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Sonbhadra Stone Mining Industry: सोनभद्र में पत्थर खनन उद्योग पर संकट, 20 खदानों के संचालन पर रोक, इन मानकों की हो रही थी अनदेखी

Sonbhadra Stone Mining Industry: सोनभद्र में पत्थर खनन उद्योग पर एक बार फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अनुमन्य मानक से अधिक खनन की शिकायत पर ओबरा क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी स्थित 20 पत्थर खदानों में खनन कार्य प्रतिबंधित कर दिया गया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 1 March 2022 2:48 PM IST
Sonbhadra Stone Mining Industry: सोनभद्र में पत्थर खनन उद्योग पर संकट, 20 खदानों के संचालन पर रोक, इन मानकों की हो रही थी अनदेखी
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Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र (District Sonbhadra) में देश के खजाने को अच्छा राजस्व देने के साथ, सत्तापक्ष के साथ कदमताल मिलाकर चलने वाले खननकर्ताओं-अधिकारियों और सत्ता में धमकदार रसूख रखने वाले नेताओं की झोली भरने को लेकर चर्चा में रहने वाले पत्थर खनन उद्योग पर एक बार फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अनुमन्य मानक से अधिक खनन की शिकायत पर ओबरा क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी स्थित 20 पत्थर खदानों में खनन कार्य प्रतिबंधित (Mining work banned in 20 stone quarries) कर दिया गया है। यह कार्रवाई अनुमन्य मात्रा से अधिक खनन की शिकायत पर की गई है। प्रतिबंध कब तक रहेगा? अभी इसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।

फरवरी 2012 में शारदा मंदिर के पास अवैध खनन (Illegal mining) के दौरान हुए हादसे के चलते 11 मजदूरों की मौत के बाद से ही खनन उद्योग उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। उस हादसे के बाद आठ माह तक के लिए जिले में पत्थर खनन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके कारण तत्कालीन डीएम सुहास एलवाई को सोनभद्र से चलता भी होना पड़ा था। उनके बाद रामकृष्ण उत्तम को यहां के डीएम का प्रभार मिला और उनके समय में पत्थर खनन पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया।




लेकिन खनन उद्योग (mining industry in up) पर रह-रहकर संकट के बादल मंडराते रहे। इस बार भाजपा (Bhartiya Janata Party) के ही एक नेता की तरफ से की गई शिकायत और भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय की निदेशक रोशन जैकब की तरफ से दिए गए निर्देश पर खदानों का संचालन रोकने की कार्रवाई सामने आई है। वर्तमान में लगभग 30 से 32 पत्थर खदानें संचालित हो रही हैं। उसमें से करीब 75 एकड़ एरिया में संचालित बीस खदानों में पत्थर खनन का काम फिलहाल रोक दिया गया है। वहीं जो खदानें संचालित हो रही हैं, उसमें भी गड़बड़ी की शिकायतें हैं लेकिन उनको लेकर नरमी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

यह हुई है शिकायत

भाजपा नेता बृजेश पांडेय (BJP leader Brijesh Pandey) ने गत जनवरी माह में शिकायत की कि ओबरा तहसील के बिल्ली-मारकुंडी में खनन क्षेत्र में पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र में खनन के लिए स्वीकृत अनुमान्य मात्रा से अधिक खनन कार्य किया जा रहा है और खदानों में काम कर रहे कामगारों की सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर निदेशक रोशन जैकब ने जिलाधिकारी और ज्येष्ठ खान अधिकारी को गत 11 जनवरी को ही भौतिक सत्यापन करने और निर्गत ईएमएम के मुकाबले अधिक खनन पाए जाने पर संबंधित खनन पट्टाधारक के खिलाफ अवैध निकासी के संबंध में रायल्टी एवं खनिमुख मूल्य वसूली की कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके क्रम में कई खदानों की नापी भी कराई गई लेकिन नापी पूरी होने के बाद क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।




अलबत्ता करीब एक पखवारे से शिकायत वाली बीस खदानों में काम रोक दिया गया है। सेलफोन पर हुई वार्ता में ज्येष्ठ खान अधिकारी ने शिकायत वाली सभी बीस खदानों में खनन कार्य फिलहाल प्रतिबंधित करने की पुष्टि की। कार्रवाई के सवाल पर जहां नापी के समय उनका कहना था कि रिपोर्ट तैयार हो रही है। वहीं अब कहा कि अभी जांच चल रही है। जांच कब तक चलेगी, के सवाल पर कहा कि जांच पूर्ण होने के बाद ही कुछ कहना ठीक रहेगा।

बढ़े गिट्टी के दाम, परमिट शुल्क में उछाल, अवैध खनन वालों की कटने लगी चांदी:

सोनभद्र। एक साथ बीस से अधिक खदानों में पत्थर खनन कार्य प्रतिबंधित किए जाने से जहां प्रति वाहन गिट्टी के दाम में पांच सौ से एक हजार का उछाल आया गया है। वहीं सरकार की तरफ से 160 रूपये प्रति घनमीटर के हिसाब से जारी होने वाली रायल्टी के अलावा सुविधा शुल्क के नाम पर वसूले जाने वाले 360 रूपये में भी उछाल आया है और अब प्रति घनमीटर परमिट पांच सौ रूपये से भी उपर कथित शुल्क लेकर दिया जाने लगा है। वहीं अवैध खनन कर्ताओं, बगैर परमिट गिट्टी परिवहन और इसे पास कराने वाले सिंडीकेट की पौ बारह हो गई है।


कई खदानों की हो चुकी है नापी, बावजूद कब होगी कार्रवाई

डाला से लेकर बिल्ली-मारकुंडी क्षेत्र में कई खदानों की नापी हो चुकी हैं। इसमें कुछ खदानों ऐसी हैं, जिनकी एरिया धारा बीस के प्रकाशन के बाद सिकुड़ गई है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक नापी में संशोधित एरिया से बढ़कर खनन की बात भी सामने आई है लेकिन उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अलबत्ता जांच के लिए आए आदेश के क्रम में एक साथ बीस खदानों में खनन तो प्रतिबंधित कर दिया गया लेकिन नापी के दौरान किस खदान में अनुमन्य मात्रा और सीमा से अधिक खनन मिला और इसको लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गई, इस पर जहां खान महकमे की तरफ से चुप्पी साध ली गई हैं। वहीं खान विभाग के जिम्मेदारों की मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं।

सफेद सोने की पहचान रखती हैं यहां की पत्थर खदानें

जिले की पत्थर खदानों को सफेद सोने (white gold) की खदानों के रूप में भी पहचाना जाता है। इस धंधे में होने वाली अकूत कमाई का इस कदर आकर्षण है कि सत्ता और शासन में शीर्ष पर बैठे लोगों का सीधे संरक्षण मिलने की बात जहां पूर्व में कई बार सामने आ चुकी है। वहीं जिले में पूर्व में तैनात रहे क्लास दो के कई आफिसरों को अपने परिवार के सदस्य या रिश्तेदारों की आड़ में खदानों में पार्टनर बनने की भी बातें सामने आती रही है। इसमें प्रशासन और पुलिस दोनों महकमों से जुड़े लोगों का नाम पूर्व में सुर्खियां भी बटोर चुका है। हालांकि डीएम की सख्ती पर कोई सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं, लेकिन खनन महकमे के लोगों द्वारा जांच के नाम पर अपनाई जा रही लचर प्रणाली और कार्रवाई को लेकर बरती जा रही गोपनीयता को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

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Shashi kant gautam

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