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Sonbhadra News: सोनभद्र में खतरे के निशान पर है बांधों का जलस्तर, अलर्ट पर प्रशासन
Sonbhadra News: सोनभद्र में पिछले 48 घंटों में सामान्य से दस गुने से भी अधिक 176.5 मिमी बारिश की गई दर्ज की गयी। बारिश थमने के बाद भी बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।
Sonbhadra News: सोनभद्र में पछिले दो दिनों की बारिश ने सबका हाल बेहाल कर दिया। रिकार्ड ताड़ बारिश से कई घर पानी में डूब गये। पानी में फंसे हुए लोंगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुचाने का काम चल रहा है वहीं लोगों को अलर्ट रहने की भी चेतावनी दी जा रही है। सोनभद्र को उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक बारिश वाले जनपद का दर्जा दिया है। जिले की सोन सहित बड़ी नदियों और रिहंद जलाशय सहित प्रमुख बांधों के जलस्तर की लगातार निगरानी कराई जा रही है।
बता दें कि पिछले 48 घंटों में सोनभद्र में रिकॉर्ड किए गए 176.55 मिमी बारिश में कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वर्ष 2013 के बाद जहां पहली बार जुलाई के आखिरी समय और अगस्त के पहले दिन अच्छी बारिश देखने को मिली। वहीं शुक्रवार रात से लेकर रविवार सुबह तक हुई झमाझम बारिश ने, 48 घंटे में 176.55 मिमी बारिश दर्ज करा कर, सोनभद्र को उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक बारिश वाले जनपद का दर्जा दे दिया है।
भारतीय मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सोनभद्र में शनिवार को 61.9 और रविवार को 114.6 मिमी, कुल 176.5 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। यह आंकड़ा सामान्य बारिश 16.5 मिमी से जहां दस गुने से भी अधिक है। वहीं पिछले कई वर्षों में संबंधित तिथियों में हुई बारिश के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। सोनभद्र में हुई मजे की बारिश ने सीजन में अब तक की हुई बारिश में भी बेहतर स्थिति दर्ज कराई है। मौसम विभाग के आंकड़े दर्शाते हैं कि गत एक जून से एक अगस्त के बीच सोनभद्र में 619.2 मिमी बरसात रिकार्ड की जा चुकी है। जबकि सामान्य बारिश का मानक 401.4 मिमी है।
इस हिसाब से जुलाई माह में अधिकांश दिन अवर्षण की स्थिति और भारी उमस के बावजूद 1 जून से 1 अगस्त के बीच सामान्य मानक से 200 मिलीमीटर ज्यादा बारिश हो चुकी है। सोनभद्र के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुछ ही जनपद ऐसे हैं जहां बारिश का आंकड़ा औसत मानक बारिश को काफी पीछे छोड़ पाया है। बता दें कि जून माह की बारिश ने जहां पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। वहीं जुलाई के आखिरी समय में हुई मजे की बरसात ने बारिश के बूंदों के लिए तड़प रही जमीन पर हर ओर पानी ही पानी जमा कर दिया।
बने हुए हैं बाढ़ के हालात
तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश भले ही जिले में रविवार की दोपहर बाद से थम गई हो लेकिन बाढ़ सरीखे हालात अभी भी बने हुए हैं। जिले की सोन सहित बड़ी नदियों और रिहंद जलाशय सहित प्रमुख बांधों के जलस्तर की लगातार निगरानी कराई जा रही है। वहीं नदियों और बांधों के तटवर्ती क्षेत्रों में तटवर्ती इलाके के लोगों को अलर्ट रखने के साथ ही नदियों में आए उफान के कारण बनी बाढ़ सरीखी स्थिति पर भी नजर रखी जा रही है। पानी से घिरे और बाढ़ वाले एरिया में जहां-तहां फंसे लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जगह पहुंचाए जाने का काम जारी है।
फंसे लोंगों को निकालने का काम जारी
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि रविवार की शाम थाना करमा क्षेत्रांतर्गत ग्राम सभा बारी महेवां के उचका दाई बस्ती में बेलन नदी में अत्यधिक पानी हो जाने के कारण नदी किनारे स्थित भगवान दास मौर्य पुत्र मुन्नर मौर्य निवासी बारी महेवां, थाना करमा का मकान चारों तरफ पानी से घिर गया। इसके चलते उनके परिवार के 15 सदस्य पानी मे फंस गए थे, जिन्हें तहसीलदार घोरावल और स्थानीय लोगों के सहयोग से नाव के जरिए सुरक्षित बाहर निकाला गया। उधर, अमवार में कनहर नदी के निचले हिस्से में तथा बांध के नजदीक बाढ़ के पानी का भराव बने रहने के कारण, उस एरिया में लोगों की आवाजाही रोकने के लिए चेतावनी स्वरूप लाल रिबन का घेरा बांधा गया है।
बढ़ा बांधों का जलस्तर
बारिश थमने के बावजूद जहां बांधों का जलस्तर चेतावनी बिंदु के करीब पहुंचा हुआ है। वहीं जिले की सबसे बड़ी नदी सोन के साथ ही उसकी प्रमुख सहायक नदियों में उफान की स्थिति बनी हुई है। कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक नगवां बांध में पानी का स्तर, अधिकतम जलस्तर 354.60 के मुकाबले 353 मीटर के करीब पहुंच गया है। बांध में पानी की तेजी से वृद्धि होती देख यहां से लगातार ढाई हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है।
धंधरौल बांध का जलस्तर भी चेतावनी बिंदु 317.90 के मुकाबले 315 के लगभग पहुंच चुका है। ओबरा बांध का जलस्तर दो दिन से चेतावनी बिंदु 193.24 मीटर के मुहाने पर बना हुआ है। इसको देखते हुए यहां से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने की संभावना बनती देख प्रभावित होने वाली एरिया में अलर्ट के लिए मुनादी करवा दी गई है।
कहा जा रहा है कि रिहंद बांध में जलस्तर का दबाव बढ़ने के बाद ओबरा डैम के फाटक किसी वक्त खोले जा सकते हैं। फिलहाल, स्थिति नियंत्रण में रखने के लिए यहां की दो जलविद्युत इकाइयां लगातार संचालित करते हुए तीन से चार हजार क्यूसेक पानी लगातार रेणुका नदी में छोड़े जाने का क्रम जारी है। इसी तरह जिले के सबसे बड़े बांध एवं भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील का दर्जा रखने वाले रिहंद जलाशय में लगातार पानी का बढ़ाव जारी है। बारिश थमने के बावजूद छत्तीसगढ़ की तरफ से पानी का दबाव बना हुआ है।
चोपन परिक्षेत्र में गिरा सबसे ज्यादा पानी
जिले में शनिवार और रविवार को दर्ज किए गए आंकड़े बताते हैं कि चोपन परिक्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। जबकि जिला मुख्यालय परिक्षेत्र दूसरे नंबर पर रहा। रविवार को जिले के छह स्थानों पर स्थापित वर्षा मापी संयंत्र के जरिए मिले आंकड़ों के आधार पर प्रेषित की गई रिपोर्ट में चोपन में स्थापित वर्षा मापी संयंत्र में सर्वाधिक बरसात दर्ज होने की बात उल्लिखित की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार की अर्धरात्रि से रविवार की दोपहर तक चोपन एरिया में 137 मिलीमीटर और जिला मुख्यालय परिक्षेत्र में 105 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई।