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Sonbhadra News: गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए वैज्ञानिक करेंगे काम, प्रदूषित नदियां बचाने का संकल्प
Sonbhadra News: वैज्ञानिकों ने एकजुट होकर गंगा की अविरलता और स्वच्छता की लड़ाई तेज करने का संकल्प लिया।
Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सोनभद्र (Sonbhadra) जिले में मां गंगा (Ganga) की अविरलता और निर्मलता की मांग को लेकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रख्यात पर्यावरणविद डॉ. जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप साननंद के जन्म दिवस पर मंगलवार को वेबिनार के जरिए सोनभद्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों के पर्यावरणविदों और केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों ने एकजुट होकर गंगा की अविरलता और स्वच्छता की लड़ाई तेज करने का संकल्प लिया।
सोनभद्र की नदियों (Rivers) में भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई गई और इस मामले को लेकर लगातार आवाज उठाते हुए सरकारी एजेंसियों पर दबाव बनाने का निर्णय लिया गया।
बनवासी सेवा आश्रम प्रदूषण के खिलाफ उठा रहे आवाज
लोक विज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक रवि चोपड़ा ने वेबीनार का संचालन किया और इसके जरिए सोनभद्र और देश के अन्य हिस्सों में मौजूद पर्यावरण विदों और पर्यावरण वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने की पहल की गई। सोनभद्र में पिछले कई वर्ष से प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने का काम कर रही बनवासी सेवा आश्रम के कार्यकर्ताओं के साथ ही इस संस्थान से जुड़ाव रखने वाले वैज्ञानिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने वेबीनार गोष्ठी में प्रतिभाग किया।
वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व चेयर मैन डॉ. बी सेन गुप्ता, राजस्थान सहित पूरे प्रदेश में जल संरक्षण एवं उसकी स्वच्छता को लेकर आवाज उठाने के कारण जल पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. राजेंद्र सिंह राणा, स्वामी सानंद से जुड़े उत्तराखंड स्थित मातृ सदन के स्वामी शिवानंद, देहरादून के प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अनिल गौतम, प्रेम नारायण अग्रहरि, प्रदीप सिंह, अविनाश, स्वामी आत्मबोधानंद, तरुण अग्रवाल, वर्षा , मीनाक्षी, अरुण तिवारी, एनजीटी के याचिकाकर्ता जगतनारायण विश्वकर्मा, सहित कई नामचीन पर्यावरण विदों और सक्रिय पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
वैज्ञानिकों ने जल प्रवाह में हो रहे प्रदूषण में सुधार का संकल्प लिया
इस दौरान पर्यावरण वैज्ञानिकों ने जहां गंगा के जल प्रवाह में लगातार प्रदूषण की जांच करने और जल की स्थिति में सुधार के लिए आवाज उठाने का संकल्प लिया। वहीं केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए गंगा संरक्षण एक्ट को मां गंगा की अविरलता के लिए खतरा बताते हुए स्वामी सानंद द्वारा अपने जीवनकाल में तैयार किए गए गंगा संरक्षण ड्राफ्ट को एक्ट के रूप में लागू करने की मांग सरकार से की है।
पर्यावरण विशेषज्ञों गंगा को अविरल बनाए रखने के लिए ध्यान देना जरूरी
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना था कि मां गंगा को अविरल और निर्मल बनाए रखने के लिए इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने के साथ ही आदिवासियों विशेषकर महिलाओं के जीवन स्तर सुधारने के लिए सक्रिय रहने वाली शुभा प्रेम ने सोनभद्र में प्रदूषण की समस्या खतरनाक स्तर पर पहुंचने की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित कराया।
शुभा प्रेम ने कहा पर्यावरण प्रदूषण सहने की क्षमता अध्ययन कितनी शेष
शुभा प्रेम ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा सोनभद्र के पर्यावरण प्रदूषण सहने की क्षमता कितनी शेष रह गई है? इसका शीघ्र अध्ययन कराने का निर्देश दे रखा है। वहीं यहां के मानव जीवन पर मरकरी सहित अन्य रासायनिक तत्व के पढ़ते दुष्प्रभाव के विस्तृत अध्ययन के लिए टॉक्सिलाजिकल लैब के अविलंब स्थापना की जरूरत जताई।
वैज्ञानिकों ने कहा प्रदूषित नदियों का जीवन बचाना होगा
उन्होंने आगे कहा कि एनजीटी इसको लेकर भी निर्देशित कर चुकी है लेकिन पालन नहीं किया जा रहा है। गंगा से जुड़ी सोन और सोन से जुड़ी कनहर,पांगन, में बढ़ते प्रदूषण और इसमें होते खनन से जलीय पर्यावरण को पहुंचते नुकसान पर भी चिंता जताई है। वेबिनार में मौजूद सभी ने एक स्वर से कहा कि प्रदूषण के खिलाफ लगातार आवाज उठाते हुए नदियों का जीवन बचाना होगा तभी सही मायने में स्वामी सानंद के सपनों को साकार किया जाना संभव हो पाएगा।