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Sonbhadra News : राज्य सेक्टर के बिजलीघरों में घटा 1,000 मेगावॉट का उत्पादन

Sonbhadra News : मानसून की बेरुखी के कारण जुलाई माह के शुरुआत के साथ बिजली के रिकॉर्ड खपत का क्रम अभी भी बना हुआ है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Shraddha
Published on: 14 July 2021 9:14 AM GMT
Sonbhadra News : राज्य सेक्टर के बिजलीघरों में घटा 1,000 मेगावॉट का उत्पादन
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Sonbhadra News : मानसून की बेरुखी के कारण जुलाई माह के शुरुआत के साथ बिजली (Lightning) के रिकॉर्ड खपत का क्रम अभी भी बना हुआ है। हालांकि बुधवार की तड़के बिजली की खपत घटकर 14, 000 मेगावाट के करीब आने के कारण विद्युत (electrical) उपलब्धता में वृद्धि और केंद्रीय पुल में सस्ती बिजली मिलने की स्थिति बनी तो सिस्टम कंट्रोल को राज्य के स्वामित्व वाले एवं राज्य से सीधे जुड़ी परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन (Power Generation) घटवाना पड़ा। इसके चलते बिजली परियोजनाओं को पांच घंटे तक लगभग 1,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन मेंं कमी बनाए रखनी पड़ी। दोपहर में फिर से बिजली खपत तेजी से बढ़ने लगी तो उत्पादन बढ़ा दिया गया।

मिली जानकारी के मुताबिक थर्मल बैकिंग के चलते बुधवार की सुबह अनपरा ब विद्युत गृह में 900 मेगावाट के करीब रहने वाला उत्पादन 400 मेगावाट के करीब आ गया। लैंको अनपरा में 1100 मेगावाट के करीब रहने वाला उत्पादन कम होकर 600 मेगावाट के करीब पहुंच गया।

अनपरा अ, अनपरा द, ओबरा ब परियोजना में भी विद्युत उत्पादन सामान्य से कम बना रहा। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक दोपहर 11:30 बजे के करीब फिर से विद्युत खपत 20, 000 मेगावाट को पार कर गई, तब थर्मल बैकिंग रोककर उत्पादन इकाइयों से उनकी क्षमता के अनुरूप बिजली पैदा करने का काम शुरू कर दिया गया। वहीं बढ़े बिजली खपत को देखते हुए तीन दिन से बंद रखे गए 99 मेगावाट क्षमता वाले ओबरा जल विद्युत गृह से भी उत्पादन शुरू कर दिया गया।



यह है थर्मल बैकिंग का कारण

कम बिजली खपत की दशा में भी केंद्र और निजी सेक्टर की परियोजनाओं से जो करार होता है उसके अनुरूप बिजली राज्य को लेनी पड़ती है। न लेने की दशा में संबंधित परियोजना को राज्य की तरफ से एक फिक्स्ड चार्ज अदा करना पड़ता है। इस हालात से निपटने के लिए एक आसान विकल्प होता है कि राज्य सेक्टर से जुड़ी परियोजनाओं का विद्युत उत्पादन घटवा दिया जाए। हालांकि इससे संबंधित परियोजनाओंं की उत्पादन घटाए रहने तक विद्युत उत्पादन लागत बढ़ जाती है लेकिन पैदा होने वाली बिजली को स्टोर करने की तकनीक अभी तक इजाद न होने के कारण पावर सेक्टर के लिए थर्मल बैकिंग मजबूरी बनी हुई है।




24017 मेगावाट रही अधिकतम बिजली की मांग

स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिले जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात 10:42 बजे बिजली की अधिकतम मांग 24017 मेगावाट रिकॉर्ड की गई। हालात नियंत्रित रखने के लिए कुछ देर के लिए सिस्टम कंट्रोल को सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्से में आपात कटौती भी करानी पड़ी। बुधवार की सुबह 7:52 बजे बिजली की न्यूनतम खपत 13945 मेगावाट दर्ज की गई।

Shraddha

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