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Sonbhadra: बिजली की खपत और मांग दोनों ने बनाया रिकॉर्ड, पावर सेक्टर में हाय-तौबा, ऊर्जा मंत्री को होना पड़ा लाइव

Sonbhadra: बृहस्पतिवार और शुक्रवार को हुई बूंदाबांदी के चलते कुछ देर के लिए मौसम सुहाना हुआ तो दिन में बिजली की मांग में गिरावट दर्ज हुई।

Kaushlendra Pandey
Published on: 10 July 2021 9:45 AM GMT
Both electricity consumption and demand made a record, system control effort to handle the situation
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बिजली के पावर हाउस की प्रतिकात्मक फोटो- सोशल मीडिया

Sonbhadra: मानसून की बेरुखी और उमस का क्रम बने रहने से बिजली की रिकॉर्ड खपत का क्रम बना हुआ है। शुक्रवार की रात 11:49 बजे बिजली की मांग रिकार्ड 24902 मेगावाट पर पहुंच गई। इस दिन मांग के सापेक्ष, पूरी बिजली आपूर्ति कर एक दिन में सर्वाधिक विद्युत खपत का भी रिकॉर्ड बनाया गया। पावर सेक्टर में हाय तौबा की स्थिति बनी रही।

सिस्टम कंट्रोल को कई विद्युत इकाइयों को पूर्ण क्षमता से चलवाकर और महंगी बिजली खरीदकर स्थिति संभाली गई। कुछ देर के लिए आपात कटौती का भी सहारा लेना पड़ा। शनिवार को दोपहर में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट को पार कर गई। वहीं लैंको अनपरा की 600 मेगावाट वाली पहली इकाई अचानक बंद हो जाने के कारण विद्युत उपलब्धता में आई कमी बेचैनी बढ़ाए रही।

पावर सेक्टर में हड़कंप

बृहस्पतिवार और शुक्रवार को हुई बूंदाबांदी के चलते कुछ देर के लिए मौसम सुहाना हुआ तो दिन में बिजली की मांग में गिरावट दर्ज हुई, लेकिन रात में बिजली बिजली की मांग नया रिकॉर्ड बनाने का क्रम जारी रखे हुए हैं शुक्रवार की रात के 11 बजते-बजते बिजली की मांग 24902 मेगावाट पहुंचने से पावर सेक्टर में हड़कंप मच गया।

एनटीपीसी रिहंद के सभी कार्यों के उत्पादन पर आ जाने और लंको अनपरा की दोनों इकाइयों के पूर्ण क्षमता से उत्पादन पर रहने से सिस्टम कंट्रोल ने काफी राहत महसूस की अनपरा पर योजना की भी उत्पादन पर चल रही कार्यों से पूरी क्षमता से उत्पादन लेने की कोशिश की गई 500 मेगावाट वाली पांचवीं इकाई ने क्षमता से भी ज्यादा 513 मेगावाट उत्पादन दिया।

फोटो- सोशल मीडिया

विद्युत आपूर्ति की स्थिति

इसी तरह अन्य योजनाओं में भी चालू इकाइयों से बेहतर उत्पादन की स्थिति ने बिजली की उपलब्धता बनाए फिर भी हालात संभालने के लिए सिस्टम कंट्रोल को महंगी बिजली का सहारा लेना पड़ा। रिकॉर्ड मान और रिकॉर्ड खपत ऐसी स्थिति बनी की रात एक बजे खुद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को लाइव आकर प्रदेश में हो रही विद्युत आपूर्ति की स्थिति देखनी पड़ी।

देर रात तक वाह पावर कारपोरेशन के अभियंताओं और विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशकों से संपर्क कर आपूर्ति उपलब्धता की जानकारी लेते रही। खपत बढ़ती देख उप केंद्रों में तैनात विद्युत कर्मी भी आपूर्ति उपकरणों पर नजर बनाए रहे। मांग बढ़ने के कारण कम जल स्तर से जूझ रहे रिहंद डैम की जलविद्युत गृह की उत्पादनरत पांचों इकाइयों से पूरी रात पूरी क्षमता से उत्पादन लिया गया।

शनिवार की सुबह सात बजे जब बिजली की मांग 13,000 मेगावाट (न्यूनतम) के करीब आ गई तब रिहंद पन विद्युत गृह से उत्पादन बंद किया गया। इसके बाद दोपहर बारह बजते-बजते बिजली की मांग फिर से 20,000 मेगावाट को पार कर गई। वहीं दोपहर में ही लैंको अनपरा की 600 मेगावाट वाली पहली इकाई भी तकनीकी कारणों से बंद हो गई।

इसके चलते रिचा जगत में बेचैनी की स्थिति बनी रही। केंद्रीय और निजी सेक्टर से बिजली लेकर हालात संभाले जाते रहे। बता दें कि अनपरा परियोजना की तीसरी और सातवीं, एनटीपीसी सिंगरौली की तीसरी और सातवीं तथा ओबरा परियोजना की तेरहवीं इकाई अनुरक्षण में चली गई हैं।

इस कारण राज्य को सस्ते दर पर मिलने वाली विद्युत उपलब्धता में डेढ़ हजार सौ दो हजार मेगावाट की कमी बनी हुई है। ऐसे में जब पीक आवर में बिजली की मांगू छाल मारती है तो सिस्टम कंट्रोल में हाय तौबा की स्थिति बननी शुरू हो जाती है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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