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Coal shortage India: सोनभद्र में कोयला संकट से हाहाकार, हरदुआगंज, पारीक्षा में उत्पादन शून्य, अनपरा पर बेचैनी
कोयला संकट से जूझ रहे बिजली परियोजनाएं अब ठप होने लगी
Coal shortage India: राज्य की बिजली परियोजनाओं में कोयले की कमी (koyala sakat) को लेकर संकट के बने हालात धीरे-धीरे बेकाबू होने लगे हैं। सोमवार को राज्य सेक्टर की हरदुआगंज और पारीछा परियोजना में उत्पादन शून्य हो गया। निजी क्षेत्र की सात परियोजनाओं से भी राज्य सरकार को बिजली मिलनी बंद हो गई है। वहीं अनपरा परियोजना (Anpara Project) में एक दिन के जरूरत भर से भी कोयला स्टाक नीचे आने से शक्ति भवन, लखनऊ तक हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है।
फिलहाल की स्थिति को देखते हुए यहां रोजाना की जरूरत (40000 टन) भर का कोयला मिलता रहे, इसको लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं। संकट की स्थिति को देखते हुए लगातार तीसरे दिन यहां की इकाइयां लगभग आधी क्षमता पर चलाई जा रही हैं। ओबरा परियोजना में उत्पादनरत इकाइयों से भी आधी क्षमता से ही उत्पादन लिया जा रहा है। वहीं इससे सटी अनपरा सी (लैंको) परियोजना में भी इकाइयों को कम क्षमता पर चलाया जा रहा है।
स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार 610 मेगावाट वाली हरदुआगंज और 1140 मेगावाट वाली परीक्षा परियोजना से उत्पादन शून्य हो गया है। उधर, निजी क्षेत्र की जेपी चुर्क, 90 मेगावाट की बरखेरा, 90 मेगावाट की खंबारखेरा, 90 मेगावाट की कुंडार्की, 90 मेगावाट की उतरौल, 90 मेगावाट की मकसूदपुर से राज्य सरकार को मिलने वाली बिजली फिलहाल बंद हो गई है।
उधर, केंद्र सेक्टर की टांडा बिजली परियोजना से भी उत्तर प्रदेश को मिलने वाली करीब 1340 मेगावाट बिजली, रविवार शाम से मिलनी बंद हो गई है। इसके पीछे कोयले की कमी को मुख्य वजह बताया जा रहा है।
नार्दन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक पीक आवर में कुल लगभग 14000 मेगावाट क्षमता वाली राज्य और निजी सेक्टर की परियोजनाओं से 6000 निजाबाद के आसपास ही बिजली मिल सके। इससे पावर सेक्टर में हाय तौबा के हालात बने रहे।
स्थिति को देखते हुए एनर्जी एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदकर हालात संभाले जा रहे हैं। कोयला संकट के चलते बिजली की उपलब्धता में आई कमी के कारण शहरों में होने वाली कटौती जहां बढ़ गई है। वहीं गांव में कई-कई घंटे बिजली गुल रहने लगी है।
हालात काबू करने को हर संभव प्रयास जारी
अनपरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक आशीष श्रीवास्तव के मुताबिक कोयले का स्टॉक धीरे-धीरे घट रहा है। रोजाना की खबर का कोयला मिलता रहे, इसके लिए प्रयास जारी हैं। जल्द से जल्द परियोजना संकट की स्थिति से बाहर आए, इसको लेकर लगातार एनसीएल के अधिकारियों से वार्ता जारी है। मुख्यालय को भी स्थिति से लगातार अवगत कराया जा रहा है। वहीं ओबरा परियोजना के जीएम प्रशासन इं.जीके मिश्रा ने बताया कि 24000 टन कोयला स्टाक में बचा हुआ है। वही दो रेल रैक के जरिए एनसीएल से 7000 टन कोयले की रोजाना आपूर्ति आ रही है। बताते चलें कि ओबरा में पद दिन कोयले की खपत 12000 टन है। इसके हिसाब से जहां दो दिन का कोयला स्टॉक में शेष है। वही 5000 टन कोयले की रोजाना कम आपूर्ति मिल रही है।
हालात नहीं सुधरे तो आने वाले तीन से चार दिनों में ओबरा और अनपरा दोनों जगह इकाइयां ठप करने का सिलसिला शुरू हो सकता है। बता दें कि जिन परियोजनाओं के यहां कोयले का बकाया है। वहां कोल इंडिया की तरफ से कोयले की आपूर्ति कम कर दी गई है या फिर जिन परियोजनाओं के पास कोल इंडिया से कोयले का सीधा लिंकेज नहीं है। उन्हें भी रोजाना के जरूरत भर का कोयला मिलना मुश्किल हो गया है।
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