 7:45 बजे के करीब 9367 मेगावाट दर्ज हुई। बिजली की मांग कम होने के कारण सुबह 10 बजे तक जनपद में स्थापित बिजली परियोजनाओं में 500 मेगावाट के करीब थर्मल बैकिंग भी करवाई गई।


बिजली यूनिट सोनभद्र


दोपहर होते-होते मांग 15000 मेगावाट से ज्यादा हो गई। इसके बाद जहां चालू इकाइयों से पूरी क्षमता से उत्पादन जारी रखने की कवायद शुरू हो गई। वहीं केंद्रीय पुल से बिजली खरीदने का भी काम शुरू कर दिया गया। पूर्वांचल के कई जनपदों के साथ ही प्रदेश के अन्य हिस्सों में शाम ढलने के साथ ही बारिश का क्रम शुरू हो गया था लेकिन सोनभद्र में जिला मुख्यालय के साथ ही अन्य हिस्सों में बारिश ने आधी रात के बाद तेजी पकड़ी।

इसके चलते रात में 11:30 बजे के लगभग बिजली की अधिकतम मांग 20000 मेगावाट को पार कर 21375 तक जा पहुंची थी। जब बारिश में तेजी शुरू हुई तो दो घंटे बाद ही बिजली की मांग घट कर 18000 मेगावाट के करीब आ गई। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक सुबह होते होते यह 50 दिनों के सबसे न्यूनतम स्तर 9367 मेगावाट पर पहुंच गई।

बंद चल रही इकाइयों के उत्पादन पर आने के बाद मिलेगी बड़ी राहत:


बिजली यूनिट सोनभद्र

अनपरा परियोजना की 500 मेगावाट वाली सातवीं, एनटीपीसी सिंगरौली की 500 मेगावाट वाली छठवीं, सातवीं, 200 मेगावाट वाली तीसरी, ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली 13वीं इकाई को बंद रहने के कारण ज्यादा थर्मल बैकिंग की स्थिति बनने से बच गई। फिर भी पर्याप्त बिजली की उपलब्धता को देखते हुए अनपरा परियोजना की 500 मेगावाट वाली चौथी और पांचवीं इकाई से लगभग 200 मेगावाट उत्पादन सुबह 10 बजे तक घटवाए रखा गया।

सुबह मांग कम होने के कारण महज 45 मेगावाट उत्पादन लिया गया

वहीं रिहंद जल विद्युत गृह से रात में जहां 230 मेगावाट उत्पादन लिया जा रहा था। वही सुबह मांग कम होने के कारण महज 45 मेगावाट उत्पादन लिया गया। इसी तरह पीक आवर के समय 99 मेगावाट वाली ओबरा परियोजना का जो उत्पादन 68 मेगावाट बना हुआ था। उसे घटाकर सुबह 28 मेगावाट कर दिया गया। ओबरा परियोजना में पीक आवर में 500 मेगावाट के करीब रहने वाला उत्पादन 400 मेगावाट के इर्द-गिर्द बना रहा।

बता दें कि बंद चल रही अनपरा और एनटीपीसी सिंगरौली इकाइयों को प्रबंधन एक सप्ताह के भीतर उत्पादन पर आने की उम्मीद जता रहा है। उन इकाइयों के उत्पादन के ऊपर आने के बाद, जहां सस्ती बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी। वहीं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही बिजली की मांग और खपत के चलते बेचैनी के स्थिति से गुजर रहे पावर सेक्टर को भी बड़ी राहत मिली दिखाई देगी।

रिहंद जलाशय को लेकर बनी हुई है चिंता की स्थिति:

20 से अधिक परियोजनाओं को पानी देने वाले रिहंद जलाशय के जल स्तर को लेकर अभी चिंता की स्थिति बनी हुई है। 16 जुलाई के बाद जल स्तर में जहां अब तक पांच से छह फीट की ही वृद्धि दर्ज हो पाई है। वहीं पिछले वर्ष के मुकाबले भी जल स्तर लगभग पांच फीट कम बना हुआ है। कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक बुधवार को जलाशय का जलस्तर 845.9 फीट दर्ज किया गया।

वहीं इसी तिथि को पिछले वर्ष यहां का जलस्तर 850.6 दर्ज किया गया था। बता दें कि गत 16 जून को अहमदाबाद का न्यूनतम जलस्तर 839.8 फीट रिकॉर्ड किया गया था। जबकि रिहंद डैम और ओबरा में स्थापित जलविद्युत गृह से लगातार विद्युत उत्पादन के लिए 860 फीट से ज्यादा जल स्तर को बेहतर माना जाता है। वहीं डैम में पूरी क्षमता से पानी की अधिकतम सीमा 880 फीट निर्धारित है

Deepak Raj

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