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Kalyan Singh: राममंदिर के लिए कल्याण सिंह ने सोनभद्र में काटी थी तीन दिन की जेल, आडवाणी-जोशी भी थे साथ
Kalyan Singh: कल्याण सिंह ने राम मंदिर के लिए लालकृष्ण आडवाणी और डाॅ मुरली मनोहर जोशी के साथ सोनभद्र में तीन दिन की जेल काटी थी।
Kalyan Singh: पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राम मंदिर के लिए लालकृष्ण आडवाणी और डाॅ मुरली मनोहर जोशी के साथ सोनभद्र में तीन दिन की जेल काटी थी। उस दौरान उन्हें अन्य लोगों के साथ हिरासत में लेकर लखनऊ से सोनभद्र लाया गया था। तीन दिन बाद जब उन्हें यहां से रिहा किया गया तो उनसे मिलने के लिए भाजपा नेताओं के साथ सामान्य लोगों का भी जमावड़ा लग गया था।
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दी गई तो उसके बाद भाजपा ने राम मंदिर के लिए आंदोलन और तेज कर दिया। 1993 में प्रदेश में सपा-बसपा की संयुक्त सरकार बनी। उस समय भाजपा की तरफ से गांव-गांव श्रीराम पादुका पूजन कार्यक्रम जारी था। इसको लेकर सदन में भी हंगामे की स्थिति बनी। इसके बाद राम मंदिर आंदोलन के अगुआ लालकृष्ण आडवाणी, राम मंदिर के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी न्योछावर करने वाले कल्याण सिंह, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार आदि को गिरफ्तार कर लिया गया था।
लखनऊ में उनके रहने पर कहीं माहौल और न गरम हो जाए, इसके लिए मुलायम सिंह की सरकार ने उन्हें लखनऊ से लाकर जनपद के पिपरी स्थित गेस्ट हाउस में रख दिया। तीन दिन तक उन्हें यहां नजरबंद बनाकर बंदी की स्थिति में रखा गया। इस दौरान सोनभद्र के भाजपा नेता और स्वयंसेवकों से उनका मिलना-जुलना जारी रहा और पुलिस की निगरानी में भी राम मंदिर आंदोलन तेज करने के मंत्र दिए जाते रहे। तीन दिन बाद जब उनकी और उनके साथ बंद अन्य नेताओं की रिहाई हुई तो बड़ी तादाद में लोग उनसे मिलने के लिए पहुंचे और राम मंदिर आंदोलन को और धार देने की हुंकार भरी।
सोनभद्र के प्राकृतिक सौंदर्य से हो गया था लगाव
बाबरी विध्वंस के समय सोनभद्र में राबर्ट्सगंज के विधायक रहे तीर्थराज उन दिनों की बात याद करते हुए कहते हैं कि पिपरी गेस्ट हाउस में बंद रखे जाने के दौरान तीनों दिन वह उनसे मिलने के लिए गए थे। हर बार उनकी आत्मीयता जहां नया संबल देती थी। वहीं वह राम मंदिर आंदोलन के साथ ही सोनभद्र के आदिवासियों का जीवन स्तर सुधारने को लेकर भी चर्चा किया करते थे। पिपरी गेस्ट हाउस में रखे जाने के दौरान वह गोविंद बल्लभ पंत सागर और आसपास बिखरे प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य से इतने अभिभूत हुए थे कि आगे चलकर उनके मुख्यमंत्री बनने पर यहां के प्राकृतिक स्थलों को सजाने-संवारने के लिए प्रस्ताव देने के लिए कहा थास लेकिन आगे चलकर तीरथ राज की भी विधायक की पारी थम गई और यह चर्चा यहीं तक रह गई।
अलग दल जरूर बनाया, लेकिन सिद्धांत नहीं बदले
2009 में भाजपा से हुई नाराजगी के बाद पांच जनवरी 2010 को अपने 77वें जन्म दिन पर जन क्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) के नाम से एक नई पार्टी जरूर बनाई, लेकिन सिद्धांत कभी नहीं बदले। पार्टी बनाने के बाद जब वह सोनभद्र आए तो लोगों ने पूछा कि आप की नई पार्टी का सिद्धांत क्या होगा तो उनका सीधा जवाब था कि भाजपा के लोगों से कुछ मतभेद जरूर हुए हैं, लेकिन भगवान राम के प्रति आस्था और उससे जुड़े सिद्धांत उनके नहीं बदले हैं। उन्होंने उस समय अपने करीबी ओबरा निवासी वृषभान अग्रवाल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर 2012 में विधानसभा से चुनाव लड़वाया था और उनके समर्थन में चुनावी सभा भी करने आए थे।
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